मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में मिली प्रचंड जीत के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आज यानी बुधवार को कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा के लिए रवाना हुए हैं। यहां सीएम शिवराज सिंह चौहान कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करेंगे। छिंदवाड़ा जिले की सभी सात विधानसभा सीटों में पराजय के बाद शिवराज सिंह चौहान कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ाने उनके बीच रहेंगे।
शिवराज ने सीएम की रेस से खुद को बाहर बताया
इससे पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को नेहरू नगर के नया बसेरा में लाडली बहनो से मिलने पहुंचे। उन्होंने उनके साथ खाना खाया। इस दौरान उन्होंने अपने आप को मुख्यमंत्री की दौड़ से बाहर बताने के बाद कहा था कि वह दिल्ली नहीं, बुधवार को छिंदवाड़ा जाएंगे। उन्होंने कहा कि लोकसभा की तैयारी शुरू करनी है। उन्होंने कहा कि छिंदवाड़ा में हम सातों की सातों विधानसभा सीटें हार गए। मेरा एक संकल्प है 29 की 29 सीटें मध्य प्रदेश में बीजेपी जीते और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो हमारे नेता हैं वह फिर से भारत के प्रधानमंत्री बने। बता दें प्रदेश में अभी 29 लोकसभा सीटों में से 28 पर बीजपी और छिंदवाड़ा की एक मात्र लोकसभा सीट कांग्रेस के पास है, जहां से कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ सांसद हैं।
विरोधी लहर को मात देने के लिए 'लाडली बहना' योजना
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान राज्य विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी की शानदार जीत के नायक बनकर उभरे हैं। वह सबसे लंबे समय तक बीजेपी से प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं। 64 वर्षीय नेता ने सत्ता विरोधी लहर को मात देने के लिए 'लाडली बहना' जैसी गेम-चेंजर योजना शुरू करके मध्य प्रदेश में बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश की, जिसमें वह सफल हुए। हालांकि, उनकी पार्टी ने पिछले महीने हुए विधानसभा चुनावों में उन्हें मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में पेश नहीं किया। 23 मार्च 2020 को मध्य यप्रदेश के चौथी बार मुख्यमंत्री बने बीजेपी नेता शिवराज सिंह चौहान को एक सफल प्रशासक के साथ ही बेहद विनम्र और मिलनसार राजनेता के रूप में पहचाना जाता है।
सबसे लंबे समय तक लगातार मध्य प्रदेश में सीएम पद पर रहने का इतिहास
किसान परिवार में पैदा हुए चौहान ने सबसे लंबे समय यानी 16 साल 9 महीने तक लगातार मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री पद पर रहने का इतिहास रचा है। मध्य प्रदेश की जनता में विशेष रूप से बच्चों में मामा के नाम से लोकप्रिय चौहान मुख्यमंत्री बनने से पहले अपनी लोकसभा सीट विदिशा में अमूमन पैदल चलने के कारण ‘पांव-पांव वाले भैया’ के नाम से जाने जाते हैं। वह 29 नवंबर 2005 को पहली बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। उनके नेतृत्व में वर्ष 2008 एवं वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को भारी बहुमत से जीत मिली थी।
पिछले चुनाव में सत्ता खिसकर कर कमलाथ के हाथ में चली गई थी
बीजेपी ने उन्हें नवंबर 2018 के विधानसभा चुनाव में भी पार्टी का मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया था, लेकिन इस चुनाव में वह अपनी पार्टी को बहुमत नहीं दिला सके और सत्ता उनके हाथ से खिसक कर कांग्रेस नेता कमलनाथ के हाथ में चली गई। हालात बदले और ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी में आने और कांग्रेस के 22 विधायकों के बागी होने के कारण कमलनाथ की सरकार अल्पमत में आ गई, जिसके कारण कमलनाथ ने शक्ति परीक्षण से ठीक पहले 20 मार्च को मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया। कांग्रेस के इन 22 बागी विधायकों का इस्तीफा मंजूर होने के बाद ये सभी बीजेपी में शामिल हो गए थे। इसके बाद कांग्रेस के पास मात्र 92 विधायक रह गए और बीजेपी 107 विधायकों के साथ बहुमत में आ गई। बीजेपी विधायक दल ने चौहान को अपने दल का नेता चुना और वह 23 मार्च 2020 को चौथी बार मुख्यमंत्री बने।