आम तौर पर आपने मधुमक्खी को किसी पेड़ या किसी बाहरी जगह अपना छत्ता या बसेरा बनाते देखा होगा। मधुमक्खी का नाम सुनते ही लोग डर के मारे भाग खड़े होते हैं और उसके पास जाने की बात तो दूर देखना भी पसंद नहीं करते। लेकिन मध्य प्रदेश के शहडोल में एक ऐसा भी घर है जहां असंख्य मधुमक्खियों ने अपना डेरा जमाया हुआ है। ये मधुमक्खियां यहां 15 सालों से भी ज्यादा समय से घर में एक परिवार की तरह रह रही हैं। इन मधुमक्खियों ने आज तक किसी को कोई नुकसान भी नहीं पहुचाया है। घर के लोग भी इन मधुमक्खियों के साथ एकदम सहजता से रहते हैं।
15 सालों में किसी को नहीं पहुंचाया नुकसान
खास बात यह है कि इन 15 सालों में घर में कई बड़े आयोजन जैसे शादी आदि प्रोग्राम भी हुए। इस दौरान घर पर मेहमानों की भीड़ भी बनी रहती है लेकिन फ्रेंडली मधुमक्खियों ने आज तक किसी को कोई नुकसान नहीं पहुचाया। वहीं परिवार के लोग इसे आस्था से जोड़कर भी देखते हैं। उनका मानना है कि जिस घर में मधुमक्खियां रहती हैं उस घर में धन की कमी नहीं होती। शायद यही कारण है कि यहां पिछले 15 सालों से मधुमक्खी व इंसान एक साथ रह रहे हैं।
पूरे घर में जगह-जगह लगे हैं मधुमक्खियों के छत्ते
ये घर मध्य प्रदेश के शहडोल जिले के जनपद पंचायत सोहागपुर अंतर्गत ग्राम खन्नाध में है। यहां पिछले 15 सालों से एक दो नहीं बल्कि 6-6 मधुमक्खियों के छत्ते लगे हुए हैं। लाखों की तादात में ये मधुमक्खियां घर के अलग-अलग हिस्से में अपना घर बनाकर डेरा जमाए हुए हैं। खास बात यह है कि लोगों की जान को खतरा कही जाने वाली मधुमक्खियां उस परिवार के सदस्यों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाती हैं। इस परिवार में बूढ़े ,जवान महिला पुरुष व बच्चे भी रहते हैं जो दिनभर में कई बार मधुमक्खी के छत्तों के पास जाते हैं और दिनचर्या के सभी काम सामान्य रूप से करते हैं।
पर्यवारण विद ने बताया इसका कारण
वहीं इस मामले में पर्यवारण विद रिटायर्ड प्रोफेसर जूलॉजी HOD विनय सिंह का कहना है कि जंहा पेड़ पौधे जंगल और वातावरण उनके अनुकूल रहता है, वहां मधुमक्खियां छत्ता बनाकर रहने लगती हैं। पर्यवारण विद का कहना है कि वहां वातवरण उनके अनुकूल होने की वजह से इतने सारे मधुमक्खियों के छत्ते इतने लंबे समय से हैं।
(रिपोर्ट- विशाल खंडेलवाल)
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