भोपाल: 2023 का चुनाव सामने हैं। ऐसे में मध्यपदेश का सियासी माहौल हिंदुत्व के एजेंडे पर चलता हुआ दिखाई दे रहा है। बीजेपी पहले से ही धर्म की सनातनी पिच पर खेलती आ रही है। वहीं कांग्रेस भी समझ रही है हिंदुत्व का ग्राउंड चुनाव में जनता के वोटों की तालियां जरूर दिलवा सकता है। यही वजह है राजधानी भोपाल में कांग्रेस कार्यालय भगवामय दिखाई दिया। मौका रहा कांग्रेस का पुजारियों और धर्माचार्यों की धर्म संसद का। दरअसल कांग्रेस के भगवामय होने के पीछे कांग्रेस के पुजारी प्रकोष्ठ की ओर से आयोजित की गई धर्म संसद थी। जिसमें प्रदेश के तमाम जिलों से मंदिरों के पुजारियों धर्म आचार्यों संतो को बुलाया गया था। इसी धर्म संसद के चलते कांग्रेस कार्यालय को पूरी तरह भगवामय कर दिया गया था।
इन्हीं कांग्रेस नेताओं ने भगवा आतंकवाद कहा था - विश्वास सारंग
जाहिर है अपनी पिच पर कांग्रेस को बैटिंग करते देख भाजपा ने इसे 2023 के लिए कांग्रेस का चुनावी स्वांग बता दिया। सरकार के मंत्री विश्वास सारंग ने इंडिया टीवी से बातचीत के दौरान कहा जब जब चुनाव आते हैं उन्हें हिंदू देवी देवता याद आते हैं, भगवा याद आता है। इन्हीं कांग्रेस के नेताओं ने भगवा आतंकवाद कहा था इन्होंने हर समय हिंदू देवी देवताओं का अपमान किया है। राहुल गांधी और सोनिया गांधी ने रामसेतु को तोड़ने की कोशिश की थी इनके नेताओं ने राम के अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए कोर्ट में हलफनामा दिया था कि राम काल्पनिक है। चुनाव पास में है इसलिए अब भगवा याद आ रहा है।
बीजेपी ने नहीं ले रखा है भगवा और हिंदुत्व का ठेका - कमलनाथ
कांग्रेस के मुताबिक धार्मिक क्षेत्रों के सरकारी करण का विरोध लंबे समय से मंदिरों के पुजारी मठ के महंत धर्माचार्य कर रहे हैं। इनकी नाराजगी को भुनाने के लिए धर्म संसद कांग्रेस कार्यालय में बुलाई गई थी। जाहिर है जब साधु संतों का सम्मेलन था तो माहौल भगवा में होना ही था। बीजेपी को एतराज हुआ तो कमलनाथ सामने आए कहा भाजपा ने भगवा का ठेका नहीं ले रखा। न ही उनके पास भगवा का ट्रेडमार्क है। पत्रकारों से बातचीत करते हुए कमलनाथ ने कहा, "क्या भगवा का ट्रेडमार्क बीजेपी का है, उन्होंने ठेका लिया हुआ है? उन्होंने कहा कि हम सब में धार्मिक भावनाए हैं पर हम इसे राजनैतिक मंच पर नहीं लाते। इनको क्यों पेट में दर्द होता है जब हम मंदिर जाते हैं इनको पेट में दर्द होता है जब हमारा भगवा कुछ लग जाता है तो। इनका ठेका या सोल सेलिंग एजेंसी नहीं है।"
पुजारियों ने की 1974 से पहले वाली व्यवस्था की मांग
धर्म संसद के मौके पर मंदिरों के पुजारियों की मांग थी मध्यप्रदेश में 1974 के पहले की व्यवस्था बहाल की जानी चाहिए। जिसके तहत अधिकार मंदिर के ही पास होते थे लेकिन 1974 के बाद मंदिर से संबंध भूमि और अधिकार कलेक्टर के पास हो गए हैं। कमलनाथ ने मंच से कहा 6 महीने बाद ही हमारी सरकार बनने वाली है। मैंने अपने नेताओं से कहा मैं मंदिरों को छूट देना चाहता हूं। ताकि आप देश की आध्यात्मिक शक्ति को मजबूत बनाएं हम आपको मजबूती देंगे।
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