MP Election 2023: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही बड़े दल को अपनों के तेवर का डर सता रहा है। प्रदेश सरकार में मंत्री का दर्जा रखने वाले नंदराम कुशवाहा निवाड़ी में निर्दलीय चुनावी अखाड़ा में हैं। वहीं, कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने से नाराज आमिर अकील, जितेंद्र डागा, कमलेश्वर देवलिया, केके श्रीवास्तव, कमलेश अग्रवाल, शैलेंद्र चौधरी, जयकांत सिंह, राजेंद्र सिंह सोलंकी, कौशल्या गोटिया समेत कई नेता मैदान में हैं। क्षेत्र में दबदबा बनाए रखने वाले इन नेताओं के मैदान में आने से आलाकमान चिंतित है। इन्हें मनाने के लिए वरिष्ठ नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी गई है, लेकिन ये मानने को तैयार नहीं।
मनाने में जुटे बीजेपी-कांग्रेस के ये नेता
बीजेपी में टिकट नहीं मिलने से नाराज नेताओं से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद पटेल, कैलाश विजयवर्गीय, प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा बातचीत कर रहे हैं। इनके अलावा केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और अश्विनी वैष्णव, राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिव प्रकाश भी मनाने में लगे हुए हैं। वहीं, कांग्रेस से बगावती रुख अख्तियार करने वालों नेताओं को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के अलावा प्रदेश प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला बातचीत करने में जुटे हैं। दिग्विजय सिंह फोन से संपर्क कर बागियों को समझा रहे हैं।
बीजेपी में कौन-कहां से बागी?
बुरहानपुर विधानसभा सीट
इस सीट पर पूर्व सांसद और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रहें दिवंगत नंदकुमार सिंह चौहान के बेटे हर्षवर्धन निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। डेढ़ साल पहले खंडवा सांसद नंद कुमार सिंह चौहान के निधन के बाद बेटे हर्षवर्धन लोकसभा उपचुनाव में टिकट के दावेदार थे, लेकिन बीजेपी ने ज्ञानेश्वर पाटिल को उतारा था। इस बार विधानसभा चुनाव में पार्टी ने पूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस को टिकट दिया। हर्षवर्धन ने भी बुरहानपुर से टिकट मांगा था। टिकट नहीं मिलने पर नाराज होकर हर्षवर्धन निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, सीएम शिवराज सिंह चौहान से लेकर कई नेता उन्हें चुनाव नहीं लड़ने को कह रहे हैं, इसके बावजूद उन्होंने अपना नामांकन वापस नहीं लिया है।
निवाड़ी विधानसभा सीट
पिछले 2018 के विधानसभा चुनाव में बसपा के टिकट पर पृथ्वीपुर सीट से चुनाव लड़े नंदराम कुशवाह 2021 के विधानसभा उपचुनाव के दौरान बीजेपी में शामिल हो गए थे। नंदराम इस चुनाव में बीजेपी से निवाड़ी विधानसभा में टिकट की दावेदारी कर रहे थे। यहां पार्टी ने 2 बार के विधायक अनिल जैन को उम्मीदवार बनाया है। अब दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री नंदराम कुशवाहा निवाड़ी सीट पर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। नंदराम को बीजेपी के कई नेता समझा चुके हैं, लेकिन वे मानने को तैयार नहीं। इस सीट से बीजेपी के पूर्व जिलाध्यक्ष कमलेश्वर देवलिया भी निर्दलीय ताल ठोक रहे हैं। देवलिया बीजेपी के पुराने नेता हैं। ऐसे में उनकी उम्मीदवारी बीजेपी कैंडिडेट अनिल जैन के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं।
टीकमगढ़ विधानसभा सीट
यहां से केके श्रीवास्तव भी बागी बन गए हैं। वे 2013 से 2018 तक विधायक और नपाध्यक्ष रह चुके हैं। पिछली बार बीजेपी ने उनका टिकट काटकर राकेश गिरी को दिया। वे विधायक चुने गए। केके श्रीवास्तव इस बार फिर से यहां से दावेदारी कर रहे थे, जबकि बीजेपी ने राकेश गिरी को ही चुनावी मैदान में उतारा। ऐसे में केके श्रीवास्तव निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। केके बीजेपी से इस्तीफा दे चुके हैं। बीजेपी के नेता उन्हें मनाने की कोशिश में लगे हुए हैं, लेकिन वे पीछे हटने को तैयार नहीं हैं।
जबलपुर उत्तर-मध्य सीट
यहां से बीजेपी के वरिष्ठ नेता और नगर निगम नेता प्रतिपक्ष कमलेश अग्रवाल ने पार्टी से बगावत कर दी। वे निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। कमलेश अग्रवाल ने उत्तर मध्य विधानसभा से नामांकन फॉर्म भरा है। उनका आरोप है कि बाहरी प्रत्याशियों को लाकर चुनाव लड़ाया जा रहा है, इससे स्थानीय कार्यकर्ता आहत हैं। कमलेश अग्रवाल को मनाने की भी कोशिश की, लेकिन वह नहीं माने। अब यहां त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है। बीजेपी ने यहां से अभिलाष पांडे को, तो कांग्रेस ने विनय सक्सेना को उम्मीदवार बनाया है।
कांग्रेस में कौन-कहां से बागी?
