मुंबई: महाराष्ट्र के मलंगगढ़ में स्थित मछिंदरनाथ समाधि स्थल पर आरती के दौरान मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों द्वारा ‘अल्लाह-हु-अकबर’ का नारा लगाने से तनावपूर्ण स्थिति पैदा हो गई। माघ पूर्णिमा के अवसर पर कल्याण पूर्व के मलंगगढ़ में स्थित मछिंदरनाथ समाधि स्थल पर हिंदू समुदाय के लगभग 50 से 60 लोग आरती करने के लिए गए थे। सूत्रों के मुताबिक, शिवसेना नेताओं के आग्रह पर इन लोगों को आरती की इजाजत मिली थी क्योंकि कोरोना के चलते इस बार ज्यादा लोगों के इकट्ठा होने की इजाजत नहीं थी।
आरती के दौरान लगे ‘अल्लाह-हु-अकबर’ के नारे
मछिंदरनाथ समाधि स्थल पर लोग पूजा-पाठ और आरती कर ही रहे थे कि उसी समय मुस्लिम समुदाय के 50 से 60 लोग आ गए और अल्लाह-हु-अकबर के नारे लगाने लगे। इसके चलते दोनों समुदाय में कहासुनी होने लगी और बात हाथापाई तक पहुंच गई। दरअसल, कोरोना के चलते धार्मिक स्थलों में 5 से ज्यादा लोगों के एक साथ इकट्ठा होने पर रोक है, ऐसे में मुस्लिम लोगों का आरोप था कि जब बगल में मौजूद दरगाह पर रोक है तो मंदिर में इतने लोग कैसे आ गए? मुस्लिम समाज के लोग अपना विरोध जताने के लिए आरती के दौरान मंदिर में घुस आए और ‘अल्लाह-हु-अकबर’ के नारे लगाने लगे।
घटना के दौरान पुलिस बनी रही मूकदर्शक
घटना के दौरान पुलिस के जवान भी शुरू में मूकदर्शक बने रहे लेकिन जब हालात बिगड़ने लगे तो उन्होंने किसी तरह बीच-बचाव किया। इस मामले में आरती कर रहे कई आयोजकों के खिलाफ कोविड ऐक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है। घटना 28 मार्च को रात 8 बजे की है। बताया जा रहा है कि पूजा-पाठ के दौरान हुई इस घटना में धक्कामुक्की भी हुई, और जब पुलिस ने बीच-बचाव की कोशिश की तो मुस्लिम पक्ष के लोगों ने पुलिसवालों का कॉलर पकड़ लिया और उन्हें धक्का भी दिया। पुलिस ने इस मामले में मुस्लिम पक्ष के 4 आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
समाधि स्थल को लेकर पहले भी हो चुका है बवाल
गोरखनाथ पंथ को मानने वाले लोगों का कहना है कि यह समाधि मछिंदरनाथ की है, जबकि मुस्लिम पक्ष का कहना कि यह हाजी मलंग बाबा की मजार है। इस समाधि पर हर वर्ष पुर्णिमा की रात हिंदू पक्ष की तरफ से आरती की जाती है। यहां समाधि और मजार की जमीन को लेकर काफी लंबे समय से विवाद चला आ रहा है और दोनों ही पक्षों ने जमीन के एक-एक हिस्से पर अपना कब्जा किया हुआ है। इस जगह पर अपने आधिपत्य को लेकर दोनों पक्षों में पहले भी बवाल हो चुका है।
क्या है मलंगगढ़ की समाधि का पूरा विवाद
हिंदू पक्ष का कहना है कि नाथ समाज के बाबा मछिंदरनाथ की समाधि है और पेशवाओं ने केतकर नाम के एक ब्राम्हण परिवार को यहां पुजा करने का जिम्मा सौंपा था। यहां हर साल हिंदू रिति-रिवाज से पूजा होती आ रही हैं और खासतौर पर माघ पूर्णिमा को भव्य पूजा होती है। यहां हर रोज दिया जलाया दाता है और दही भात का भोग लगाया जाता है। साथ ही हर साल बाबा पालकी निकलती है। वहीं, मुस्लिम पक्ष का दावा है कि यह मजार सूफी फकीर हाजी अब्दुल रहमान शाह मलंग उर्फ मलंग बाबा की है। वह 13 सदी में यमन से कल्याण इस जगह पर आए थे । 80 के दशक में शिवसेना ने इस मुद्दे को सियासी हथियार बनाया और तभी से विवाद शुरू हुआ।