किर्गिस्तान में हो रही हिंसा के बीच उज्जैन के 10 से ज्यादा स्टूडेंट्स वहां फंसे हुए हैं। वे इतने डरे और सहमे हुए हैं कि किसी भी तरह जल्द से जल्द भारत वापस आना चाहते हैं। उन्होंने पीएम मोदी और मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव से रेस्क्यू की गुहार लगाई है। दरअसल किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक और आसपास के इलाकों में भारतीय, पाकिस्तानी और बांग्लादेशी स्टूडेंट्स को खासतौर पर निशाना बनाया जा रहा है। भारत से कई स्टूडेंट्स मेडिकल की पढ़ाई के लिए किर्गिस्तान में हैं।
किर्गिस्तान के बिश्केक में रह रहे उज्जैन के राज सोलंकी की माता अलका सोलंकी ने बातचीत में कहा, 'हमारे बेटे की जान पर खतरा है। क्रिमिनल्स हॉस्टल में घुसकर मार रहे हैं। कोई सिक्योरिटी नहीं है, गेट लॉक कर और परदे लगाकर रखने को कहा जा रहा है। ऐसा बताया जा रहा है कि 3 से 4 पाकिस्तानी बच्चों का मर्डर भी हो चुका है। पीएम मोदी से रिक्वेस्ट है कि हमें जल्द यहां से निकालें।' राज सोलंकी उज्जैन में अपने मामा डॉ. विजय बोड़ाना के पास रहते थे। एक साल पहले ही किर्गिस्तान में एमबीबीएस करने गए हैं।
किर्गिस्तान में सस्ती है पढ़ाई
किर्गिस्तान में एमबीबीएस की पढ़ाई भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश के मुकाबले काफी सस्ती है। फिलहाल परिस्थियों को देखते हुए किर्गिस्तान सरकार ने एग्जाम को ऑनलाइन कराने का फैसला किया है। उज्जैन के योगेश चौधरी भी किर्गिस्तान में एमबीबीएस कर रहे हैं। वे फोर्थ ईयर में हैं। उनके पिता डॉ. चैनसिंह चौधरी बताते हैं कि अगर सरकार ने जल्द फैसला नहीं लिया तो दिल्ली जाकर विदेश मंत्री के सामने अपनी बात रखेंगे।
पीएम से उम्मीद जता रहे अभिवावक
वही एक और विद्यार्थी रवि सराटे की माता लीना सराटे का कहना है कि वहां की स्थिति इतनी भयावह है कि हम बता नहीं सकते। हम प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से यही चाहते हैं कि जिस तरह उन्होंने यूक्रेन में भारतीय स्टूडेंट की मदद की वैसी ही मदद हमारे बच्चों की करें।
(उज्जैन से प्रेम डोडिया की रिपोर्ट)