फायर ब्रिगेड इंदौर में सालों तक प्रमुख अधीक्षक (फायर) के पद पर बने रहे बीएस टोंगर के खिलाफ सजा तय कर दी गई है। बता दें कि इस मामले की सुनवाई को खत्म होने में तीन साल लग गए। इसी कड़ी में शनिवार के दिन आज आरोप तय कर दिए गए हैं। टोंगर पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी फायर इंजीनियरिंग की डिग्री के नाम पर राजपत्रित अधिकारी का पद हासिल किया था। इस जुर्म के साबित होने के बाद इंदौर की एक अदालत द्वारा अग्निशमन विभाग के पूर्व प्रमुख अधीक्षक को चार साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई है।
शुक्रवार के दिन इस बाबत अभियोजन के एक अधिकारी द्वारा यह जानकारी साझा की गई है। इस मामले में अपर सत्र न्यायाधीश संजय गुप्ता ने बीएस टोंगर को चार वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही उनपर 12,000 रुपये का जुर्माना भी कोर्ट द्वारा लगाया गया है। भारतीय दंड विधान और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत सजा सुनाए जाने के बाद अब टोंगर को सीधा जेल भेजा जाएगा। जानकारी के मुताबिक आर्थिक अपराध जांच प्रकोष्ठ (EOW) ने टोंगर के खिलाफ अग्निशमन विभाग के एक निरीक्षक द्वारा इस बाबत एफआईआर दर्ज कराया गया था।
बता दें कि दिल्ली सरकार की विद्युत इकाई में टोंगर लोवर डिवीजन क्लर्क थे। इसके बाद वे मध्य प्रदेश सरकार के अग्निशमन विभाग में प्रतिनियुक्ति पर आए थे। बता दें कि फर्जी डिग्री के आधार पर टोंगर द्वारा इंदौर में अग्निशमन विभाग के प्रमुख अधीक्षक का पद प्राप्त किया था। गौरतलब है कि यह एक राजपत्रित पद है। फर्जी डिग्री के बूते टोंगर 30 साल तक सर्विस में बने रहे। इसके बाद साल 2013 में वे इस पद से रिटायर हुए। बता दें कि टोंगर के खिलाफ इसी साल अदालत में आरोप दायर किया गया था।
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