भोपालः मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव जल्द ही अपनी नई कैबिनेट का विस्तार करेंगे। बताया जा रहा है कि चौंकाने वाले चेहरों के साथ 12 से 15 विधायकों को मंत्री बनाया जा सकता है। जाति, उम्र और अंचलों के हिसाब से नए मंत्रिमंडल में विधायकों को जगह दी जाएगी। तीन बार के मंत्री रह चुके वरिष्ठों को कम तरजीह दी जाएगी। मोहन कैबिनेट में शिवराज मंत्रिमंडल के अधिकतर चेहरे नजर नहीं आएंगे। 12 से ज्यादा मंत्री पहले ही चुनाव हार चुके हैं।
इन विधायकों को बनाया जा सकता है मंत्री
जिन विधायकों को मंत्री बनाया जा सकते है उनमें कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल, राकेश सिंह और रीति पाठक का नाम सबसे आगे है। इनके अलावा सिंधिया गुट से गोविंद राजपूत, तुलसी सिलावट, प्रदुम सिंह तोमर, मालवा निमाड़ से कैलाश गुट के रमेश मेंदोला,इंदर परमार,निर्मला भूरिया,मालिनी गौड़,मंजू दादू, ग्वालियर चंबल से एंदल कसाना, अमरीश शर्मा, बृजेंद्र यादव के नाम शामिल हैं।
इन विधायकों का नाम सबसे आगे
विंध्य इलाके से दिव्यराज सिंह, कुंवर टेकाम, महाकौशल से संपतिया उइके, ओम प्रकाश धुर्वे और भोपाल-नर्मदापुरम संभाग से रामेश्वर शर्मा, विष्णु खत्री, कृष्णा गौर, विश्वास सारंग और विजय शाह को मोहन मंत्रिमंडल में जगह मिलने की संभावना है। बुंदेलखंड से ललिता यादव, प्रदीप लारिया, बृजेंद्र प्रताप सिंह, हरिशंकर खटीक और गोपाल भार्गव को मंत्री बनाया जा सकता है।
अधिकतम 32 विधायक बन सकते हैं मंत्री
बता दें कि मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री समेत 34 मंत्रियों से ज्यादा बड़ा मंत्रिमंडल नहीं हो सकता। मुख्यमंत्री और दो डिप्टी सीएम पहले ही शपथ ले चुके हैं। इसलिए मोहन कैबिनेट में अधिकतम 32 विधायकों को ही मंत्री बनाया जा सकता है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ओबीसी तो दोनों डिप्टी सीएम सवर्ण और एससी कोटे से आते हैं। इसलिए अन्य जातियों के विधायकों को मंत्रिमंडल में ज्यादा जगह मिलने की उम्मीद है। लोकसभा चुनाव देखते हुए बीजेपी अन्य जातियों को लुभाने की कोशिश कर सकती है।