Sunday, January 12, 2025
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VIDEO: सफाईकर्मी गंदे पानी में डुबकी लगाकर सीवरेज की करता रहा सफाई, अधिकारी देते रहे निर्देश

गौरतलब है कि, सीवरेज की सफाई कर रहे सफाई कर्मी को निर्देशित करने वाले अधिकारियों को यह ख्याल नहीं आया कि यह युवक बिना किसी सुरक्षा उपकरणों, बिना किसी मास्क, बिना किसी ऑक्सीजन सिलेंडर के गंदे पानी से भरे गड्ढे में पूरी तरह से अंदर जाकर सफाई कर रहा है।

Reported by: Anurag Amitabh @anuragamitabh
Updated : September 13, 2021 19:30 IST
VIDEO: सफाईकर्मी गंदे पानी में डुबकी लगाकर सीवरेज की करता रहा सफाई, अधिकारी देते रहे निर्देश
Image Source : INDIA TV VIDEO: सफाईकर्मी गंदे पानी में डुबकी लगाकर सीवरेज की करता रहा सफाई, अधिकारी देते रहे निर्देश

रतलाम (मध्यप्रदेश): रतलाम से एक बहुत ही शर्मनाक कर देने वाला वीडियो सामने आया है। रतलाम में नगर निगम कर्मचारियों का असंवेदनशील और अमानवीय चेहरा सामने आया है। जो तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, उनमें नगर निगम के कर्मचारियों द्वारा नगर निगम के एक सफाईकर्मी की जान की परवाह ना करते हुए उसे गंदे पानी से भरी सीवरेज में बिना किसी सुरक्षा उपकरणों के उतार दिया गया। यह सफाई कर्मचारी अपनी जान जोखिम में डालकर सीवरेज की सफाई के लिए बार-बार उस गहरे और गंदे पानी से भरे गड्ढे में डुबकियां लगाता रहा और जिम्मेदार उसे सफाई के लिए निर्देशित करते रहे। 

गौरतलब है कि, सीवरेज की सफाई कर रहे सफाई कर्मी को निर्देशित करने वाले अधिकारियों को यह ख्याल नहीं आया कि यह युवक बिना किसी सुरक्षा उपकरणों, बिना किसी मास्क, बिना किसी ऑक्सीजन सिलेंडर के एक गंदे पानी से भरे गड्ढे में पूरी तरह से अंदर जाकर सफाई कर रहा है। एक पल के लिए भी उनको उसके परिवार का ख्याल नहीं आया कि कोई भी गंभीर हादसा हो सकता है।

बता दें कि, पूरा मामला है रतलाम नगरीय क्षेत्र के मोचीपुरा का है। जहां यह शर्मसार करने वाली घटना घटी। यहां पर स्वच्छता निरीक्षक किरण चौहान के द्वारा एक सफाई कर्मी भरत कैलाश को एक लोहे की रॉड और डंडे की सहायता से सीवरेज के सफाई के लिए बने हुए चेंबर में उतार दिया गया और उसे कई बार डुबकियां लगानी पड़ी।

उल्लेखनीय है कि नई दिल्ली में तथा अन्य प्रदेश के मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहले ही आदेश देकर फटकार लगा चुका है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि रोज लोग मर रहे हैं, सरकार इस तरह से लोगों को मरने के लिए नहीं छोड़ सकती। उन्हें सभी प्रकार के सुरक्षा उपकरण मुहैया कराने चाहिए, जिससे कि वह सीवरेज की सफाई का काम सुरक्षित तरीके से कर सकें। यदि इसी प्रकार की कार्यप्रणाली चलती रही तो फिर हम समानता की कल्पना कैसे करेंगे। 

कोर्ट ने फटकार लगाते हुए सरकार को यह भी कहा था कि आजादी के 70 वर्ष बीत चुके हैं परंतु अभी भी हम जातिगत भेदभाव को नहीं भुला पा रहे हैं। सन 1993 में हाथ से मैला ढोने की प्रथा पूर्णतया प्रतिबंधित कर दी गई थी और इस पर सजा एवं जुर्माने का भी प्रावधान है। इसके साथ ही 2013 में मैनुअल इस्क्वेनजर्स का प्रतिशत एवं पुनर्वास अधिनियम भी इसको लेकर बनाया गया था परंतु आज भी सभी कायदे कानूनों को ताक पर रखकर सफाई के नाम पर लोगों की जान को जोखिम में डाला जा रहा है। यह पूरा घटनाक्रम रविवार का बताया जा रहा है।

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