उमरिया: दुनिया के सबसे शानदार जीवों की लिस्ट बनेगी तो उसमें बाघ या टाइगर का नाम जरूर आएगा। यह प्रजाति शिकार को लेकर अपनी शैली और अपने शानदार रूप-रंग के लिए हमेशा से लोगों की पसंद रहा है। लेकिन क्या हो यदि बाघ और बाघिन में ही जंग हो जाए? मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में भी कुछ ऐसा ही हुआ। यहां एक बाघ और बाघिन में भयंकर लड़ाई हुई। हालांकि इस लड़ाई का नतीजा कहीं से भी सही नहीं कहा जा सकता क्योंकि इसमें बाघिन को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा।
3 से 4 साल थी बाघिन की उम्र
मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व (BTR) के बफर जोन में एक बाघिन मृत पाई गई है। बाघिन का पोस्टमॉर्टम के बाद अंतिम संस्कार कर दिया गया है। उससे कुछ नमूने लेकर जांच के लिए भी भेजे गए हैं। वन विभाग के सहायक संचालक आर. एन. चौधरी ने गुरुवार को बताया कि बीटीआर के धमोखर बफर क्षेत्र में बुधवार शाम को लगभग 3 से 4 साल की आयु की बाघिन मृत अवस्था में मिली है। उन्होंने बताया कि बाघिन के शव के पास में ही एक नर बाघ के पंजों के निशान मिले। प्रथम दृष्ट्या मृत मादा बाघ पर खरोंच और घाव के निशान मिले, जो दूसरे बाघ के साथ हुए संघर्ष को इंगित करते हैं।
बाघिन का किया गया अंतिम संस्कार
आधिकारिक तौर पर इस संबंध में भोपाल में बताया गया कि बांधवगढ़ के पशु चिकित्सक डॉ. नितिन गुप्ता, डॉ. हिमांशु (डब्ल्यू.सी.टी.) एवं डॉ. अमूल रोकड़े द्वारा 24 सितम्बर को सुबह शव का पोस्टमॉर्टम किया गया, जिसमें मादा बाघ की टेरिटोरियल फाइट से मृत्यु होने की पुष्टि हुई है। प्रोटोकॉल के अनुसार बाघिन के हिस्टोपेथोलॉजिकल और टॉक्सिकोलॉजिकल नमूने लिये गये, जिन्हें निर्धारित संस्थानों को निरीक्षण के लिये भेजा जा रहा है। क्षेत्र संचालक विन्सेंट रहीम, उप संचालक सिद्धार्थ गुप्ता और सहायक संचालक आर. एन. चौधरी की मौजूदगी में मादा बाघ का अंतिम संस्कार किया गया।