Monday, November 25, 2024
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MP News: एमपी के नर्मदापुरम में किसान उगा रहे 'जहरीला' मूंग, इसे खाने से बढ़ रहे कैंसर के मरीज, विशेषज्ञों ने दी यह चेतावनी

MP News: हरदा के किसान मुकेश के मुताबिक हरदा में एक भी पेशेंट नहीं था आज हमारे यहां कैंसर के करीब 100 मरीज हैं। जहरीली खेती के बारे में खुद कृषि मंत्री कमल पटेल ने माना उनके क्षेत्र में कैंसर के मरीज बढ़ रहे हैं।

Reported By : Anurag Amitabh Edited By : Deepak Vyas Published on: July 16, 2022 13:16 IST
Farmers Spraying Pesticide- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO Farmers Spraying Pesticide

Highlights

  • हरदा में एक भी नहीं था कैंसर पेशेंट, आज 100 के करीब हैं मरीज
  • एक सप्ताह में चार गुना बढ़ गए पैथोलॉजी में आने वाले कैंसर पेशेंट
  • जमीन को भी बंजर बना देता है जहरीला रासायनिक कीटनाशक

MP News: मध्यप्रदेश के नर्मदापुरम संभाग में मूंग की खेती के दौरान जिस रासायनिक कीटनाशक का उपयोग किया जा रहा है, उससे हो रही मूंग की फसल को खाने से संभाग में कैंसर के मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है। इस बारे में किसानों का कहना है कि रासायनिक कीटनाशकों के उपयोग से यह फसल जहरीली हो जाती है। खुद एमपी के कृषि मंत्री भी इस बात को मान रहे हैं। जानिए मध्यप्रदेश के नर्मदापुरम संभाग के किसान किस तरह मूंग की खेती में जहरीला कीटनाशक उपयोग कर रहे हैं और इसके क्या नुकसान देखने को मिल रहे हैं।

हरदा में एक भी नहीं था कैंसर पेशेंट, आज 100 के करीब हैं मरीज

एमपी के किसान मूंग की फसल में कीटनाशक का जहर बोकर कैंसर की खेती कर रहे हैं। नर्मदापुरम संभाग में जहर की यह खेती की जा रही है। नर्मदा पुरम के किसान  सीताराम का कहना है कि जहरीले रसायन से उगाई गई फसल हम खुद नहीं खाते, एक साल पुरानी मूंग खाते हैं। हरदा के किसान मुकेश के मुताबिक हरदा में एक भी पेशेंट नहीं था आज हमारे यहां कैंसर के करीब 100 मरीज हैं। जहरीली खेती के बारे में खुद कृषि मंत्री कमल पटेल ने माना उनके क्षेत्र में कैंसर के मरीज बढ़ रहे हैं। कृषि मंत्री के मुताबिक कीटनाशक के चलते जो किसान अपनी फसल उगाता है वह खुद नहीं खाता, इसलिए कीटनाशकों का उपयोग बंद करने के लिए सरकार लोगों को अभियान चलाकर संकल्प दिलवा रही है।

एक सप्ताह में चार गुना बढ़ गए पैथेलॉजी में आने वाले कैंसर पेशेंट

हरदा के कैंसर पैथोलोजिस्ट का कहना पहले महीने में एक कैंसर का पेशेंट आता था अब सप्ताह में तीन चार आ जाते हैं। कृषि वैज्ञानिकों ने जहरीली खाद और कीटनाशकों के घातक असर को 1997 में समझ लिया था उन्हें सरकार से उम्मीद है कि वह इस पर बैन लगाए। कैंसर स्पेशलिस्ट के मुताबिक तमाम तरह के कैंसर रोग, दूसरी बीमारियों के साथ साथ बड़ों को और बच्चों को भी हो सकता है। दरअसल, नर्मदापुरम में बिना किसी सुरक्षा उपकरण के खेतों में रसायन का स्प्रे किया जाता है।

जमीन को भी बंजर बना देता है जहरीला रासायनिक कीटनाशक

आज देश में खेती में किसान जहरीले रासायनिक कीटनाशकों का अंधाधुंध और असंतुलित प्रयोग कर रहा है। इन कीटनाशकों के इस्तेमाल से न केवल जमीन बंजर होती जा रही है बल्कि यही कीटनाशक जमीन में रहकर भूजल को जहरीला बना रहा है। भले ही ये कीटनाशक फसलों को बचाने का काम कर रहे हो लेकिन दरअसल इन फसलों के जरिये हमारे खाने में मीठा जहर परोसा जा रहा है।

