Highlights
- अब हिंदी में भी मिलेगी MBBS की शिक्षा
- कोर्स के लिए फर्स्ट ईयर की किताब तैयार
- सेकेंड ईयर के बाद पीजी तक लाएंगे किताबें
इंडिया टीवी से खास बातचीत में मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि अंग्रेजी भाषा न जानने के चलते बच्चे कुंठित हो जाते थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश का मानस बदलने का काम किया है। उनका संकल्प था कि मेडिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई मातृभाषा में होनी चाहिए। हम संकल्प सिद्धि के लिए जुट गए हैं। सीएम शिवराज ने कहा कि लोग कहते थे असंभव है लेकिन जहां चाह होती है वहीं राह होती है।
"हिंदी की पाचन क्षमता जबरदस्त है..."
शिवराज सिंह ने आगे कहा कि हमारी किताबें तैयार हैं, मेडिकल की पढ़ाई हिंदी भाषा में हो रही है। चीन, जर्मनी, जापान, फ्रांस, इटली अपनी भाषा में पढ़ाते हैं और अव्वल आते हैं। अंग्रेजी उनके लिए अनिवार्य नहीं है। एक छोटे समूह ने देश में ये मानसिकता बना रखी थी कि अंग्रेजी के बिना कुछ नहीं हो सकता, लेकिन मध्य प्रदेश ये सिद्ध कर रहा है। उन्होंने कहा कि लीवर प्रसंग में है तो यकृत नहीं लिखा, किडनी ही लिखी, रेल को लोह पथ गामिनी क्यों कहेंगे, हिंदी की पाचन क्षमता जबरदस्त है, वह दूसरे शब्दों को पचा लेगी और व्यवहारिक हो जाएगी। हिंदी में सारी चीजें जानने वाले, चिकित्सा की पढ़ाई करने वाले, गांव में इलाज करेंगे, कस्बों में इलाज करेंगे। उन्होंने कहा कि Rx की जगह श्रीहरि लिखो क्या दिक्कत है, क्रोसिन लिखना है तो हिंदी में लिख दो क्या दिक्कत है? प्रधानमंत्री के नेतृत्व में देश अंगड़ाई लेकर खड़ा हो रहा है। हमारी संस्कृति, हमारी भाषा, हमारे जीवन में हमारी परंपराओं सब का उदय हो रहा है, शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति हो रही है।
हिंदी में MBBS की पढ़ाई का विचार कैसे आया
शिवराज ने कहा कि एक तो मैंने बचपन से देखा था कि प्रतिभाशाली होते हुए भी कई बच्चे जो गरीब होते हैं, निम्न-मध्यम वर्ग से होते हैं, केवल अंग्रेजी न जानने के कारण अपनी प्रतिभा को प्रकट नहीं कर पाते। अंग्रेजी का बोझ उनको ऐसे कर देता है कि प्रतिभा कुंठित हो जाती है। कई तो निराश हो जाते हैं, कुछ तो ऐसे थे मेडिकल की पढ़ाई इसलिए छोड़ दी कि अंग्रेजी में वो ढंग से समझ नहीं पाते थे।
ऐसे में हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश का मानस बदलने का काम किया। उन्होंने यह संकल्प व्यक्त किया कि नई शिक्षा नीति में मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी मातृभाषा में होनी चाहिए। प्रधानमंत्री का संकल्प सिद्धि के लिए हम दिन और रात जुट गए और तय किया कि मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई अब हिंदी में होगी। मातृभाषा यानी हिंदी हमारी, हमने चिकित्सा और शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग की अध्यक्षता में टीम बनाई, सेल बनाया विशेषज्ञों से बातचीत करके डॉक्टर जुट गए। कई लोगों की टीम जुटी। लोग पहले कहते थे असंभव है, लेकिन जहां चाह होती है वहां राह को निकलना पड़ता है। हमारी किताबें तैयार हैं और मेडिकल की पढ़ाई हिंदी भाषा में हो रही है।
मुश्किलें अब भी आ आएंगी...
मध्य प्रदेश के सीएम ने इंडिया टीवी से खास बातचीत में कहा कि दुनिया के कई देश हैं जो अपनी मातृभाषा में मेडिकल की पढ़ाई करते हैं और तकनीकी शिक्षा भी देते हैं। चीन रूस जर्मनी जापान फ्रांस इटली कितने देश हैं जो अपनी भाषा में पढ़ाते हुए भी वह अव्वल आते हैं। इन क्षेत्रों में अंग्रेजी उनके लिए अनिवार्य नहीं है तो हमें कैसे अनिवार्य हो गई। यह देश का एक छोटा समूह है उसने यह मानसिकता बना रखी थी कि अंग्रेजी के बिना कुछ हो ही नहीं सकता। यह बिल्कुल भ्रांत धारणा है, अंग्रेजी के बिना भी मेडिकल की पढ़ाई हो सकती है। यह मध्यप्रदेश सिद्ध कर रहा है। अमित शाह आ रहे हैं, किताबों का विमोचन करेंगे और इसी साल से पढ़ाई प्रारंभ हो जाएगी। शिवराज ने कहा कि हम इस मिथक को तोड़ देंगे के अंग्रेजी के बिना यह पढ़ाई नहीं हो सकती।
अब हिंदी पढ़ने के बाद वह डॉक्टर गांव में जाएंगे
सीएम शिवराज ने कहा कि गरीब बच्चे नहीं, मध्यमवर्गीय बच्चे कस्बों और ग्रामीण उच्च भूमि के बच्चे केवल अंग्रेजी के कारण ही मारे जाते थे। अब उनमें नया आत्मविश्वास पैदा हुआ है। हमें अपने प्रदेश में इतने डॉक्टर्स की जरूरत है, ग्रामीण क्षेत्र में डॉक्टर नहीं मिलते। अंग्रेजी पढ़ो और किसी प्राइवेट अच्छे अस्पताल में चले जाओ। अब गांव में भी डॉक्टर्स मिलेंगे और हिंदी में सारी चीजें जानने वाले चिकित्सा की पढ़ाई करने वाले गांव में इलाज करेंगे, कस्बों में इलाज करेंगे, शहरों में इलाज करेंगे, भोपाल में कौन सा अंग्रेजी जानते हैं। आज भी 90% लोग हैं जो हिंदी में ही जानते हैं।
प्रिस्क्रिप्शन कैसे लिखेंगे
सीएम ने कहा कि आरएक्स की जगह श्रीहरि लिखो और देवनागरी भाषा में लिख दो। दवाई में अगर क्रोसिन लिखना है तो क्रोसिन हिंदी में लिखने में क्या दिक्कत है। भाषाई पुनरुत्थान है, हिंदी को उसका स्थान दिलाने की कोशिश है। उन्होंने बताया कि पहले सेमेस्टर की किताबें है। अभी 5 सेमेस्टर की किताबें बची हैं। उन्होंने बताया कि हमारे वार रूम मंदार में बैठकर टीम अभी भी काम कर रही है। प्रथम वर्ष फर्स्ट ईयर की किताब तैयार है, द्वितीय वर्ष की हो रही है। इसके बाद पीजी तक लाएंगे और यह संभव है मध्य प्रदेश कर रहा है।