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PFI पर बैन के बाद अब क्या मुस्लिम संगठन Raza Academy पर लगेगा बैन? MNS ने की मांग

MNS के उपाद्यक्ष यशवंत किल्लेदार ने कहा कि महाराष्ट्र में मुंबई के आजाद मैदान दंगो के बाद से ही राज ठाकरे ने मुम्बई में रजा अकादमी के खिलाफ मोर्चा निकाला था और उनपर पाबंदी लगाने की मांग की थी, और आज भी हम अपनी मांग पर कायम है।

Reported By : Sachin Chaudhary Edited By : Akash Mishra Updated on: September 29, 2022 23:58 IST
MNS chief Raj Thackeray(File Photo)- India TV Hindi
Image Source : PTI MNS chief Raj Thackeray(File Photo)

Raza Academy: PFI पर बैन के बाद महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने मुस्लिम संगठन रज़ा अकादमी पर बैन लगाने की मागं की है। MNS के उपाद्यक्ष और पार्टी प्रवक्ता यशवंत किल्लेदार ने कहा कि महाराष्ट्र में मुंबई के आजाद मैदान दंगो के बाद से ही राज ठाकरे ने मुम्बई में रजा अकादमी के खिलाफ मोर्चा निकाला था और उनपर पाबंदी लगाने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि आज भी हम अपनी मांग पर कायम है और नई शिंदे फडनविस सरकार से भी हम रजा अकेडमी पर बैन की मांग करेंगे। 

'हिंदुत्व के मुद्दे पर कहां गई उद्वव ठाकरे की शिवसेना'

MNS के उपाद्यक्ष यशवंत किल्लेदार ने कहा कि हिंदुत्व के मुद्दे पर अब उद्वव ठाकरे की शिवसेना कहा गई? क्यों अरविंद सावंत कह रहे कि पहले जाँच करें फिर कार्रवाई करें। उन्हें रजा अकादमी का इतिहास नही मालूम क्या? या फिर उद्वव ठाकरे ने कांग्रेस NCP के साथ गठबंधन कर लिया, इसलिए भूमिका बदल दी ? या अरविंद सावंत के लोकसभा चुनाव क्षेत्र में भेंडी बाजार का मुस्लिम इलाका पड़ता है इसलिए वो खमोश है? 

'राज ठाकरे के कद कोई नेता नहीं'

दशहरा रैली की राजनीति पर पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि बालासाहब ठाकरे के हिंदुत्व के विचारों को सिर्फ राज ठाकरे आगे ले जा रहे हैं, इसलिए बालासाहेब के असली वारिस राज ठाकरे ही है।  उन्होंने कहा कि आज महाराष्ट्र में राज ठाकरे के कद कोई बड़ा नेता नहीं जो बालासाहेब का वारिस हो। उन्होंने कहा कि उद्धव ठाकरे को शिवाजी पार्क में दशहरा रैली करके कोई फायदा नही होगा, क्योंकि वो बालासाहेब के विचारों पर नही चलते। MNS नेता ने कहा कि क्या उद्वव ठाकरे दशहरा रैली में मस्जिदों के लाउडस्पीकर को बंद करने की, रजा अकेडमी पर बैन लगाने की मांग करेंगे? 

कब हुई रज़ा अकादमी की शुरुआत?

रज़ा अकादमी की शुरुआत 1978 में हुई थी। अलहाज मोहम्मद सईद नूरी नाम के शख्स ने इसकी शुरुआत की थी। नूरी 1986 से ही इस संगठन के अध्यक्ष हैं। रज़ा अकादमी की ओर से इमाम-ए-अहमद रजा खान कादरी और अन्य सुन्नी इस्लामिक स्कॉलरों की किताबें छापी जाती हैं। ये किताबें अब तक उर्दू, अरबी, हिंदी और अंग्रेजी में छपती रही हैं। लेकिन रज़ा अकादमी की चर्चा इस वजह से शुरू नहीं हुई थी। यह अपने आंदोलनों की वजह से चर्चा में आई।

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