मुंबई: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे एक पत्र में मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने सूबे के गृह मंत्री अनिल देशमुख पर निलंबित पुलिस अधिकारी सचिन वाजे से हर महीने 100 करोड़ रुपये की वसूली करने के लिए कहने का आरोप लगाया है। इस आरोप के साथ ही राज्य की सियासत गरमा गई है। विपक्ष हावी होता नजर आ रहा है और राज्य की शिवसेना-कांग्रेस-NCP के गठबंधन वाली सरकार बैकफुट पर जाती दिख रही है।
सूत्रों के मुताबिक, अनिल देशमुख खुद से इस्तीफा दे सकते है। शरद पवार की उनसे बात हुई है। सूत्र बता रहे हैं कि पार्टी में भी ज्यादातर नेता अनिल देशमुख के कामकाज से खुश नहीं हैं। ऐसे में अनिल देशमुध खुद इस्तीफा दे सकते हैं। हालांकि, अनिल देशमुख ने परमबीर सिंह के आरोपों को झूठा बताया है। उन्होंने कहा कि परमबीर सिंह ने खुद को बचाने और कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए झूठे आरोप लगाए हैं।
अनिल देशमुख ने क्या-क्या कहा?
अनिल देशमुख ने अपने प्रेस नोट में कहा, "मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह द्वारा मेरे ऊपर लगाए गए आरोप झूठे हैं और यह मुझे बदनाम करने के लिए तथा महाविकास अघाड़ी सरकार द्वारा उनकी रक्षा न करने के बाद बदले के लिए साजिश है। मैं निम्नलिखित महत्वपूर्ण बिंदुओं पर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा। आप देखेंगे कि परमबीर सिंह झूठ कैसे बोल रहे हैं।"
सचिन वाज़े को गिरफ्तार किए जाने के इतने दिनों बाद तक परमबीर सिंह चुप क्यों बैठे थे? उसी समय अपना मुंह क्यों नहीं खोला? यह महसूस करने के बाद कि आपको 17 मार्च को पुलिस आयुक्त के पद से हटा दिया जाएगा, 16 मार्च को परमबीर सिंह ने एसीपी पाटिल से व्हाट्सएप चैट में कुछ सवाल पूछे और उन्हें अपेक्षित जवाब मिले। यह परमबीर सिंह की एक बड़ी साजिश का हिस्सा था। इस चैट के माध्यम से, परमबीर सिंह व्यवस्थित रूप से सबूत इकट्ठा करना चाहते थे। इस चैट से उत्तर प्राप्त करते समय, आप देख सकते हैं कि परमवीर सिंह कितने अधीर थे। परमबीर सिंह को बार-बार एसीपी पाटिल ने पूछा है। इसका क्या मतलब है?
18 मार्च को मैंने एक बयान दिया, उसके बाद अपने आप को बचाने के लिए 19 मार्च को परमवीर ने फिर से व्हाट्सएप पर एक बातचीत का सबूत बनाने की कोशिश की, क्योंकि मैंने कहा था कि मैंने लोगों से बात करने के दौरान उनके खिलाफ कुछ गंभीर मुद्दों के कारण उन्हें पद से हटा दिया। पुलिस विभाग में सभी जानते हैं कि सचिन वाज़े और एसीपी संजय पाटिल, परमबीर सिंह के बहुत करीब हैं। परमवीर सिंह ने 16 साल से निलंबित वाज़े को फिर से पुलिस में लेने का फैसला लिया।
परमबीर सिंह के आरोप पूरी तरह से झूठे हैं। उन्हें अपने आरोपों को साबित करना चाहिए। मैं उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर कर रहा हूं। परमबीर सिंह ने खुद को बचाने के लिए ये झूठे आरोप लगाए हैं। अगर परमबीर सिंह कहते हैं कि सचिन वाज़े ने फरवरी में परमबीर सिंह से मुलाकात की और उन्हें यह सब बताया, तो उन्होंने उसी समय क्यों नहीं बताया। इतने दिन चुप क्यों रहे?
यह पता चलने के बाद कि विस्फोटक मामले में हम मुश्किल में पड़ सकते हैं, परमबीर सिंह ने इस तरह के झूठे आरोप लगाकर सरकार को ब्लैकमेल करने की कोशिश की है। परमवीर सिंह द्वारा विस्फोट मामले की जांच और मनसुख हिरेन की संदिग्ध मौत की साजिश रची गई है। मुख्यमंत्री को परमबीर सिंह द्वारा लगाए गए आरोपों की निष्पक्ष जांच करनी चाहिए।