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Muslims Adopt Hinduism: हिंदू धर्म में ‘‘घर वापसी’’ का चला कार्यक्रम, शामिल 'मुस्लिम' बोले- हम शिवलिंग पर चढ़ाते हैं जल

मध्य प्रदेश के रतलाम जिले में एक घुमंतू समुदाय के सदस्यों की हिंदू धर्म में कथित ‘‘घर वापसी’’ हुई। इन लोगों ने कहा कि वे हिन्दू रीति-रिवाजों का पहले से पालन करते हुए देवी-देवताओं को पूजते आ रहे हैं।

Edited by: Swayam Prakash @swayamniranjan_
Published on: June 10, 2022 21:54 IST
A Muslim family adopt Hinduism in Madhya Pradesh's Ratlam- India TV Hindi
Image Source : VIDEO GRAB A Muslim family adopt Hinduism in Madhya Pradesh's Ratlam

Highlights

  • मध्य प्रदेश में हिंदू धर्म में कथित घर वापसी कार्यक्रम
  • घुमंतू समुदाय के कुछ सदस्यों ने अपनाया हिंदू धर्म
  • सनातन अपनाने के बाद बोले- कभी मस्जिद नहीं गए

Muslims Adopt Hinduism: मध्य प्रदेश के रतलाम जिले में एक घुमंतू समुदाय के सदस्यों की हिंदू धर्म में कथित ‘‘घर वापसी’’ हुई। घर वापसी के इस कार्यक्रम में शामिल कुछ लोगों ने इबादत और रीति-रिवाजों की इस्लामी पद्धति का पालन किए जाने से शुक्रवार को साफ इनकार किया। इन लोगों ने कहा कि वे हिन्दू रीति-रिवाजों का पहले से पालन करते हुए देवी-देवताओं को पूजते आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि वे रास्ता भटक गए थे और उनके पुरखों ने उनके परिवार के कुछ सदस्यों के ‘‘मुस्लिम नाम’’ रख दिए थे। 

"न कभी मस्जिद गए, न ही नमाज पढ़ी"

चश्मदीदों ने बताया कि इस परिवार के सदस्यों की हिंदू धर्म में ‘‘घर वापसी’’ के लिए रतलाम के आम्बा गांव में एक स्थानीय धर्मगुरु की मौजूदगी में ‘‘शुद्धिकरण’’ कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें पुरुषों का मुंडन कर उन्हें जनेऊ पहनाया गया और वैदिक मंत्रोच्चार के साथ उनसे पूजा-पाठ कराई गई। इन रीति-रिवाजों में शामिल एक उम्रदराज व्यक्ति ने संवाददाताओं से कहा,‘‘पहले मेरा नाम मोहम्मद था जो बाद में रामसिंह हो गया है। हमारे पुरखे हिंदू थे, लेकिन हम रास्ता भटक गए थे। अब हम बगैर किसी डर या जोर-जबर्दस्ती के हमारे मूल धर्म में वापस आ गए हैं।’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘हम न तो कभी मस्जिद में गए, न ही हमने कभी नमाज पढ़ी। हम कभी-कभार जावरा की एक दरगाह के पास फकीर के रूप में भीख मांगकर पेट पालते थे।’’ रामसिंह के बेटे मौसम (जो अब अपना नाम करण बताते हैं) के मुताबिक, उनके परिवार के कुल 18 सदस्यों ने ‘‘शुद्धिकरण’’ में भाग लिया। सोशल मीडिया पर तस्वीरों के साथ फैल रही खबरों में दावा किया जा रहा है कि इस परिवार के सदस्यों ने इस्लाम छोड़कर हिंदू धर्म में "घर वापसी" की है।

"शिवलिंग पर चढ़ाते हैं जल"  

बहरहाल, ‘‘शुद्धिकरण" के बाद करण ने कहा, ‘‘हम बादी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। मेरे परिवार के कुछ लोगों के मुस्लिम नाम रख दिए गए थे। बस यही फर्क है। हम हमेशा से हिंदू धर्म को ही मानते आ रहे हैं और नवरात्रि, रक्षाबंधन, होली, दीपावली और दशहरा मनाते हैं।’’ उन्होंने कहा कि उनका परिवार शिवलिंग पर जल चढ़ाता है और हनुमान चालीसा भी पढ़ता है। करण ने कहा, ‘‘मेरे पुरखे नाम बदलकर फकीर के रूप में भीख मांगने, जड़ी-बूटियां बेचने और रीछ-बंदरों के साथ मदारी का खेल दिखाकर गुजारा करते थे।’’ 

उन्होंने यह दावा भी किया कि उनके खानदान को आम्बा गांव में रहते हुए करीब 70 साल हो गए हैं, लेकिन उन्हें सरकारी योजनाओं के तहत राशन कार्ड, शौचालय, आवास और अन्य सुविधाओं का लाभ नहीं मिला है। इस दावे की पड़ताल के लिए रतलाम के जिलाधिकारी नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी से फोन पर संपर्क का प्रयास किया गया, लेकिन उनसे बात नहीं हो सकी।

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