मूंग की फसल में धड़ल्ले से हो रहा जहरीले कीटनाशकों का उपयोग

मूंग के उत्पादन में देश में नंबर वन मध्यप्रदेश में मूंग की फसल में खुलकर जहरीली रासायनिक कीटनाशकों का इस्तेमाल हो रहा है। मूंग जिसे पोषक तत्वों का खजाना भी कहा जाता है। जिसमें आयरन मिनिरल प्रोटीन फाइबर मैग्नीशियम पोटेशियम फॉस्फोरस विटामिन ए विटामिन बी विटामिन ई जैसे तमाम वह तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। जिसके चलते शरीर को कई स्वास्थ्य समस्याओं से बचाया जा सकता है, लेकिन देश में सबसे ज्यादा मूंग के उत्पादक राज्य एमपी में यहीं मूंग अंधाधुंध और असंतुलित कीटनाशकों के इस्तेमाल के चलते जहर बनती जा रही है। नर्मदापुरम के किसान नरेंद्र पटेल खुद बताते हैं अधिकतर किसान अब कीटनाशकों का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसके चलते ही बीमारियां फैल रही है जमीन खराब हो रही है।

अप्रैल से मई के बीच में बोई जाती है मूंग की फसल

दरअसल, नर्मदापुरम के तमाम इलाकों में जल्द फसल और बेहतर उपज को देखते हुई इलाके के तमाम लोग अप्रैल से मई के दौरान अब बजाय जमीन को आराम देने के  मूंग की फसल उगाने पसंद कर रहे हैं। नर्मदा पुरम से 5 किलोमीटर दूर ग्राम खेलड़ा, जहां के किसान सीताराम साहू जिन्होंने अपने सात बीघा जमीन में मूंग की फसल लगाई है। वे तमाम जहरीले कीटनाशकों का उपयोग करते हैं, इसलिए उसका असर जानते हैं। वे खुद कह रहे हैं कि 10 सालों से इसकी खेती करते हैं लेकिन अपनी उगाई हुई फसल को खुद वो उनका परिवार नही खाता है।

ये हैं मूंग की फसल में इस्तेमाल होने वाले जहरीले रासायनिक कीटनाशकों के नाम

प्रोफेनोफास साइपरमेथ्रिन- रस चूसक कीटो, व्हाइटफ्लाई और मच्छरों को मारने के लिए।

कोरेजन- इल्लियों को मारने के लिए।
क्लोरेन ट्रेनीलीप्रोल-इल्लियों को मारने के लिए।
थियामेथोकसम- मच्छर मक्खी मारने के लिए।
पैराक्यूट-फसल को समय से पहले सुखाने के लिए।

किसानों की समस्या: प्राकृतिक तरीके से मूंग उगाने से 50 फीसदी फसल हो जाती है तबाह

खरीफ की फसल जून से लेकर अक्टूबर के अंत तक होती है। वहीं रबी की फसल अक्टूबर के अंत से लेकर अप्रैल तक होती है। ऐसे में बीच के 2 महीनों में किसान मूंग की फसल की तरफ आकर्षित होता है। अगर ये फसल प्राकृतिक ढंग से या जैविक ढंग से उगाई जाए, तो किसानों के मुताबिक सबसे ज्यादा दिक्कत मूंग के पत्तों के नरम ओर हरे होने के चलते इल्लियों की होती है,जो 50 फीसदी फसल को तबाह कर देता है।

100 फीसदी किसान उगा रहे जहरीली मूंग

इस मामले में नर्मदापुरम के कृषि सहायक संचालक सुनील कुमार धोटे का कहना है कि जमीन के जैविक तत्व जल रहे हैं। यहां के 10 फीसदी किसान जहरीली मूंग उगा रहे हैं। 10 साल में ये क्षेत्र पंजाब बन जाएगा। हर घर में कैंसर रोगी होगा। वहीं कृषि उपसंचालक जेआर हेडाउ कहते हैं कि वैकल्पिक फसल का रास्ता कुद कमाई और जमीन उपजाउ रखने के लिए था, लेकिन किसानों ने जो तरीका अपनाया, वो घातक है।

भूजल पर भी असर डाल रहा जहरीला कीटनाशक

इस बारे में जबलपुर विवि के एग्रीकल्चर साइंटिस्ट डॉक्टर अमित कुमार शर्मा का कहना है कि रासायनिक खाद का असर जमीन में जाने के बाद पानी पर, जानवरों के चारे पर, दूध पर भी हो रहा है। एक बार कीटनाशक डज्ञलने पर इसका 5 साल तक मिट्टी में असर खत्म नहीं होता है। मूंग के साथ अभी जो हो रहा है, उस पर तत्काल प्रतिबंध लगाना चाहिए। अन्यथा खून, लिवर, किडनी और कैंसर जैसी बीमारियां पैदा हो जाएंगी। 

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