Friday, November 22, 2024
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प्रियंका ने 30 मिनट की स्पीच में सिर्फ एक बार लिया सिंधिया का नाम, आखिर इस चुप्पी का क्या है राज?

प्रियंका गांधी ने सिंधिया के गढ़ में करीब 30 मिनट भाषण दिया। इस दौरान उन्होंने मध्यप्रदेश की बीजेपी सरकार पर जमकर हमला बोला। एमपी में कांग्रेस सरकार बनाने की अपील की, लेकिन भाषण के दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया पर कोई हमला नहीं किया।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Updated on: July 22, 2023 6:14 IST
priyanka gandhi jyotiraditya scindia- India TV Hindi
Image Source : PTI प्रियंका गांधी, ज्योतिरादित्य सिंधिया

ग्वालियर: मध्य प्रदेश में गरमाते चुनावी माहौल के बीच कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी का ग्वालियर आना हुआ। उन्होंने जनाक्रोश महारैली के जरिए बेरोजगारी व महंगाई को लेकर केंद्र सरकार और घोटालों को लेकर शिवराज सरकार पर जमकर हमले बोले। प्रियंका कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए ज्योतिरादित्य सिंधिया पर तीखे हमले करने से बचीं। वहीं, इस आयोजन से प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ के बेटे और छिंदवाड़ा के सांसद नकुलनाथ का कद बढ़ गया। ग्वालियर में आयोजित जनाक्रोश महारैली को लेकर सियासी गलियारों में कई तरह के सवाल थे। हर किसी की नजर प्रियंका गांधी के भाषण पर थी। क्योंकि, ग्वालियर चंबल संभाग कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए ज्योतिरादित्य सिंधिया और सिंधिया राजघराने का प्रभाव वाला इलाका है। कांग्रेस से जुड़े नेता अपेक्षा कर रहे थे कि प्रियंका गांधी ग्वालियर में सिंधिया पर तीखे हमले बोलेंगी लेकिन, ऐसा हुआ नहीं।

सिंधिया को लेकर इस चुप्पी की वजह क्या?

यहां प्रियंका ने करीब 30 मिनट भाषण दिया। इस दौरान उन्होंने मध्यप्रदेश की बीजेपी सरकार पर जमकर हमला बोला। एमपी में कांग्रेस सरकार बनाने की अपील की, लेकिन भाषण के दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया पर कोई हमला नहीं किया। प्रियंका गांधी ने नकारात्मक राजनीति की बजाय जनता के मुद्दों पर ज्यादा फोकस किया और उन्होंने यहां तक कहा कि 30 मिनट के भाषण में 10 मिनट प्रधानमंत्री जी की आलोचना कर सकती हूं, 10 मिनट के लिए मैं यह कह सकती हूं कि कितनी घोषणाएं नकली की, कितने घोटाले किए, कितने नाटक करते हैं शिवराज जी और मैं 10 मिनट के लिए सिंधिया जी के बारे में भी बोल सकती हूं कि किस तरह से अचानक उनकी विचारधारा ही पलट गई। लेकिन, मैं यहां आपका ध्यान भटकाने के लिए नहीं आई हूं।

प्रियंका ने पुराने रिश्तों का मान रखा?
बता दें कि ज्योतिरादित्य के पिता माधवराव सिंधिया और प्रियंका के पिता राजीव गांधी करीबी मित्र थे। ज्योतिरादित्य भी जब तक कांग्रेस में थे, प्रियंका के बेहद करीब थे। सिंधिया के बीजेपी में जाने के बाद से सियासत पूरी तरह बदल गई, लेकिन प्रियंका ने इसे रिश्तों पर हावी नहीं होने दिया। अब सवाल यह है कि प्रियंका ने पुराने रिश्तों का मान रखा या भविष्य के संबंधों की नींव रखी। वहीं, मंच से विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने जरूर सिंधिया परिवार और ज्योतिरादित्य सिंधिया पर तीखे हमले किए। नेता प्रतिपक्ष ने प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 की क्रांति से लेकर 2020 तक सिंधिया परिवार से जुड़ी घटनाओं का सिलसिलेवार ब्यौरा दिया और सिंधिया परिवार को सत्ता लोलुप भी बताया।

नकुलनाथ का कद बढ़ा
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के पुत्र व छिंदवाड़ा से सांसद नकुल नाथ को खास अहमियत मिली। नकुलनाथ प्रदेश में इकलौते कांग्रेस के सांसद हैं, जिन्होंने लोकसभा चुनाव जीता है। राज्य की 29 में से 28 लोकसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा है। नकुल नाथ को मंच से बोलने का मौका मिला और उन्होंने राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने का भरोसा भी जताया। संभवत यह पहला अवसर था जब नकुलनाथ को छिंदवाड़ा के बाहर कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता की मौजूदगी में आयोजित कार्यक्रम में बोलने का अवसर मिला, इसे सियासी तौर पर काफी अहम माना जा रहा है।

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इसके अलावा राज्यसभा सांसद राजमणि पटेल को भी संबोधित करने का अवसर दिया गया। ग्वालियर के व्यापार मेले में आयोजित कांग्रेस की जनाक्रोश महारैली में मंच पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुरेश पचौरी, अरुण यादव, कांतिलाल भूरिया, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह के अलावा कई अन्य वरिष्ठ नेता थे। मगर, उन्हें बोलने का अवसर नहीं मिला।

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