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विधानसभा चुनाव से पहले ब्राह्मणों पर क्यों इतने मेहरबान हुए सीएम शिवराज, कर दिए कई बड़े ऐलान, जानें

मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में अभी देरी है, लेकिन इस बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ब्राह्मणों पर कुछ ज्यादा ही मेहरबान दिख रहे हैं। ब्राह्मणों के लिए कई बड़े ऐलान किए हैं। जानिए क्या है वजह?

Edited By: Kajal Kumari
Published on: April 25, 2023 9:25 IST
cm shivraj big announcement- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO सीएम शिवराज ने ब्राह्मणों के लिए किया बड़ा ऐलान

मध्य प्रदेश: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान विधानसभा चुनाव की अपनी रणनीति को तैयार करने में अभी से ही जुट गई है।विधानसभा चुनाव से महीनों पहले शिवराज सिंह चौहान ने ब्राह्मणों के लिए कई अहम फैसले लिए हैं। शिवराज सरकार ने एक कल्याण बोर्ड के गठन के साथ ही ब्राह्मणों को लुभाने की कोशिश में लग गई है। इसके अलावा, सरकार ने यह भी घोषणा की है कि वह इंदौर के जानापाव में भगवान श्री परशुराम लोक धार्मिक गलियारे का विकास करेगी। इस बीच, मंदिरों को उनकी अपनी भूमि पर अधिकार के लिए अधिक शक्ति दी गई है।

'ब्राह्मण कल्याण बोर्ड' का गठन 

सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा, "हमने तय किया है कि मंदिरों की गतिविधियों पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं होगा और मंदिर की जमीन की नीलामी कलेक्टरों द्वारा नहीं बल्कि पुजारियों द्वारा की जाएगी।" उन्होंने कहा, "ब्राह्मणों ने हमेशा धर्म और संस्कृति की रक्षा की है। इसलिए उनके कल्याण के लिए हम 'ब्राह्मण कल्याण बोर्ड' का गठन करेंगे।"

शिवराज ने कहा कि मध्य प्रदेश में दो ज्योतिर्लिंगों सहित 21,104 मंदिर हैं। इनमें से 1,320 मंदिरों के पास 10 एकड़ से अधिक कृषि भूमि है। बिना कृषि भूमि वाले मंदिरों के लिए, पुजारियों को प्रति माह ₹ 5,000 का मानदेय दिया जाता है।

ब्राह्मणों पर क्यों मेहरबान हैं सीएम शिवराज

हालांकि सरकार के इस कदम ने सवालों को जन्म दिया है, खासकर तब जब ब्राह्मणों की संख्या राज्य के मतदाताओं का केवल 5 से 6 प्रतिशत है। बस सतना और रीवा जिले की कुछ विधानसभा सीटों पर ब्राह्मणों की आबादी 40 फीसदी के पार है।

बता दें कि 2018 में विंध्य क्षेत्र ने कांग्रेस को पूर्ण बहुमत से सत्ता में लौटने से रोक दिया था। यह क्षेत्र अब चुनावी राज्य के सबसे पेचीदा युद्ध के मैदानों में से एक के रूप में उभर रहा है। 2018 में, भाजपा ने विंध्य में 30 में से 24 सीटें जीतीं थीं और साल  उससे पहले साल 2013 में 17 से अधिक सीटें जीतीं थीं। वहीं, कांग्रेस की सीटों की संख्या 11 से घटकर छह हो गई थी।

लेकिन दो हालिया घटनाओं और कुछ क्षेत्रों में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी का उदय और विधायक नारायण त्रिपाठी द्वारा बनाई गई एक नई पार्टी  ने भाजपा को चिंता में डाल दिया है।  

रीवा और सिंगरौली में, भाजपा पिछले साल शहरी स्थानीय निकाय चुनाव हार गई थी क्योंकि AAP ने सिंगरौली में जीत के साथ मध्य प्रदेश में अपनी शुरुआत की थी। श्री त्रिपाठी, जो पहले भाजपा के थे, इस बीच यह दावा करते हुए पेशी दिखा रहे हैं कि उनकी पार्टी इस क्षेत्र की 30 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी।

कांग्रेस ने भाजपा की चाल की खिल्ली उड़ाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री 18 साल बाद ब्राह्मणों को सम्मान देने की सोच रहे हैं। कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा ने कहा, 'आज तक कैबिनेट में उनकी उपेक्षा करते रहे, अब ब्राह्मणों को रिझाने के लिए घोषणाएं कर रहे हैं।'

बीजेपी नेता राहुल कोठारी ने कहा, 'इसे चुनाव या वोट के नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा, "कांग्रेस को आरोप लगाने दीजिए लेकिन उन्हें पहले अपने कार्यकाल के दौरान मंदिरों की स्थिति के लिए जवाब देना चाहिए। उन्हें रामवन पथ गमन के लिए जवाब देना चाहिए।"

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