Highlights
- केन्द्र सरकार ने इसी महीने भोपाल में स्थित हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति रेलवे स्टेशन किया है।
- चौहान ने कहा कि देश एवं प्रदेश में जनजातियों का वैभवशाली एवं गौरवशाली इतिहास रहा है।
- इंदौर स्थित भंवर कुआं चौराहे का नाम भी टंट्या भील चौराहा किया जाएगा।
भोपाल: आदिवासियों तक अपनी पहुंच को और मजबूत करने के लिए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को घोषणा की कि इंदौर शहर के पास स्थित पातालपानी रेलवे स्टेशन का नाम टंट्या भील रेलवे स्टेशन होगा। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, इंदौर शहर के दो अन्य स्थानों का नाम भी टंट्या भील के नाम पर रखा जाएगा। टंट्या भील को आदिवासी आदर्श एवं मध्य प्रदेश का जननायक कहा जाता है। प्रदेश सरकार के अनुरोध पर केन्द्र सरकार ने इसी महीने भोपाल में स्थित देश के सबसे आधुनिक हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर ‘रानी कमलापति रेलवे स्टेशन’ किया है। रानी कमलापति गोंड शासक की पत्नी थीं। गोंड समुदाय भारत में आदिवासियों का सबसे बड़ा समुदाय है।
चौहान ने आज मंडला जिले के रामनगर में जनजातीय गौरव सप्ताह के समापन समारोह को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘पातालपानी रेलवे स्टेशन का नाम टंट्या भील रेलवे स्टेशन होगा।’’ उन्होंने कहा कि इंदौर स्थित भंवर कुआं चौराहे का नाम भी टंट्या भील चौराहा और इंदौर में एमआर-10 बस अड्डे का नाम भी टंट्या भील बस अड्डा किया जाएगा जो 53 करोड़ रुपये की लागत से बनेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि पातालपानी स्थित टंट्या भील मंदिर का जीर्णोद्धार किया जाएगा और मंडला में एक मेडिकल कॉलेज खोला जाएगा, जिसका नाम राजा हृदय शाह मेडिकल कॉलेज होगा।
उन्होंने कहा कि प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, मानपुर का नाम टंट्या भील स्वास्थ्य केन्द्र होगा। चौहान ने कहा कि देश एवं प्रदेश में जनजातियों का वैभवशाली एवं गौरवशाली इतिहास रहा है तथा जनजातीय नायकों ने स्वतंत्रता संग्राम में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी जनजातियों के गौरव को अंग्रेजों ने समाप्त करने के सभी प्रयास किए। हम इसे पुन: स्थापित कर रहे हैं।’’ चौहान ने कहा कि जनजातीय समुदायों के लोगों के विरुद्ध दायर छोटे और झूठे मुकदमे वापस लिए जाएंगे।
वहीं, राज्य के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने आज भोपाल में संवाददाताओं से कहा, ‘‘पातालपानी रेलवे स्टेशन का नाम अमर शहीद टंट्या भील के नाम पर रखने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा जाएगा।’’ स्थानीय लोग टंट्या भील को टंट्या मामा भी कहते हैं।
मिश्रा ने बताया कि आजादी के 75वें महोत्सव के अंतर्गत चार दिसंबर को पातालपानी में टंट्या भील के बलिदान दिवस पर बड़े कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा और इस कार्यक्रम को लेकर दो यात्राएं निकाली जाएंगी। उन्होंने कहा कि पहली यात्रा टंट्या भील की जन्मस्थली पंधाना के बड़ौदा अहीर गाँव से और दूसरी यात्रा सैलाना से शुरू होकर विभिन्न जिलों से होते हुए धार होकर इंदौर पहुंचेगी तथा मंत्री अपने प्रभार के जिलों में यात्रा की जिम्मेदारी संभालेंगे।