Saturday, November 02, 2024
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अवैध रूप से चल रहा था मदरसा और हॉस्टल, जांच टीम पहुंची तो गायब कर दिए बच्चे

मध्य प्रदेश के शिवपुरी में बाल आयोग और शिक्षा विभाग की टीम ने मानव तस्करी का संदेह में एक अवैध मदरसे और हॉस्टल पर छापेमारी की है। लेकिन जांच दल के पहुंचने से पहले ही संचालकों ने बच्चे गायब कर दिए थे।

Edited By: Swayam Prakash @swayamniranjan_
Updated on: February 25, 2024 8:35 IST
madarsa- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO शिवपुरी में अवैध मदरसा और हॉस्टल पर छापा

शिवपुरी में एक अवैध रूप से संचालित मदरसा और हॉस्टल का पर्दाफाश हुआ है। मध्य प्रदेश बाल आयोग और शिक्षा विभाग की टीम ने शनिवार को शिवपुरी में दो संस्थाओं पर पिन पाइंट सूचना के आधार पर छापामार कार्रवाई की थी। इस दौरान दोनों ही जगह का निरीक्षण करने के बाद इस बात का खुलासा हुआ कि बदरवास में संचालित मदरसा फैज-ए-सिद्दीकी नूर उल कुरान पूरी तरह से अवैध रूप से संचालित था। वहीं शिवपुरी में एसएनवी पब्लिक स्कूल मनीयर में संचालित हॉस्टल भी बिना मान्यता के संचालित किया जा रहा था। 

बाल आयोग को मानव तस्करी का संदेह

लेकिन बाल आयोग की सदस्य और पूरी टीम के पहुंचने से पहले ही मदरसा सहित हॉस्टल से बच्चों को गायब कर दिया गया। निरीक्षण के दौरान बाल आयोग की सदस्य ने मदरसा व हॉस्टल के संचालकों से बच्चों को सामने लाने को कहा, लेकिन घंटों की मशक्कत के बाद भी बच्चों को सामने नहीं लाया गया। बाल आयोग की सदस्य ने मदरसा संचालक काजी मोहम्मद शराफत सहित हॉस्टल संचालक मदन लाल राठौर पर मानव तस्करी का संदेह जाहिर किया है। क्योंकि दोनों ही स्थानों पर बच्चों सहित संचालक संबंधी रिकार्ड उपलब्ध नहीं कराया जा सका। उन्होंने दोनों की संस्थाओं के संचालकों पर एफआईआर दर्ज करवाने की अनुशंसा की है। वहीं जिला शिक्षा अधिकारी ने प्रतिवेदन के आधार पर उचित वैधानिक कार्रवाई करने की बात कही है।

हॉस्टल में छिपाया बच्चों का सारा सामान

गौर करने वाली बात यह रही कि जब बाल आयोग की सदस्य टीम के साथ एसएनवी पब्लिक स्कूल में संचालित हॉस्टल पर निरीक्षण के लिए पहुंचीं तो उनसे पहले उनके पहुंचने की सूचना हॉस्टल संचालक तक पहुंच गई। लिहाजा फौरन हॉस्टल संचालक मदन लाल राठौर ने बच्चों को खाने की थाली पर से उठाकर कहीं छिपा दिया। हॉस्टल में बच्चों के रहने के पलंग तोड़ कर फेंक दिए। उनके जूते-चप्पल कट्टों में भरकर छिपा दिए। उनके बक्से दूसरे कमरों में अपने घर के अंदर छिपा दिए। टीम के पहुंचने पर करीब आधा घंटे बाद गेट खोला और हॉस्टल के मैनेजर अखिलेश रावत ने टीम को बताया कि उन्होंने तो दो साल पहले कोविड-19 के समय से हॉस्टल बंद कर दिया है। 

