MP Amazing News: एमपी अजब है सबसे गजब है। यह गाना एमपी सरकार ने भले ही प्रदेश का पर्यटन बढ़ाने के लिए बनाया गया हो, लेकिन यहां के कुछ गांव वाकई अजब—गजब हैं। मध्यप्रदेश के ऐसे ही एक गांव डबल चौकी की कहानी बड़ी अजीब है। इस गांव का एक हिस्सा इंदौर जिले में, तो दूसरा हिस्सा देवास जिले में आता है। खास बात यह है कि इस गांव का नाम डबल चौकी ऐसे ही नहीं है। यहां सबकुछ डबल है। संसदीय क्षेत्र, जिला और थाना क्षेत्र भी डबल हैं। गांव डबल चौकी इंदौर-बैतूल हाईवे पर स्थित है।
इंदौर से करीब 25 किमी दूर स्थिति डबल चौकी के रोड की एक तरफ इंदौर तो दूसरी ओर देवास की सीमा लगती है। रियासत काल में यहां देवास और इंदौर के महाराजाओं की चौकी थी। दोनों की रियासतों की सीमाएं यहां लगती थीं। उस जमाने में गांव से निकलने वाला नाला इन दोनों रियासतों की सीमाएं निर्धारित करता था। यहां दोनों की चौकियां थीं। इस कारण तभी से इसका नाम डबल चौकी पड़ गया।
अब रियासतों का समय गया। जिले बने। तब इंदौर और देवास की सीमा के बीच यह गांव पड़ गया। खुड़ैल, चापड़ा जैसे आसपास के गांवों के बीच स्थिति यह गांव हाईवे पर होने के कारण फुटकर कारोबार का बड़ा केंद्र है। आसपास के 40 गांवों के निवासी यहां खरीदारी के लिए आते हैं।
4 पंचायतों में बंटा डबल चौकी
यह गांव 4 पंचायतों में बंटा हुआ है। यहां रहने वाले लोग बताते हैं कि स्थानीय निवासियों में भी यह असमंजस रहता है कि वे इंदौर जिले में हैं या देवास जिले में। भले ही आधार कार्ड से लेकर दूसरे सरकारी कागजों के एड्रेस में जिले का नाम बदल जाता हो, लेकिन ये लोग सभी एक ही इलाके में रहते हैं। गांव का अधिकांश हिस्सा ग्राम पंचायत अखेपुर में आता है।
ट्रेन का इंजन राजस्थान में, तो गार्ड का डिब्बा एमपी में
राजस्थान झालावाड़ का भवानीमंडी स्टेशन दो राज्यों के बीच है। कई बार ऐसी असमंजस की स्थिति आती है कि इंजन राजस्थान में होता है, जबकि गार्ड का डिब्बा यानी रेलगाड़ी का पिछला हिस्सा मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले में होता है। भवानीमंडी रेलवे स्टेशन पर रोज करीब 50 ट्रेनों का आना-जाना है। ये स्टेशन WCR जोन और कोटा डिवीजन में आता है। रेलवे स्टेशन पर बुकिंग क्लर्क मप्र में बैठता है और टिकट कटाने वाले यात्री राजस्थान की सीमा में खड़े होकर टिकट कटाते हैं।