Friday, November 22, 2024
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MP News: इन नामों से पुकारे जाएंगे अफ्रीकी चीते, मोदी ने भी दिया एक नाम, पढ़िए डिटेल

MP News: मध्यप्रदेश का कूनो नेशनल पार्क इस समय नामीबिया से आए 8 चीतों के कारण सुर्खियों में है। नेशनल पार्क में इन चीतों के जो नाम रखे गए हैं, वो सामने आए हैं।

Written By: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Updated on: September 19, 2022 12:56 IST
Kuno National Park- India TV Hindi
Image Source : PTI Kuno National Park

Highlights

  • कूनो मैनेजमेंट ने कहा, ‘कूनो पार्क में चीतों पर लगातार बनी हुई है हमारी नजर‘
  • 12 किलोमीटर के एरिया में तैयार किए गए बाड़े में रखा गया है इन चीतों को
  • 17 सितंबर को कूनो नेशनल पार्क में इन चीतों को लाया गया

MP News:  नामीबिया से भारत लाए गए चीतों को लेकर देशभर में कौतूहल है। पीएम मोदी ने अपने जन्मदिवस पर इनमें से 2 चीतों को पिंजरों से कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा है। इसी बीच इन चीतों के नाम भी सामने आ गए हैं। आपको यह जानने में निश्चित रूप से दिलचस्पी होगी कि इनके क्या नाम रखे गए हैं। कूनो पार्क के मैनेजमेंट का कहना है कि हमारी नजर लगातार चीतों पर बनी हुई है। अभी तक सबकुछ सामान्य है। फिलहाल इन चीतों को 12 किलोमीटर के एरिया में तैयार किए गए बाड़े में रखा गया है। 

जानें मादा चीतों के नाम

चीतों के साथ आई टीम ने बताया कि चीतों में दो साल की मादा चीता सियाया है। यह दक्षिण पूर्वी नामीबिया की है। वह सितंबर 2020 से सीसीएफ में थी। ढाई वर्ष की मादा चीता बिल्सी है। जिसका जन्म अप्रैल 2020 में नामीबिया के दक्षिण.पूर्वी शहर ओमरुरु में एरिंडी प्राइवेट गेम रिजर्व में हुआ था। चीतों के दल में सबसे पुरानी और बड़ी चीता साशा है। एक और मादा चीता सवाना है। सवाना उत्तर पश्चिमी नामीबिया की मादा चीता है। वहीं पीएम नरेंद्र मोदी ने एक मादा चीते को ‘आशा‘ नाम दिया है। ‘आशा‘ की उम्र 4 साल है। इस बारे में पार्क के डायरेक्टर का कहना है कि ये नाम नामीबिया में ही दिए गए हैं।

17 सितंबर को कूनो नेशनल पार्क में इन चीतों को लाया गया। ये चीते विशेष विमान से अफ्रीकी देश नामीबिया से लाए गए हैं। पीएम मोदी ने खुद इन्हें बाड़े का गेट खोलकर इन्हें छोड़ा। पहले दिन अपने आप को नए परिवेश में देखकर ये चीते थोड़े नर्वस जरूर हो गए थे। लेकिन उनका व्यवहार सामान्य और सकारात्मक दिखा। चीतों के लिए विशेष बाड़ा बनाया गया है। वे उसमें घूम रहे हैं और यहां की आबोहवा में विशेष रूप से ढल रहे हं। चीतों को उनके लिए बनाए गए विशेष बाड़े में ही खाने के लिए गोश्त दिया जा रहा है। फिलहाल कूनो नेशनल पार्क मैनेजमेंट इन चीतों के आचरण और व्यवहार से पूरी तरह संतुष्ट है। 

सात दशक बाद देश में आए चीते

भारत में चीतों को विलुप्त घोषित किए जाने के सात दशक बाद उन्हें देश में फिर से बसाने की परियोजना के तहत नामीबिया से आठ चीते शनिवार सुबह कूनो नेशनल पार्क में लाए गए हैं।  पहले इन्हें विशेष विमान से ग्वालियर हवाई अड्डे और फिर हेलीकॉप्टरों से श्योपुर जिले में स्थित कूनो नेशनल पार्क लाया गया। शनिवार को अपना 72 वां जन्मदिन मना रहे प्रधानमंत्री मोदी ने चीतों को पार्क के एक विशेष बाड़े में छोड़ा था। चीते धीरे धीरे पिंजड़ों से बाहर आते दिखे। इस मौके पर मोदी अपने पेशेवर कैमरे से चीतों की तस्वीरें लेते हुए भी दिखाई दिए थे।

344 वर्ग किलोमीटर में फैला है कूनो नेशनल पार्क

कूनो नेशनल पार्क विंध्याचल की पहाड़ियों के उत्तरी किनारे पर स्थित है और 344 वर्ग किलोमीटर इलाके में फैला हुआ है। देश में अंतिम चीते की मौत 1947 में कोरिया जिले में हुई थीं जो छत्तीसगढ़ जिले में स्थित है। 1952 में चीते को भारत में विलुप्त घोषित किया गया था। भारत में फिर से चीतों को बसाने के लिए ‘अफ्रीकन चीता इंट्रोडक्शन प्रोजेक्ट इन इंडिया‘ 2009 में शुरू हुआ था और इसने हाल के कुछ वर्षों में गति पकड़ी है। भारत ने चीतों के आयात के लिए नामीबिया सरकार के साथ समझौता ज्ञापन ‘एमओयू‘ पर हस्ताक्षर किए हैं। 

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