Highlights
- देश का जनजातीय क्षेत्र संसाधनों के रूप में संपदा के मामले में हमेशा समृद्ध रहा है: पीएम मोदी
- आज़ादी की लड़ाई में जनजातीय नायक-नायिकाओं की वीर गाथाओं को देश के सामने लाना हमारा कर्तव्य है: पीएम मोदी
- गोंड महारानी वीर दुर्गावती का शौर्य हो या फिर रानी कमलापति का बलिदान, देश इन्हें भूल नहीं सकता: पीएम मोदी
भोपाल: मध्य प्रदेश को आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई सौगातें दी। उन्होंने राशन-आपके ग्राम योजना की शुरुआत और एनिमिया सेल उन्मूलन अभियान का भी शुभारंभ किया। उन्होंने यहां आदिवासी नेता और स्वतंत्रता सेनानी भगवान बिरसा मुंडा की जयंती के मौके पर आयोजित किए जा रहे जनजातीय गौरव दिवस कार्यक्रम में शिरकत की। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनजातीय स्वयं सहायता समूहों द्वारा बनाए गए उत्पादों की प्रदर्शनी का अवलोकन किया। इस दौरान उनके साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी मौजूद रहे। इस कार्यक्रम के बाद प्रधानमंत्री वर्ल्ड क्लास रानी कमलापति रेलवे स्टेशन का उद्घाटन करेंगे। अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि आज़ादी के बाद देश में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर, पूरे देश के जनजातीय समाज की कला-संस्कृति, स्वतंत्रता आंदोलन और राष्ट्रनिर्माण में उनके योगदान को गौरव के साथ याद किया जा रहा है, उन्हें सम्मान दिया जा रहा है।
पीएम मोदी के संबोधन की 10 बड़ी बातें-
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गोंड महारानी वीर दुर्गावती का शौर्य हो या फिर रानी कमलापति का बलिदान, देश इन्हें भूल नहीं सकता। वीर महाराणा प्रताप के संघर्ष की कल्पना उन बहादुर भीलों के बिना नहीं की जा सकती जिन्होंने कंधे से कंधा मिलाकर लड़ाई लड़ी और बलिदान दिया।
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आज जब हम राष्ट्रीय मंचों से, राष्ट्र निर्माण में जनजातीय समाज के योगदान की चर्चा करते हैं, तो कुछ लोगों को हैरानी होती है। ऐसे लोगों को विश्वास ही नहीं होता कि जनजातीय समाज का भारत की संस्कृति को मजबूत करने में कितना बड़ा योगदान रहा है।
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आज जब हम राष्ट्रीय मंचों से, राष्ट्र निर्माण में जनजातीय समाज के योगदान की चर्चा करते हैं, तो कुछ लोगों को हैरानी होती है। ऐसे लोगों को विश्वास ही नहीं होता कि जनजातीय समाज का भारत की संस्कृति को मजबूत करने में कितना बड़ा योगदान रहा है
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छत्रपति शिवाजी महाराज के जिन आदर्शों को बाबासाहेब पुरंदरे जी ने देश के सामने रखा, वो आदर्श हमें निरंतर प्रेरणा देते रहेंगे। मैं बाबासाहेब पुरंदरे जी को अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि देता हूं। ‘पद्म विभूषण’ बाबासाहेब पुरंदरे जी ने छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन को, उनके इतिहास को सामान्य जन तक पहुंचाने में जो योगदान दिया है, वो अमूल्य है। यहां की सरकार ने उन्हें कालिदास पुरस्कार भी दिया था
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जनजातीय समाज के योगदान के बारे में या तो देश को बताया ही नहीं गया और अगर बताया भी गया तो बहुत ही सीमित दायरे में जानकारी दी गई। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि आज़ादी के बाद दशकों तक जिन्होंने देश में सरकार चलाई, उन्होंने अपनी स्वार्थ भरी राजनीति को ही प्राथमिकता दी।
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आज चाहे गरीबों के घर हों, शौचालय हों, मुफ्त बिजली और गैस कनेक्शन हों, स्कूल हो, सड़क हो, मुफ्त इलाज हो, ये सबकुछ जिस गति से देश के बाकी हिस्से में हो रहा है, उसी गति से आदिवासी क्षेत्रों में भी हो रहा है।
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देश का जनजातीय क्षेत्र, संसाधनों के रूप में, संपदा के मामले में हमेशा समृद्ध रहा है। लेकिन जो पहले सरकार में रहे, वो इन क्षेत्रों के दोहन की नीति पर चले। हम इन क्षेत्रों के सामर्थ्य के सही इस्तेमाल की नीति पर चल रहे हैं।
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अभी हाल में पद्म पुरस्कार दिए गए हैं। जनजातीय समाज से आने वाले साथी जब राष्ट्रपति भवन पहुंचे तो दुनिया हैरान रह गई। आदिवासी और ग्रामीण समाज में काम करने वाले ये देश के असली हीरे हैं।
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आजादी की लड़ाई में जनजातीय नायक-नायिकाओं की वीर गाथाओं को देश के सामने लाना, उसे नई पीढ़ी से परिचित कराना, हमारा कर्तव्य है। गुलामी के कालखंड में विदेशी शासन के खिलाफ खासी-गारो आंदोलन, मिजो आंदोलन, कोल आंदोलन समेत कई संग्राम हुए।
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आज भारत, अपना पहला जनजातीय गौरव दिवस मना रहा है। आज़ादी के बाद देश में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर, पूरे देश के जनजातीय समाज की कला-संस्कृति, स्वतंत्रता आंदोलन और राष्ट्रनिर्माण में उनके योगदान को गौरव के साथ याद किया जा रहा है, उन्हें सम्मान दिया जा रहा है।