मध्य प्रदेश के बुरहानपुर शहर के शिकारपुरा मोहल्ले में जब तीन बेटियां अपने पिता की अर्थी पर कंधा लेकर निकली तो यह नजारा देख सब कुछ पलों के लिए ठहर गए और भावुक हो गए। इन तीन बेटियों ने न केवल अपने पिता की अर्थी को कंधा दिया बल्कि अपने पिता की चिता को मुख्याग्नि भी दी।
बेटियों ने आखिरी सफर में दिया साथ
दरअसल, मृतक रामदास सोनी (उम्र 85 साल) के पुत्र का एक महीने पहले ही निधन हुआ था। उसके बाद पिता का निधन हो गया। वैसे तो हमारे समाज में मृत्य होने पर मृतक का बेटा या कोई पुरूष रिश्तेदार ही अर्थी को कंधा देता हौ और उसी से अंतिम संस्कार करने की परंपरा है। लेकिन हाल के कुछ दिनों में यह देखने में आ रहा है कि जिस परिवार में बेटा नहीं होता उनकी बेटिया ही अपने माता पिता की अर्थी को कंधा देती है। बेटियों द्वारा अंतिम यात्रा में शामिल होकर मुक्तिधाम पहुंच चिता को मुख्याग्नि देने की परंपरा अब शुरू हो गई है।
बेटियों का जज्बा देख नम हुई आंखें
बुरहानपुर जैसे छोटे शहर में अब यह कोई नई बात नहीं रही। ताजे घटनाक्रम में भी मृतक पिता की अर्थी को उनकी तीन बेटियों ने बेटा नहीं होने पर बेटे का फर्ज निभाते हुए अर्थी को कंधा दिया और अंतिम संस्कार की सभी रस्मे निभाई। मृतक रामदास के बेटा नहीं होने पर बेटियों सुनीता सोनी, उमा सोनी और रेखा सोनी सहित दामाद मनीष सोनी ने अंतिम संस्कार का जिम्मा उठाया। तीनों बेटियों ने अपने पिता की अर्थी को कंधा दिया और अंतिम संस्कार भी किया। बेटियों का साहस देख लोगों की आंखें भर गई।
(रिपोर्ट- शारिक अख्तर दुर्रानी)
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