नई दिल्ली/भोपाल: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इंडिया टीवी के खास कार्यक्रम "मुख्यमंत्री सम्मेलन" में शिरकत की। वह इस कार्यक्रम से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जुड़े, जिसमें उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश के भीतर जुलाई में कोरोना वायरस के अधिकतम मामलों की संख्या 60 हजार तक पहुंच सकती है। यहां प्रतिदिन 6 हजार कोरोना टेस्ट किए जा रहे हैं।
कार्यक्रम में जब उनके पूछा गया कि मध्य प्रदेश में मृत्यु दर, राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है लेकिन रिकवरी रेट बेहतर है, ऐसा क्यों? तब सीएम चौहान ने कहा, "दो महीने पहले जब मैं मुख्यमंत्री बना तो राज्य में कोरोना फैल चुका था। उस समय किसी तरह की व्यवस्था नहीं थी। उपचार नहीं हो पा रहा था। शुरू में इस समस्या को रोकने और इसे समझकर व्यवस्था बनाने में पिछली सरकार से चूक हुई।"
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा, "प्रारंभ में हमारी मृत्यु दर बहुत ज्यादा थी। पहले सिर्फ 60 टेस्ट हो रहे थे और अब 6000 हो रहे थे। शुरुआत में ज्यादा मौतें हुई थीं लेकिन अब मृत्यु दर कम होती जा रही है। हमने बेहतर उपचार की व्यवस्था की है और इसलिए रिकवरी रेट अच्छा है।" चौहान ने कहा कि अस्पतालों में 83 हजार आइसोलेशन बेड की व्यवस्था की गई है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि बुखार होने पर अस्पताल नहीं फीवर क्लिनिक जाएं। एमपी में कोरोना के खतरे को ज्यादा बढ़ने नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि कोरोना से निपटने के लिए दीर्घकालिक योजना बनाई है। रोजगार के लिए आर्थिक गतिविधियां शुरू करना जरूरी है। मध्य प्रदेश में मजदूरों को रोजगार दे रहे हैं। प्रवासी मजदूरों के लिए श्रम सिद्धि योजना बनाई। प्रवासी मजदूरों को 5 लाख जॉब कार्ड दिए।
कार्यक्रम में सीएम चौहान ने कोरोना वायरस के खिलाफ देश की लड़ाई में पीएम मोदी की भूमिका का जिक्र करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने इस संकट को पहले ही भांपकर देश में लॉकडाउन लागू किया और देश को बचा लिया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, "प्रधानमंत्री जी ने बचा लिया देश को। उन्होंने पहले ही इस संकट को भांप लिया और लॉकडाउन घोषित कर दिया।"
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा, "अगर लॉकडाउन नहीं होता तो देश तैयार था क्या इस स्थिति के लिए? लॉकडाउन ने कोरोना से लड़ाई के खिलाफ देश को तैयार होने में मदद की। कई ऐसे संपन्न देश हैं, जो स्वास्थ्य सुविधाओं में भारत से बहुत आगे थे लेकिन उनके ऊपर भी कोरोना वायरस की मार बहुत बुरी तरह से पड़ी है। भारत में अगर लॉकडाउन नहीं होता तो स्थिति खराब होती, लेकिन लॉकडाउन से संक्रमण की गति घटी और लॉकडाउन के रहते राज्यों ने केंद्र के सहयोग से सारी व्यवस्था बना ली।"