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MP Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासत चरम पर है। सबसे बड़ा संशय तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के चुनाव लड़ने को लेकर है। सीएम शिवराज की उम्मीदवारी पर अबतक ग्रहण लगा हुआ है। हर मंगलवार को सीएम शिवराज सिंह चौहान कैबिनेट की बैठक करते हैं और शिवराज सिंह चौहान ने पहले से ही जनता से कई वादे किए हैं और अब चुनाव को लेकर आचार संहिता कभी भी लागू हो सकती है तो कैबिनेट की बैठक कब आखिरी हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता। सीएम शिवराज कैबिनेट की बैठक में योजनाओं को लेकर क्या ऐलान कर सकेंगे क्या नहीं, यह तो उन्हें भी नहीं पता। चुनाव लड़ने को लेकर उनके मन में हताशा है या निराशा यह उनके बयानों से स्पष्ट दिख रहा है। सीएम खुद जनता से पूछ रहे हैं-चुनाव लड़ूं या ना लड़ूं।
बता दें कि आने वाले मंगलवार को होने वाली कैबिनेट की बैठक में कई योजनाओं का ऐलान हो सकता है जिससे कई विभागों को और कर्मचारियों को मिल सकता है लाभ। कैबिनेट बैठक के बाद कभी भी लग सकती है आदर्श आचार संहिता। इसे लेकर ही सीएम शिवराज सिंह चौहान चिंतित नजर आ रहे हैं।
चुनाव लड़ने के लिए पब्लिक से मांग रहे राय
केंद्रीय नेतृत्व के हाथों में कमान देख सीएम शिवराज सिंह चौहान अपनी विधानसभा में एक बार फिर से भावुक नजर आए। बुधनी विधानसभा के ग्राम सातदेव में जनता को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चुनाव लड़ने को लेकर भरे मंच से जनता से पूछा "चुनाव लड़ूं या नहीं लड़ूं बोलो।" वहीं जनता की तरफ से मामा-मामा के जयकारे गूंजे तो सीएम मुस्कुरा दिए।
इससे दो दिन पहले ही सीएम ने अपने गृह जिले सीहोर में लाडली बहन योजना का जिक्र करते हुए मंच से कहा था कि "ऐसा भइया नहीं मिलेगा, अगर चला गया तो बहुत याद आऊंगा तुम्हें।" चुनाव लड़ने को लेकर उनकी बातें साफ इंगित कर रही हैं कि उनके मन में आलाकमान से नाराजगी है या हताशा है। सीएम शिवराज रविवार को सीहोर जिले के लाड़कुई गांव में मुख्यमंत्री चरण पादुका योजना के तहत तेंदूपत्ता संग्राहको के कार्यक्रम में पहुंचे थे और उसी दौरान उन्होने ये बात मंच से सभा में बैठी महिलाओं से कही थी।दरअसल केंद्रीय मंत्रियों सांसदो को चुनावी मैदान में उतारने के बाद से सियासी जुबानो पर अंदर ही अंदर सीएम शिवराज के चुनाव नहीं लड़ने की सुगबुगाहट चल रही है।