मुंबई में एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने स्टेट जीएसटी इंस्पेक्टर और 16 व्यापारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। सूत्रों ने बताया कि 175 करोड़ से अधिक का कथित घोटाला हुआ है। स्टेट जीएसटी की विजिलेंस टीम की तरफ की गई जांच के बाद, स्टेट जीएसटी इंस्पेक्टर अमित लालगे और उसके साथ साजिश करने का संदेह में 16 व्यापारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। एसीबी सूत्रों ने बताया की यह एफआईआर IPC की धारा 120 (B), 403, 409, 420, 465, 467, 468, 471 और प्रीवेन्शन ऑफ़ करप्शन एक्ट की धारा 7, 13(1)(A) और 13(2) के तहत दर्ज की गई है। पुलिस अब इस मामले में मनी ट्रेल की जांच कर रही है।
साल 2021-22 में हुआ घोटाला
एसीबी के मुताबिक़ यह स्कैम अगस्त 2021 और मार्च 2022 के बीच हुआ था जब लालगे स्टेट जीएसटी के घाटकोपर डिवीजन में सेल्स टैक्स अधिकारी के पद पर नियुक्त था। उसके कार्यकाल में 16 ट्रेडर ने फ़ेक डॉक्यूमेंट जमा किया ताकि उन्हें GSTN नंबर मिल सके। इतना ही नहीं राज्य सरकार को किसी भी तरह का जीएसटी ना देने के बावजूद उन्होंने जीएसटी रिफ़ंड के लिए 39 आवेदन दाखिल किए जो कुल मिलाकर 1,75,93,12,622 रुपये का है।
सरकार को लगाया करोड़ों का चूना
सूत्रों ने बताया कि जीएसटी पोर्टल के बीओ प्रणाली में संकेत मिला था कि ये टैक्सपेयर नकली है उसके बावजूद उसने उसे वेरिफ़ाय नहीं किया और रीजेक्ट करने के बजाय उसे स्वीकार किया और इसलिए उसने 16 व्यापारियों के साथ साजिश की। अपने पद का दुरुपयोग किया और राज्य सरकार को 1,75,93,12,622 रुपये का नुकसान पहुंचाया।
पद का दुरुपयोग किया गया
सूत्रों ने यह भी दावा किया है की स्टेट जीएसटी द्वारा एसीबी को दिये गये विजिलेंस रिपोर्ट में लालगे की कई गलतियों को बताया, जहां उसने अपने पद का दुरुपयोग किया। एसीबी ने आगे बताया कि लालगे, जो क्लास 2 के अधिकारी हैं उन्हें 5 लाख से अधिक रिटर्न फाइलें स्वीकृत करने का अधिकार नहीं था। हालांकि, इस मामले में उन्होंने प्रोटोकॉल को अनदेखा करके 5 लाख रुपये से अधिक की रिटर्न फाइलें स्वीकृत की। इसके अलावा जब कंपनियां फ़ोरेन एक्सपोर्ट डेटेल्स देती हैं तब उन्हें कंपनी की वेबसाइट पर दिए पते पर जाकर उसे वेरिफ़ाय करना होता है जो उन्होंने नहीं किया।
सूत्रों ने किया बड़ा दावा
एसीबी इस बात की भी जांच रही है कि पहले जांच को नियमों के अनुसार क्यों रिपोर्ट नहीं किया गया था। आपको बता दें की इस मामले की जानकारी साल 2022 में पता चली थी। इसके बाद विजिलेंस डिपार्टमेंट को जांच करने के लिए कहा गया। सूत्रों ने यह भी दावा किया कि विभाग ने अब तक मामले में एफआईआर दर्ज नहीं कराई थी जिस वजह से यह भी संदेह है की क्या बड़े अधिकारी भी इसमें शामिल थे?
जाली थे दस्तावेज
जांच के अनुसार, घाटकोपर से 16 व्यापारियों और कुर्ला से एक व्यापारी को 175 करोड़ से अधिक के नॉन-रिफंडेबल रिटर्न दिए गए थे। इन 16 के पास उपलब्ध केवल तीन पते थे और सभी व्यापारियों द्वारा उल्लिखित पते उन्होंने रेंट पर लिए हुए दुकानों के थे और उनका क्षेत्रफल 200 से 300 वर्ग फुट का था। दुकानदार असली नहीं थे और दस्तावेज़ जाली थे।
सूत्रों ने आगे बताया की 6 अप्रैल 2022 को, स्टेट टैक्स कमिश्नर ने ठाणे रीजन के एडिशनल सेल टैक्स कमिश्नर के नेतृत्व में जांच समिति का गठन किया। समिति ने पाया की 16 व्यापारियों ने 2021-2022 के वित्तीय वर्ष के लिए 39 रिफंड आवेदन दाखिल किए थे जिनका मूल्य 175 करोड़ से अधिक था। ये आवेदन ‘‘Exports of goods without payment of tax and Inverted tax structures’ शीर्षक के अंतर्गत किए गए थे।
2022 में किया जा चुका है निलंबित
जांच में यह भी पता चला कि घाटकोपर से संबंधित सभी मामले लालगे को सौंपे गए थे, जिन्होंने जीएसटी कार्यालय में आवेदन प्रोसेस किए और रिफंड को मंजूरी दी। कुर्ला के व्यापारी का आवेदन एक और अधिकारी ने प्रोसेस किया था जिसका नाम FIR में अभी तक नहीं है। जैसे ही लालगे की भूमिका सामने आई, उसे मई 2022 में निलंबित किया गया, जबकि सवालिया अधिकारी को जून में निलंबित किया गया।