मुंबई: चीन ने पिछले साल 13 अक्टूबर को लद्दाख सीमा पर तनाव के बाद चेतावनी देने के प्रयास के तहत भारत के बिजली संयंत्रों पर साइबर अटैक करने की कोशिश की थी। इसी कड़ी में उसने मुंबई के पावर ग्रिड को निशाना बनाया था। 'द न्यूयार्क टाइम्स' की रिपोर्ट में कहा गया है कि एक नए अध्ययन से इस बात को बल मिलता है कि ये दोनों घटनाएं जुड़ी हो सकती हैं। इस मामले पर महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख और बिजली आपूर्ति मंत्री नितिन राउत ने मुंबई के सह्याद्रि गेस्ट हाउस में प्रेस को संबोधित। इस दौरान उन्होंने कहा कि मुंबई और सटे इलाकों में अक्टूबर 2020 में कुछ घंटों के लिए बिजली गुल होने के मामले में चीन के साइबर अटैक की बात सामने आ रही है।
गृहमंत्री अनिल देशमुख ने कहा, "रेकॉर्डेड फ्यूचर एनिमेशन कम्पनी अमेरिका की है। उसने और न्यूयॉर्क टाइम्स ने रिपोर्ट दी और मुंबई में बिजली गुल मामले में साइबर अटैक की आशंका जताई है। बिजली विभाग ने भी गृह विभाग से जांच की मांग की थी। महाराष्ट्र साइबर क्राइम ने रिपोर्ट दी है जिसमें साइबर सबोटाज का संदेह है। बीजली विभाग में 12 अक्टूबर को साइबर अटैक का प्रयास किया गया।"
उन्होंने यह भी बताया कि चीन द्वारा मुंबई के बिजली विभाग के इंफ्रास्ट्रक्चर में मालवेयर वायरस छोड़ अटैक करने की बात अमेरिकन रिपोर्ट्स में है। इसके सबूत भी सामने आई है। 8 जीबी का अनकाउंटेड डेटा ट्रांसफर विदेश से होने की बात कही गई है। बिजली विभाग के सर्वर में कई log in के प्रयास किये गए। शायद 12 अक्टूबर को जो बिजली गुल हुआ वो इस वजह से हुआ होगा ऐसी साइबर विभाग की फाइन्डिंग्स हैं।
बता दें कि रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के पावर ग्रिड के खिलाफ यह एक व्यापक चीनी साइबर अभियान हो सकता है ताकि यह संदेश दिया जा सके कि अगर भारत अपने दावों पर अड़ा रहा तो देश भर में बिजली गुल हो सकती है। न्यूयार्क टाइम्स के मुताबिक, अध्ययन से पता चलता है कि जैसे ही लद्दाख में सशस्त्र संघर्ष शुरू हुआ, जिसमें कई जवान शहीद हो गए, चीनी मालवेयर पूरे भारत में बिजली की आपूर्ति का प्रबंधन करने वाले कंट्रोल सिस्टम्स में सेंधमारी की भरपूर कोशिश कर रहे थे। सिर्फ कंट्रोल सिस्टम्स ही नहीं, बल्कि हाई वोल्टेज ट्रांसमिशन सबस्टेशन और एक कोयला-आधारित बिजली संयंत्र भी निशाने पर थे।
रिपोर्ट के मुताबिक, अध्ययन में यह भी पाया गया कि अधिकांश मालवेयर कभी भी सक्रिय नहीं थे। सरकारी तंत्र द्वारा इंटरनेट के इस्तेमाल का अध्ययन करने वाली सोमरविले (मैसाचुसेट्स) स्थित अमेरिकी कंपनी 'रिकॉर्डेड फ्यूचर' भारत की बिजली प्रणालियों के अंदर नहीं पहुंच सका, इसलिए यह कोड के विवरण की जांच नहीं कर सका। रिकॉर्डेड फ्यूचर के मुख्य परिचालन अधिकारी स्टुअर्ट सोलोमन ने कहा कि रेड इको नाम की चीनी कंपनी के बारे में देखा गया है कि इसने लगभग एक दर्जन महत्वपूर्ण भारतीय नोड्स में सेंधमारी करने के लिए उन्नत साइबर तकनीकों का व्यवस्थित रूप से उपयोग किया है।
न्यूयार्क टाइम्स के मुताबिक, इस खुलासे से यह सवाल उठता है कि क्या 13 अक्टूबर को देश के सबसे व्यस्त व्यापारिक केंद्रों में से एक मुंबई में जो धमाका हुआ था, वह बीजिंग का एक संदेश था कि अगर भारत ने अपने सीमा के दावों को जोरदार तरीके से आगे बढ़ाया तो आगे और क्या हो सकता है।
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