इंदौर (मध्य प्रदेश): मध्य भारत में सर्राफा कारोबार के गढ़ माने जाने वाले इंदौर में कोविड-19 के प्रकोप के साथ ही काम-धंधा ठप पड़ जाने के कारण पश्चिम बंगाल मूल के करीब 20,000 स्वर्णकारों में से ज्यादातर लोग घर वापसी का मन बना चुके हैं। अपनी आजीविका के भविष्य को लेकर फिक्रमंद इन लोगों को महसूस हो रहा है कि रत्न-आभूषण उद्योग की चमक लौटने में अभी लम्बा समय लगने वाला है।
इस बीच, मामले ने सियासी तूल भी पकड़ लिया है क्योंकि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इंदौर में अलग-अलग क्षेत्रों में काम कर रहे हजारों बंगाली कामगारों की सुरक्षित घर वापसी सुनिश्चित किये जाने का मुद्दा पश्चिम बंगाल की अपनी समकक्ष ममता बनर्जी के सामने बाकायदा पत्र लिखकर उठाया है।
पश्चिम बंगाल मूल के स्वर्णकारों की संस्था इंदौर बंगाली स्वर्णकार लोकसेवा समिति के अध्यक्ष कमलेश बेरा ने बुधवार को बताया, "हमारे पास हर रोज कई बंगाली स्वर्णकारों के फोन आ रहे हैं। ये सब जल्द से जल्द घर लौटने के लिये परेशान हो रहे हैं।" बेरा ने बताया, "ज्यादातर बंगाली स्वर्णकारों के मन में यह बात घर कर चुकी है कि नवंबर में पड़ने वाली दीपावली के पहले उनका कारोबार पटरी पर नहीं लौटेगा। इसलिये वे तुरंत घर लौटना चाहते हैं।"
उन्होंने मांग की कि बंगाली स्वर्णकारों को घर पहुंचाने के लिये इंदौर से कोलकाता के बीच कम से कम पांच विशेष रेलें चलायी जानी चाहिये। बेरा ने यह भी बताया कि ई-पास की सुविधा शुरू होने के बाद पिछले 10 दिन में करीब 1,000 बंगाली स्वर्णकार अपने खर्च से बसों और अन्य चारपहिया गाड़ियों का इंतजाम कर पश्चिम बंगाल स्थित अपने घरों के लिये रवाना हो चुके हैं।
उन्होंने बताया, "इन वाहनों से घर पहुंचने के लिये हर बंगाली स्वर्णकार को 5,000 रुपये से 6,000 रुपये का किराया देना पड़ा रहा है जो इस मुश्किल समय के लिहाज से बहुत ज्यादा है।" उधर, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इंदौर में फंसे हजारों बंगाली कामगारों की सुरक्षित घर वापसी के बारे में पश्चिम बंगाल की अपनी समकक्ष ममता बनर्जी को 17 मई को पत्र लिखा।
पत्र में चौहान ने कहा, "लॉकडाउन के दौरान ये प्रवासी श्रमिक अपने गृह स्थान (पश्चिम बंगाल) लौटना चाहते हैं। किंतु अत्यधिक लम्बी दूरी होने व परिवहन के लिये शासकीय साधन नहीं होने से कुछ प्रवासी श्रमिक निजी वाहनों से पश्चिम बंगाल के लिये प्रस्थान कर रहे हैं जो महंगा होने के साथ एक असुविधाजनक और असुरक्षित विकल्प है।"
मुख्यमंत्री ने पत्र में आगे कहा, "अत: पश्चिम बंगाल के जो मजदूर भाई-बहन इंदौर से अपने घर जाना चाहते हैं, उनकी सुविधा के लिये कृपया रेल मंत्रालय को आपके राज्य (पश्चिम बंगाल) की ओर से इंदौर एवं कोलकाता के मध्य एक विशेष ट्रेन चलाये जाने की आवश्यकता से अवगत कराये जाने का अनुरोध है।" इस बीच, पश्चिम बंगाल मूल के सर्राफा कारोबारी दुर्रान ने दावा किया कि इंदौर में पिछले डेढ़ महीने के दौरान चार बंगाली स्वर्णकारों की मौत हो चुकी है जिनमें में से दो लोग जांच में कोविड-19 से संक्रमित पाये गये थे।
हालांकि, उनके इस दावे की फिलहाल आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है। दुर्रान ने कहा, "बंगाली स्वर्णकार इंदौर में कोरोना वायरस के प्रकोप से जाहिर तौर पर डरे हुए हैं। वे जल्द से जल्द घर लौटकर अपने परिजनों के साथ रहना चाहते हैं और वहीं कोई काम-धंधा करना चाहते हैं।" कारोबारी सूत्रों ने बताया कि इंदौर में पश्चिम बंगाल मूल के करीब 20,000 स्वर्णकार रहते हैं जिनमें से 2,500 दुकानदार और अन्य 17,500 लोग आभूषण बनाने वाले कारीगर हैं। इनमें से ज्यादातर लोग हुगली, मिदनापुर और वर्धमान जिलों के रहने वाले हैं।
इंदौर, देश में कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में शामिल है जो इस महामारी के जारी प्रकोप के कारण लम्बे समय से रेड जोन में बना हुआ है। आधिकारिक जानकारी के मुताबिक जिले में अब तक कोविड-19 के 2,715 मरीज मिले हैं जिनमें से 105 लोगों की इलाज के दौरान मौत हो गयी है।