Saturday, December 21, 2024
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देवर-भाभी, चाचा-भतीजा, भाई और समधी... मध्य प्रदेश चुनाव में इन सीटों पर एक दूसरे के खिलाफ लड़ेंगे 'रिश्ते'

कहते हैं कि राजनीति वही है जिसकी कोई नीति नहीं होती। ये देखने को मिल रहा है मध्य प्रदेश के चुनाव में प्रत्याशियों के ऐलान के बाद। दरअसल , यहां कई सारी सीटों पर चुनाव जीतने की लालसा में कैंडिडेट अपने रिश्तेदारों को ही हराने में पीछे नहीं हट रह हैं और खुलकर एक दूसरे के बनाम चुनावी मैदान में हैं।

Edited By: Swayam Prakash @swayamniranjan_
Published : Oct 25, 2023 10:36 IST, Updated : Oct 25, 2023 10:36 IST
madhya pradesh elections
Image Source : REPRESENTATIONAL IMAGE भाजपा औरकांग्रेस ने रिश्तेदारों को टिकट देकर एक दूसरे के सामने उतारा

मध्य प्रदेश की कुछ विधानसभा सीटों पर अलग-अलग राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले एक ही परिवार के सदस्यों के बीच चुनावी लड़ाई देखने को मिल सकती है। सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी कांग्रेस ने रिश्तेदारों को टिकट देकर सत्ता की तलाश में एक-दूसरे के सामने खड़ा कर दिया है। प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों के लिए 17 नवंबर को होने वाले चुनाव में भाई, चाचा-भतीजा, देवर-भाभी, समधी आदि पास और दूर के रिश्तेदार आमने-सामने खड़े हो गए हैं। 

दो सगे भाई आमने-सामने

पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और नर्मदापुरम से भाजपा उम्मीदवार सीताशरण शर्मा का मुकाबला उनके भाई गिरिजाशंकर शर्मा से है, जो कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। भाजपा के पूर्व विधायक गिरिजाशंकर शर्मा ने हाल ही में अपनी पार्टी बदल दी और सत्तारूढ़ दल द्वारा टिकट देने से इनकार करने के बाद कांग्रेस में शामिल हो गए। 

यहां जेठ से होगा मुकाबला
सागर विधानसभा सीट पर कांग्रेस की निधि सुनील जैन का मुकाबला अपने जेठ और मौजूदा भाजपा विधायक शैलेन्द्र जैन से है। निधि जैन, शैलेंद्र जैन के छोटे भाई और देवरी से कांग्रेस के पूर्व विधायक सुनील जैन की पत्नी हैं। 

चाचा के खिलाफ लड़ेंगे भतीजे
इसी तरह रीवा जिले के देवतालाब में कांग्रेस ने पद्मेश गौतम को भाजपा विधायक और वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम के खिलाफ मैदान में उतारा है, गिरीश गौतम पद्मेश के चाचा हैं। पद्मेश गौतम ने इससे पहले पंचायत चुनाव में मौजूदा विधायक के बेटे राहुल गौतम को हराया था। एक अन्य अंतर-पारिवारिक चुनावी लड़ाई में मौजूदा भाजपा विधायक और पार्टी उम्मीदवार संजय शाह हरदा जिले के टिमरनी में अपने भतीजे कांग्रेस के अभिजीत शाह के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। अभिजीत शाह दूसरी बार अपने चाचा के खिलाफ मैदान में हैं। 

चुनावी लड़ाई में रिश्तेदार बनाम रिश्तेदार 
ग्वालियर जिले के डबरा में भाजपा की पूर्व राज्य मंत्री इमरती देवी अपने रिश्तेदार और मौजूदा कांग्रेस विधायक सुरेश राजे से मुकाबला कर रही हैं। भाजपा सूत्रों ने कहा कि इमरती देवी की भतीजी की शादी राजे के परिवार में हुई है। इन सीटों पर एक-दूसरे के खिलाफ रिश्तेदारों को मैदान में उतारने के बारे में पूछे जाने पर प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने कहा, "मध्य प्रदेश भाजपा के लिए एक परिवार है। पार्टी कार्यकर्ता इस परिवार का हिस्सा हैं। पार्टी एक उपयुक्त कार्यकर्ता को मैदान में उतारने के बारे में निर्णय करती है।" चतुर्वेदी ने कहा कि कांग्रेस एक वंशवादी पार्टी है जहां सभी प्रमुख निर्णय एक परिवार द्वारा लिया जाता है जबकि भाजपा एक कैडर-आधारित संगठन है। 

कांग्रेस बोली- यही लोकतंत्र की खूबसूरती
रिश्तेदार बनाम रिश्तेदारों की चुनावी लड़ाई के बारे में पूछे जाने पर मप्र कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष के के मिश्रा ने इसे महज संयोग बताया। मिश्रा ने कहा, ‘‘अलग-अलग विचारधारा वाले लोग एक छत के नीचे रह सकते हैं और यही लोकतंत्र की खूबसूरती है। तो यह संयोग चुनावी मैदान में भी हो सकता है।’’ उन्होंने कहा कि राजनीतिक और वैचारिक मतभेदों के बावजूद प्रतियोगियों के बीच वसुधैव कुटुंबकम (दुनिया एक परिवार है) की भावना बनी रहनी चाहिए। 

"केवल सत्ता और पद पाने की लड़ाई"
वहीं वरिष्ठ पत्रकार और राजनीति के जानकार आनंद पांडे ने कहा कि यह विचारधाराओं की लड़ाई नहीं है, बल्कि सत्ता और पद पाने की लड़ाई है। उन्होंने कहा कि राजनीति नई दिशा में जा रही है। दोनों शर्मा भाई (सीताशरण और गिरिजाशंकर) नर्मदापुरम में एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं, भाजपा विधायक थे और उनमें से एक अब दूसरी पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैं क्योंकि उन्हें टिकट नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा कि इसी तरह सागर, टिमरनी और देवतालाब में भी परिवार के करीबी सदस्य एक-दूसरे के खिलाफ लड़ रहे हैं। पांडे ने कहा, ‘‘ राज्य में इतने बड़े पैमाने पर ऐसा पहली बार हो रहा है जब भाइयों और करीबी रिश्तेदारों ने राजनीति और सत्ता के खेल को अपने संबंधों से ऊपर रखा है।’’ पांडे ने कहा कि पहले एक ही परिवार के सदस्य अलग-अलग पार्टियों में होते थे, लेकिन विधानसभा में प्रवेश के लिए उनके बीच सीधी लड़ाई दुर्लभ थी। 

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