
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) की नेता एवं सांसद सुप्रिया सुले ने एअर इंडिया पर ‘‘लगातार कुप्रबंधन’’ का शनिवार को आरोप लगाते हुए कहा कि उड़ानों में देरी एक चलन बन गया है जिससे ‘प्रीमियम’ किराया चुकाने के बावजूद यात्री प्रभावित हो रहे हैं। सुले ने एअर इंडिया की एक उड़ान में बुकिंग कराई थी जिसके संचालन में एक घंटे 19 मिनट की देरी हुई जिसके बाद सांसद ने यह तीखी टिप्पणी की। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि ‘प्रीमियम’ किराया चुकाने के बावजूद उड़ानें देरी से संचालित हो रही हैं। उन्होंने नागर विमानन मंत्री राममोहन नायडू से मांग की कि लगातार देरी के लिए विमानन कंपनी को जवाबदेह ठहराया जाए।
एयर इंडिया की सुप्रिया सुले ने की आलोचना
बारामती से सांसद ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘उड़ानों में निरंतर देरी हो रही है - यह अस्वीकार्य है। हम ‘प्रीमियम’ किराया चुकाते हैं, फिर भी उड़ानें कभी समय पर संचालित नहीं होती हैं। पेशेवर, बच्चे और वरिष्ठ नागरिक - सभी लगातार जारी इस कुप्रबंधन से प्रभावित हैं।’’ सुले ने कहा कि वह एअर इंडिया की उड़ान संख्या एआई0508 से यात्रा कर रही थीं, जिसके संचालन में एक घंटे 19 मिनट की देरी हुई। उन्होंने कहा, ‘‘लगातार जारी यह चलन यात्रियों को प्रभावित कर रहा है।’’ सुले ने मांग की कि बार-बार देरी के लिए एअर इंडिया जैसी विमानन कंपनियों को जवाबदेह बनाने और यात्रियों के लिए बेहतर सेवा मानक सुनिश्चित करने के लिए सख्त नियम लागू किए जाएं।
सुप्रिया सुले बोलीं- फ्लाइट ट्रैकर खराब था
सुले ने संवाददाताओं से कहा कि ‘फ्लाइट ट्रैकर’ (विमान के समय की जानकारी देने वाली प्रणाली) खराब थे, जिससे भ्रामक जानकारी मिल रही थी। उन्होंने कहा, ‘‘मैं उड़ान में दिल्ली हवाई अड्डे पर फंसी हुई थी, लेकिन ‘ट्रैकर’ में दिखाई दे रहा था कि विमान उड़ान भर चुका है। मैं ‘ट्रैकर’ के मुद्दे को नागर विमानन मंत्री के समक्ष उठाऊंगी।’’ सुले के आरोपों पर एअर इंडिया को भेजे गए सवाल का जवाब अभी नहीं मिला है। केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी उन्हें ‘‘टूटी हुई’’ सीट आवंटित करने के लिए टाटा समूह के स्वामित्व वाली एअर इंडिया की पिछले महीने आलोचना की थी।
क्या होता है फ्लाइट ट्रैकर?
फ्लाइट ट्रैक एक टेक्निकल टूल होता है जो हवाई जहाज के रीयल टाइम उड़ानों को ट्रैक करता है। यह ट्रैकर विमान की स्थिति, ऊंची, रफ्तार और डेस्टिनेशन की जानकारी देता है। यात्रियों, एयरलाइंस और विमानन प्राधिकरण द्वारा इसका उपयोग किया जाता है। यात्री उड़ान की अपनी फ्लाइट का स्टेटस जानने के लिए इस्तेमाल करते हैं। वहीं एयरलाइस के ट्रैफिक प्रबंधन और आपात स्थिति में भी यह बेहद उपयोगी है। फ्लाइट ट्रैकर मुख्य रूप से ADS-B तकनीक पर काम करता है, जिसमें विमान अपने जीपीएस डेटा को प्रसारित करते हैं। इसके लिए प्ले स्टोर और ऐप स्टोर पर कई सारे थर्ड पार्टी ऐप्स भी मौजूद हैं, जिसके जरिए विमानों के स्टेट्स को ट्रैक किया जा सकता है।
(इनपुट-भाषा)