भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार (27 जून) को आदिवासियों को लेकर बड़ा फैसला लेते हुए उन्हें तोहफा दिया है। मुख्यमंत्री ने निरस्त किए गए पट्टों की 7 दिन में जांच कर रिपोर्ट देने को कहा है। सीएम चौहान ने कहा कि आदिवासी सीधे-साधे होते हैं, उनके पट्टे अपात्र बताकर निरस्त करना अनुचित है। मुख्यमंत्री चौहान ने मंत्रालय में वनाधिकार पट्टों के निराकरण की समीक्षा के दौरान कलेक्टर एवं वनमंडलधिकारी (डीएफओ) को कड़ी चेतावनी दी है। मुख्यमंत्री चौहान ने जिलावार वनाधिकार पट्टों के दावों की समीक्षा की।
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि अधिकारी माइडंसेट बना लें, गरीब के अधिकारों को मैं छिनने नहीं दूंगा। सीएम ने चेतावनी देते हुए कहा कि कलेक्टर एवं वनमंडलधिकारी (डीएफओ) ध्यान से सुन लें, कोई भी वनवासी, जो 31 दिसंबर 2005 को या उससे पहले से भूमि पर काबिज है, उसे अनिवार्य रूप से भूमि पट्टा मिल जाए। कोई पात्र वनवासी पट्टे से वंचित न रहे। काम में थोड़ी भी लापरवाही की तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में बड़ी संख्या में 3,58,339 वनवासियों के वनाधिकार दावों को निरस्त किया जाना दर्शाता है कि अधिकारियों ने कार्य को गंभीरता से लिया ही नहीं है। वनवासी समाज का ऐसा वर्ग है जो अपनी बात ढ़ंग से बता भी नहीं पाता, ऐसे में उनसे पट्टों के साक्ष्य मांगना तथा उसके आधार पर पट्टों को निरस्त करना नितांत अनुचित है। सभी कलेक्टर एवं डीएफओ सभी प्रकरणों का पुनरीक्षण कर 1 सप्ताह में रिपोर्ट दें। वनवासियों को पट्टा देना ही है।
सीएम चौहान ने मुख्य सचिव श्री बैंस को निर्देश दिए कि परीक्षण कराकर ऐसे वनवासियों को राजस्व भूमि के पट्टे प्रदान किए जाएं। मुरैना जिले की समीक्षा में सीएम ने पाया गया कि वहां 160 दावों में से 153 दावे निरस्त कर दिए गए। इस पर मुख्यमंत्री ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि अधिकारी पट्टे देना चाहते हैं कि नहीं? गरीबों के लिए यदि इस प्रकार का कार्य किया तो सख्त कार्रवाई होगी। कटनी एवं सिवनी जिलों की भी कार्य में खराब प्रगति पर चेतावनी दी गई।
गैर-आदिवासियों के भी दावे अमान्य न करें
मुख्यमंत्री ने समीक्षा में पाया कि बड़वानी जिले में 10438 वनाधिकार पट्टों के दावों में से 9764 वनवासियों के पट्टे स्वीकृत किए गए। मुख्यमंत्री ने कहा कि शीघ्र ही आदिवासी अंचलों में आदिवासी पंचायतें आयोजित की जाएंगी, जिनमें वे तथा आदिम जाति कल्याण मंत्री मीना सिंह भी जाएंगी। इनमें आदिवासियों को वनाधिकार पट्टों का वितरण किया जाएगा। मुख्यमंत्री चौहान ने निर्देश दिए कि जो गैर-आदिवासी भी पात्र हैं, उनके प्रकरणों को भी अकारण निरस्त न करें। उनके प्रकरणों का परीक्षण करें तथा प्रावधानों के अनुसार उन्हें भी पट्टे दिए जाएं। भोपाल जिले की समीक्षा में पाया गया कि यहां 6794 वनाधिकार पट्टों के दावों को निरस्त किया गया है, इनमें 404 आदिवासियों के हैं, शेष सभी गैर-आदिवासी हैं।