भोपाल: मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की फायर ब्रांड नेता उमा भारती के तेवर आक्रामक हैं, वे शराब मुक्ति के अभियान को लेकर कभी नरम तो कभी तल्ख तेवर अपनाती हैं। उन्होंने अगले चुनाव में जीतने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को परामर्श दिया है कि वे सेवक नहीं शासक की भूमिका में आएं। लेकिन सवाल है कि अपनी ही पार्टी के खिलाफ वह इतना सख्त रुख क्यों अपना रही हैं? साथ ही पार्टी पर इसका क्या असर पड़ सकता है।
बता दें कि दो दिन पहले ही उमा भारती ने सीएम शिवराज से मुलाकात की थी। इस दौरान उन्होंने अपने परामर्श को ज्यो का त्यों लागू कराने की मांग की थी। मुलाकात के बाद उन्होंने कहा था कि मैं भाजपा, सरकार या शिवराज जी की विरोधी नहीं हूं, मैं सिर्फ शराब की दुश्मन हूं और गंगा की भक्त हूं। अपने मुलाकात के संबंध में उन्होंने ट्वीट कर जानकारी दी थी।
उमा भारती ने आज ट्वीट कर कहा, शराब की नीति, लोग शराब न पिए इसके लिए होती है। शराब की नीति बनाने का काम जनप्रतिनिधियों का है क्योंकि यह एक सामाजिक जनहित का विषय है। इस पर अधिकारी या शराब के ठेकेदार बिल्कुल दखल नहीं दे सकते।
उन्होंने आगे कहा, महिलाओं की सुरक्षा, मध्य प्रदेश के नौजवानों का भविष्य ध्यान में रखकर नीति भाजपा को एवं सरकार को बनाना चाहिए तथा उसको लागू करने का तरीका अधिकारियों को निकालना चाहिए। शराब ठेकेदारों को कोई हानि होती है तो वह दूसरे व्यापार करें। उमा भारती ने साफ कहा, हम जनप्रतिनिधि हैं एवं सरकारी अधिकारी जनसेवक हैं। हमें शराब के ठेकेदारों के भविष्य की फिक्र नहीं करनी है, बल्कि नौजवानों का भविष्य एवं महिलाओं की सुरक्षा तथा सभी के स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर नीति हम बनाएं, लागू करने का रास्ता अधिकारी निकालें।
पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने सलाह के अंदाज में कहा, शिवराज के पास अभी आठ महीने हैं, मैं पूरी तरह से बीजेपी के साथ हूं कि हम चुनाव लड़े, जीतें एवं सरकार बनाएं लेकिन उन्हें सेवक की जगह शासक की भूमिका में आना पड़ेगा। साथ ही उन्होंने एक ट्वीट में मुख्यमंत्री को लिखा, शिवराज के लिए मेरा संदेश, उत्तिष्ठ नरशार्दुल, पूर्वा संध्या प्रवर्तते, हे शेर तुम उठो, सूर्य फिर से उगने वाला है।