पीथमपुर: यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरा लाने के विरोध में मध्य प्रदेश के पीथमपुर में जबरदस्त हंगामा हुआ। इसके बाद हालात काबू में करने के लिए धारा 163 लगा दी गई। पीथमपुर में शुक्रवार सुबह पथराव शुरू हो गया। पुलिस और जनता फिर आमने-सामने हो गए। सड़कों पर बड़े-बड़े पत्थर दिखाई दे रहे थे। हजारों की तादाद में लोग सड़क पर उतर आए। इससे पहले बेकाबू भीड़ को संभालने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा था। ऐसे में जब शाम तक मामला शांत नहीं हुआ तो पूरे शहर में धारा 163 लगा दी गई।
भोपाल गैस कांड के 40 साल बाद यूनियन कार्बाइड कारखाने का 337 टन जहरीला कचरा गुरुवार की सुबह इंदौर के पास स्थित पीथमपुर की एक इंडस्ट्रियल वेस्ट डिपोजिट यूनिट में पहुंचा दिया गया था। लोगों की मांग है कि इस कचरे के निपटान की व्यवस्था पीथमपुर से हटाकर कहीं और की जाए।
सीलबंद कंटेनरों में आया था कचरा
बता दें कि कड़ी सुरक्षा व्यवस्था में ‘ग्रीन कॉरिडोर’ बनाकर जहरीले कचरे को 12 सीलबंद कंटेनर ट्रकों में भोपाल से 250 किलोमीटर दूर धार जिले के पीथमपुर इंडस्ट्रियल एरिया की वेस्ट डिपोजिट यूनिट में लाया गया था। यूनियन कार्बाइड कारखाने का जहरीला कचरा पीथमपुर आने के बाद स्थानीय नागरिकों ने जोरदार प्रदर्शन शुरू कर दिया है। करीब 1.75 लाख की आबादी वाले पीथमपुर में आज बंद बुलाया गया था और इसी कड़ी में लोगों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। प्रदर्शन के दौरान लोग बेकाबू हो गए जिसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया।
क्यों हो रहा पीथमपुर में विरोध?
नागरिकों ने जहरीले कचरे को पीथमपुर में नष्ट किए जाने से इंसानी आबादी और पर्यावरण पर खतरनाक असर पड़ने की आशंका जताई है। पीथमपुर और इंदौर के बीच करीब 30 किलोमीटर की दूरी है। इंदौर के नागरिक भी यूनियन कार्बाइड कारखाने का जहरीला कचरा पीथमपुर में जलाए जाने का विरोध कर रहे हैं। हालांकि प्रदेश सरकार ने इस कचरे के सुरक्षित निपटान के पक्के इंतजामों का भरोसा दिलाते हुए हुए इन आशंकाओं को खारिज किया है। सरकार के आश्वासन के बावजूद लोग आशंकित नजर आ रहे हैं और कचरा कहीं और ले जाने की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
हाई कोर्ट ने दिया था अल्टीमेटम
बता दें कि भोपाल में 2 और 3 दिसंबर 1984 की दरमियानी रात यूनियन कार्बाइड कारखाने से अत्यधिक जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) गैस का रिसाव हुआ था। गैस के रिसाव की वजह से कम से कम 5479 लोग मारे गए थे और हजारों लोग अपंग हो गए थे। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने 3 दिसंबर को इस कारखाने के जहरीले कचरे को हटाने के लिए 4 हफ्ते की समय-सीमा तय की थी और सरकार को चेतावनी दी थी कि अगर उसके निर्देश का पालन नहीं किया गया, तो अवमानना की कार्यवाही की जाएगी। (PTI इनपुट्स के साथ)