Highlights
- चुनाव के दौरान कार्यकर्ताओं समेत नेताओं में दिखी थी गुटबाजी
- सिंधिया और तोमर गुट में हुई थी जबरदस्त गुटबाजी
- ग्वालियर से ही आते हैं ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर
MP Municipal Corporation Election Results: गुटबाजी और कांग्रेस एक-दूसरे का पर्याय माने जाते रहे हैं इसी गुटबाजी के चलते मध्य प्रदेश और पंजाब में कांग्रेस दो फाड़ हुई। वहीं छत्तीसगढ़ में इसी गुटबाजी के चलते भूपेश बघेल सरकार भी विवादों के घेरे में आते रही है। ऐसी ही गुटबाजी अब कैडर बेस पार्टी कही जाने वाली भारतीय जनता पार्टी में भी देखे जाने लगी है और उसका परिणाम चुनाव में हार के रूप में देखने को मिल रहा है। बीजेपी का गढ़ कहे जाने वाले ग्वालियर नगर निगम में 58 सालों बाद भाजपा ने कांग्रेस के हाथों मेयर का पद गंवा दिया है।
ग्वालियर में कांग्रेस की प्रत्याशी शोभा सिकरवार ने बीजेपी के प्रत्याशी सुमन शर्मा को 28 हजार से ज्यादा वोटों से परास्त किया है। इससे पहले ग्वालियर में 4 अप्रेल 1962 से 3 अप्रेल 1964 तक कांग्रेस के चिमन भाई मोदी मेयर रहे लेकिन उसके बाद से ग्वालियर कि नगर निगम के मेयर पद पर भाजपा का ही कब्जा रहा।
नरेंद्र सिंह तोमर और सिंधिया दोनों अपने करीबियों को दिलाना चाहते थे टिकट
बीते 58 सालों में भाजपा के 17 महापौर ग्वालियर के नगर निगम के लिए चुने जाते रहे। लेकिन ग्वालियर में दो केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर के बीच टकराव की बनी स्थिति के चलते भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। टिकट वितरण के दौरान महापौर के टिकट के लिए नरेंद्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया आमने सामने दिखाई दिए। भाजपा के सूत्र बताते है कि ज्योतिदित्य सिंधिया पूर्व मंत्री माया सिंह को को टिकट दिलवाना चाहते थे वहीं नरेंद्र सिंह तोमर ब्राह्मण उम्मीदवार सुमन शर्मा को टिकट दिलाना चाह रहे थे ऐसे में आखिरी वक्त पर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अटल बिहारी वाजपेई के भांजे और पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा की पत्नी शोभा मिश्रा का भी नाम सुझाया था लेकिन आखिर में चली ग्वालियर चंबल मैं खासा प्रभाव रखने वाले केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की। और भाजपा ने नरेंद्र सिंह तोमर की ही प्रत्याशी सुमन शर्मा को टिकट दिया गया।
खुलकर सामने आई थी गुटबाजी
बीजेपी ने 16 नगर निगमों में से ग्वालियर नगर निगम के प्रत्याशी की घोषणा सबसे आखिरी प्रत्याशियों में से की थी और ग्वालियर प्रदेश की अकेली ऐसी सीट थी जहां पर दो दिग्गजों के आपसी टकराव की खबर खुलकर सामने आ रही थी। ऐसे में 2 बड़े मंत्रियों की खींचतान का असर भाजपा को देखना पड़ा और नरेंद्र सिंह तोमर खेमे की माने जाने वाली सुमन शर्मा को हार का सामना करना पड़ा।
गुटबाजी के चलते शीर्ष नेताओं को था खासा ध्यान
दो दिग्गजों की इस गुटबाजी के चलते मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा और शिवराज सरकार में ग्वालियर चंबल से ही आने वाले कैबिनेट मंत्री अरविंद भदौरिया और प्रद्युम्न सिंह तोमर ने भी खासा जोर लगाया लेकिन आखिर में भाजपा को हार ही मिली। भाजपा भले ही 11 में से 7 नगर निगमों में जीत का जश्न मनाते दिखाई दे रही हो लेकिन वह जानती है ग्वालियर में कांग्रेस को मिली जीत का असर 2023 के चुनाव में ग्वालियर चंबल संभाग में देखने को मिलेगा।
कांग्रेस ने सिंधिया पर कसा तंज
ग्वालियर नगर निगम के मेयर पद पर 58 साल बाद कांग्रेस को मिली इस सफलता ने जहां कांग्रेस को उत्साहित किया वहीं भाजपा के महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया पर हमला बोलने का मौका भी दे दिया। ग्वालियर में चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस नेताओं ने ताबड़तोड़ ट्वीट किए और ज्योतिरादित्य सिंधिया को निशाने पर लिया।
मध्य प्रदेश कांग्रेस के आधिकारिक ट्वीटर अकाउंट से ज्योतिरादित्य सिंधिया पर हमला बोलते हुए लिखा गया कि, "नकली शेर, हुआ ढेर"
वहीं राज्यसभा सांसद व कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख जयराम रमेश ने लिखा कि, ग्वालियर नगर निगम चुनाव में कांग्रेस की जीत से ज्यादा खुशी मुझे किसी और चीज में नहीं हुई। शानदार प्रदर्शन!"
मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता के.के मिश्रा ने ट्वीट करते हुए कहा कि सिंधिया ने 57 साल का रिकॉर्ड तोड़कर अपनी फजीहत करवा ली है। उन्होंने लिखा कि, "पहले स्वयं लोकसभा गुना में हारे,अब अपने गृह नगर ग्वालियर में 57 साल का रिकॉर्ड तोड़कर फजीहत करवा दी। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के यशस्वी नेतृत्व में आज सिद्ध हो गया कि ग्वालियर में कांग्रेस को कौन दगा देता रहा? 57 सालों बाद कांग्रेस की महापौर शोभा सिकरवार जी विजयी।"