ऐसा पकड़ा गया संचालकों का झूठ

जब आयोग की टीम निरीक्षण के लिए पहुंची तो हास्टल में कोई भी नहीं मिला और टीम वहां से खाली हाथ लौटने लगी। लेकिन इसी दौरान आयोग की सदस्य डॉ. निवेदिता की नजर खाने की थाली पर पड़ी जिसमें ताजा खाना रखा हुआ था। अन्य कमरों में देखा तो वहां भी यही हालात मिले। इसके बाद पूरे मामले की पोल खुल गई। लेकिन हास्टल संचालक मदनलाल राठौर ने पहले तो टीम को खुद के एक्स आर्मी मैन होने की हुड़की दी। लेकिन जब उसकी नहीं चली तो पहले तो उसने स्वीकार कर लिया कि वह हॉस्टल और स्कूल का संचालन करता है। हॉस्टल का रिकार्ड होने की बात भी हास्टल मैनेजर अखिलेश ने स्वीकार की और आफिस में रिकार्ड होने की बात कही। 

जांच टीम से झूठ पर झूठ बोलते गए संचालक

जब टीम रिकार्ड स्कूल और हॉस्टल का रिकार्ड चैक करने पहुंची तो आफिस में न तो हॉस्टल का रिकार्ड मिला और न ही स्कूल का। ऊपर से जिस मदनलाल ने खुद का हास्टल होना स्वीकार किया, वहीं नीचे वह कहने लगा कि उसने तो बिल्डिंग अखिलेश को हॉस्टल संचालन के लिए किराए पर दी है, उसका हास्टल से कोई लेना देना नहीं। वहीं अखिलेश का कहना था हॉस्टल संचालक मदनलाल है, वह तो सिर्फ कर्मचारी है। दोनों में से कोई भी हॉस्टल का कोई रिकार्ड नहीं बता पाया और न ही यह बता पाया कि हास्टल में कितने बच्चे रहते हैं और वह बच्चे कौन हैं, उनके माता-पिता कौन हैं। इतना ही नहीं स्कूल संचालक द्वारा स्कूल की मान्यता संबंधी भी दस्तावेज उपलब्ध नहीं करवा सका जबकि वहां अवैध रूप से बाहरवीं तक के बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। कुछ बच्चों के टाइम-टेबल तक हॉस्टल में पड़े मिले हैं।

मदरसे के बच्चों का कोई स्कूल रिकार्ड नहीं

आयोग की सदस्य के अनुसार बदरवास में संचालित मदरसे के रिकार्ड के अनुसार, वहां 17 बच्चे रहते हैं, लेकिन बच्चों का कोई स्कूल रिकार्ड नहीं है। डॉ. निवेदिता शर्मा के अनुसार मदरसा के संचालक काजी मोहम्मद शराफत का कहना था कि बच्चे रमजान के चलते घरों पर चले गए हैं। उन्होंने मदरसे की बैलेंस शीट तो बताई लेकिन यह नहीं बताया कि मदरसा संचालन के लिए उन्हें ग्रांट कहां से मिलती है। मदरसे की आय का स्त्रोत क्या है। ऐसे में आयोग की सदस्य ने मदरसा की गतिविधियों को भी प्रथम दृष्टया संदिग्ध माना है। 

हॉस्टल सील कर कार्रवाई शुरू

इस पूरे मामले पर मध्य प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण की सदस्य डॉ निवेदिता शर्मा का कहना है कि हमें विद्यालय में अवैध तरीके से हॉस्टल संचालित होने की सूचना मिली थी। जब कार्रवाई करने पहुंचे तो हॉस्टल से बच्चे गायब मिले। मामले को लेकर शिक्षा विभाग को कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही हॉस्टल को सील कराई जाने की बात भी कही है। वहीं जिला शिक्षा अधिकारी समर सिंह राठौड़ ने कहा कि हमने बाल अधिकार संरक्षण के सदस्य डॉ निवेदिता शर्मा के साथ स्कूल का निरीक्षण किया। मामले में जांच की जा रही है और जांच के बाद ही कार्रवाई की जाएगी।

(रिपोर्ट-  केके दुबे)

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