भोपाल उत्तर विधानसभा
इस सीट पर 6 बार के कांग्रेस विधायक आरिफ अकील के भाई आमिर ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल किया है। आमिर अपने बडे़ भाई की सीट पर टिकट मांग रहे थे। हालांकि, कांग्रेस ने आरिफ अकील के बेटे आतिफ को चुनाव मैदान में उतारा है। इससे नाराज आमिर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। आमिर को आरिफ अकील और कांग्रेस के कई नेता समझा चुके हैं, लेकिन वो मानने को तैयार नहीं हैं। आमिर को दिग्विजय सिंह फोन कर चुके हैं, लेकिन अब आमिर कहना है कि पार्टी ने अपना निर्णय दे दिया। अब मेरा फैसला बदलने वाला नहीं है।
भोपाल की हुजूर विधानसभा सीट
यहां से पूर्व विधायक जितेंद्र डागा निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। डागा कांग्रेस से टिकट मांग रहे थे। पार्टी ने पिछला चुनाव हारे नरेश ज्ञानचंदानी को उम्मीदवार घोषित कर दिया। इसके बाद से ही उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया था। कांग्रेस नेताओं ने मनाने की कोशिश की। उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि वे पीछे नहीं हटेंगे।
नरसिंहपुर की गोटेगांव सीट
यहां से कांग्रेस ने पहली सूची में शैलेंद्र चौधरी को प्रत्याशी घोषित किया था। इस सीट के मौजूदा विधायक और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति की नाराजगी को देखते हुए पार्टी ने दूसरी सूची में शैलेंद्र चौधरी की जगह एनपी प्रजापति को फिर से उम्मीदवार घोषित कर दिया। टिकट कटने से नाराज होकर शैलेंद्र अब निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। उनसे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने बात की, लेकिन वो नहीं माने।
जबलपुर की बरगी विधानसभा सीट
इस सीट से पूर्व विधायक सोबरन सिंह के बेटे जयकांत सिंह ने बगावत की है। कांग्रेस से दो बार के विधायक रहे सोबरन सिंह के बेटे जयकांत सिंह ने 2018 में भी बरगी विधानसभा से टिकट मांगा था। उन्हें आश्वासन दिया गया था कि 2023 में उन्हें जरूर टिकट मिलेगा। जयकांत सिंह का कहना है कि कांग्रेस पार्टी को उनके पिताजी ने पूरा जीवन दे दिया, इसके बावजूद उनकी उपेक्षा की गई। इस वजह से अब वह वास्तविक भारत पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैं।
उज्जैन की बड़नगर विधानसभा सीट
बड़नगर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस ने मौजूदा विधायक मुरली मोरवाल का टिकट काटकर राजेंद्र सिंह सोलंकी को दिया था। मोरवाल के समर्थकों ने भोपाल में जमकर हंगामा किया। इसके बाद राजेंद्र सिंह सोलंकी का टिकट बदलकर दोबारा मुरली मोरवाल को दे दिया। अब राजेंद्र सिंह सोलंकी ने निर्दलीय नामांकन दाखिल किया है। सोलंकी ने बताया कि अब मैं पीछे हटने वाला नहीं हूं। बड़ी संख्या में समर्थक मेरे साथ हैं, हालांकि कांग्रेस चुनाव प्रभारी रणदीप सुरजेवाला का फोन आया था। उन्होंने नामांकन दाखिल नहीं करने को कहा था।
जबलपुर की सिहोरा विधानसभा सीट
सिहोरा विधानसभा सीट से पूर्व मंत्री कौशल्या गोटिया के अलावा पूर्व जिला पंचायत सदस्य जमुना मरावी ने टिकट नहीं मिलने की वजह से बगावत कर दी है। सिहोरा से दोनों ने टिकट मांगा था, लेकिन उनकी जगह कांग्रेस ने जब एकता ठाकुर को टिकट दिया, तो दोनों नाराज हो गईं। अब दोनों ने ही निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया है। कौशल्या को पार्टी के नेताओं ने समझाया भी था, लेकिन वे नहीं माने।