मध्य प्रदेश की दो विधानसभा सीटों पर होने जा रहे उपचुनाव में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी की फूट सामने आ गई है। मध्य प्रदेश के बुधनी और विजयपुर विधानसभा में 13 नवंबर को चुनाव होने जा रहे हैं। जिसमें कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। कांग्रेस ने केंद्रीय मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इस्तीफे से खाली हुई बुधनी विधानसभा सीट के उपचुनाव में राजकुमार पटेल को तो वहीं, विजयपुर सीट से मुकेश मल्होत्रा को चुनावी मैदान में उतारा है।
उपचुनाव वाले दोनों सीटों पर कांग्रेस ने उतारे अपने उम्मीदवार
इन्हीं दो सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवार घोषित करने से समाजवादी पार्टी नाराज है। दरअसल, समाजवादी पार्टी ने दो सीटों पर होने वाले उपचुनाव में से कांग्रेस से एक सीट मांगी थी। इन सीटों पर प्रत्याशी के चयन के लिए बाकायदा मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी, सज्जन वर्मा, अरुण यादव समेत समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मनोज यादव भी मौजूद रहे। कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी को आश्वस्त किया था कि पार्टी आला कमान से बातचीत के बाद वह अपना निर्णय बताएंगे लेकिन कांग्रेस ने बिना समाजवादी पार्टी को भरोसे में लिए, दोनों सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी। इसके बाद समाजवादी पार्टी ने भी 24 घंटे के अंदर बुधनी सीट से अपना प्रत्याशी उतार कर कांग्रेस को बड़ा झटका दे दिया। इस सीट से समाजवादी पार्टी ने एक दिन पहले ही कांग्रेस से इस्तीफा देकर आए अर्जुन राय को अपना प्रत्याशी बनाया है।
सपा ने एक सीट पर मांगा था टिकट लेकिन वो भी नहीं हो पाया कांग्रेस से
दरअसल, किसान नेता के तौर पर पहचाने जाने वाले अर्जुन राय कांग्रेस में प्रदेश सचिव रहे हैं और लंबे समय से विधानसभा चुनाव में टिकट मांग रहे थे। लेकिन कांग्रेस ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो नाराज होकर उन्होंने समाजवादी पार्टी ज्वाइन कर ली। अर्जुन राय 2018 में भी समाजवादी पार्टी में थे। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता यश भारती ने इंडिया टीवी से बात करते हुए कहा की अर्जुन आर्य ने 14 अक्टूबर को राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से बात कर पार्टी में शामिल होने की इच्छा जताई। जिसके बाद उन्हें पार्टी में शामिल किया गया। यश ने यह भी कहा कि कई दौर की बातचीत के बावजूद कांग्रेस ने दो में से एक सीट गठबंधन धर्म के तहत उन्हें नहीं दी। यश भारती ने कहा कांग्रेस अपनी हार से सबक नहीं लेती है चाहे हार हरियाणा की हो या 2023 की मध्य प्रदेश चुनावों की। कांग्रेस ऐसी पार्टी है जो सहयोगियों से सहयोग नहीं लेना चाहती और सहयोग देना भी नहीं चाहती है।
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