MP Assembly Electons 2023: मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान आम जनता के बीच 'मामा' के नाम से लोकप्रिय हैं। लाड़ली लक्ष्मी योजना, मुख्यमंत्री कन्यादान विवाह योजना ने मामा को रातोंरात प्रदेश की जनता के दिल में बसा दिया। हालांकि जब ये जादू कम पड़ने लगा तो उन्होंने इस साल फिर 'लाड़ली बहना योजना' का दांव चला। इस दांव के बलबूते पर ही वे जीत का दावा कर रहे हैं। सवाल यह है कि साल 2018 के चुनाव में बीजेपी हार गई, लेकिन ऐसी क्या 'बाजीगरी' हुई कि शिवराज सिंह चौहान 15 महीने के बाद फिर सूबे के सीएम बन गए।
शिवराज सिंह चौहान 2018 में बीजेपी के हारने के बाद सत्ता से दूर हो गए और कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार ने शपथ ग्रहण की। लेकिन 15 महीनों में ऐसा क्या हुआ कि सीएम शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर मप्र के सीएम बन गए। इसके पीछे कई उतार चढ़ाव आए। जानिए क्या 'पोलिटिकल ड्रामा' रहा।
कमलनाथ ने निर्दलीयों को साधा, बसपा और सपा का भी मिला साथ, बने सीएम
दरनअसल, कमलनाथ की पार्टी ने सरकार तो बना ली। क्योंकि कांग्रेस को 114 सीटें मिली थीं, जबकि बीजेपी 109 सीटों पर ही जीत दर्ज कर पाई थी। अब यहां से ड्रामा शुरू हुआ। कमलनाथ ने निर्दलीयों को साधा। फिर 2 बसपा और 1 सपा व 4 निर्दलीय विधायकों को मिलाकार कांग्रेस की सरकार बना डाली। बीजेपी हाथ मलती रह गई। लेकिन 'यह पोलिटिकल ड्रामा' अभी खत्म नहीं हुआ था।
https://www.indiatv.in/elections/madhya-pradesh-assembly-elections/constituencies
कमलनाथ के सीएम बनते ही सिंधिया को गए थे रुष्ट
कमलनाथ 15 महीने तक 'वल्लभ भवन' में बैठकर सरकार चला रहे थे। उन्हें नहीं पता था कि अंदर ही अंदर एक बड़ा धड़ा कांग्रेस से अलग होने की कवायद में जुटा था। जी हां, ज्योतिरादित्य सिंधिया जिनके कांग्रेस की सरकार बनने के बाद सीएम पद की शपथ लेने की बड़ी चर्चा चल रही थी, लेकिन हुआ उलटा। कमलनाथ को कांग्रेस हाईकमान ने तरजीह दी और सिंधिया की जगह सीएम बन गए कमलनाथ। यहीं से सिंधिया का मन कांग्रेस से उचट गया था। जो उनके हावभाव में भी देखने को मिला।
23 मार्च 2020 को मामा शिवराज ने फिर ली सीएम पद की शपथ
अब कहानी का नया घटनाक्रम शुरू हुआ। 15 महीने बाद 10 मार्च 2020 को ज्योतिरादित्य सिंधिया पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह से मिले और 21 मार्च को वे अपने 22 विधायक समर्थकों सहित बीजेपी में शामिल हो गए। यह बड़ा 'खेल' देशभर की राजनीति में बड़ी चर्चा का विषय बन गया। इसके बाद 23 मार्च को 'मामा' शिवराज ने सीएम पद की शपथ ली और 15 महीने विपक्ष में गुजारने के बाद एक बार फिर 'मामा' शिवराज सूबे के सीएम बन गए। इस तरह मध्यप्रदेश में 'राजनीतिक ड्रामे' का पटाक्षेप हुआ।