Highlights
- महाकाल लोक में प्रधानमंत्री का जय महाकाल
- 18 साल का संकल्प...मोदी की तपस्या से कायाकल्प
- महाकाल लोक में मोदी, आस्था की प्राण प्रतिष्ठा
Mahakal Corridor: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को उज्जैन में महाकाल लोक का उद्घाटन किया। बता दें कि 12 ज्योर्तिलिंगों में से एक उज्जैन के महाकाल मंदिर में पीएम मोदी का आगमन एक ऐतिहासिक पल था। महाकाल लोक का उद्घाटन करने के बाद पीएम मोदी ने कार्तिक मेला ग्राउण्ड में जनसभा को संबोधित किया। इससे पहले उन्होंने बाबा महाकाल की विषेश पूजा अर्चना की। प्रधानमंत्री मोदी भारतीय वायुसेना के विमान से इंदौर एयरपोर्ट पर पहुंचे और वहां से हेलीकॉप्टर से उज्जैन हेलीपेड पहुंचे। उसके बाद उन्होंने बाबा महाकाल के दर्शन किए और पूजा अर्चना की और नंदी को प्रणाम किया।
'शंकर के सानिध्य में साधारण कुछ भी नहीं है'
जनसभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, 'शंकर के सानिध्य में साधारण कुछ भी नहीं है। सब कुछ अलौकिक है, असाधारण है। अविस्मरणीय है, अविश्वसनीय है। सफलता के शिखर तक पहुंचने के लिए ये जरूरी है कि राष्ट्र अपने सांस्कृतिक उत्कर्ष को छुए, अपनी पहचान के साथ गौरव से सर उठाकर खड़ा हो। जहां महाकाल हैं, वहाँ कालखण्डों की सीमाएं नहीं हैं।'
जानिए महाकाल मंदिर टूटने-बनने की कहानी
- द्वापर युग- द्वापर युग से पहले बना
- 11वीं शताब्दी- राजा भोज ने पुनर्निर्माण कराया
- 11वीं सदी- गजनी के सेनापति ने तोड़ा
- सन् 1280- राजा जयसिंह ने सोने की परत चढ़वाई
- 13वीं सदी- इल्तुतमिश ने ढहाया
- 13वीं सदी- धार के राजा देपालदेव ने मंदिर फिर बनवाया
- 1300 ईस्वी- रणथंभोर के राजा हमीर ने विस्तार किया
- 1731-1809 मराठा राजाओं ने विस्तार किया
25 लाख वर्ष से भी पुराना है महाकालेश्वर मंदिर का इतिहास
उज्जैन के जिस महाकालेश्वर मंदिर को अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाकाल लोक कोरिडोर की सौगात दी है, उसका इतिहास अति गौरवशाली, भव्य, अनुपम, अनूठा और अद्वितीय है। हिंदू के अन्य धार्मिक स्थलों की तरह ही यह महास्थल भी मुस्लिम शासकों के अत्याचार का शिकार हुआ था, लेकिन इसके बावजूद श्रीमहाकालेश्वर का बाल बांका तक नहीं हुआ। यही वजह है कि उज्जैन के बाबा महाकाल सबकी रक्षा करते हुए आज भी अक्षुण खड़े हैं। महाकालेश्वर मंदिर भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए आस्था का सबसे बड़ा केंद्र है। श्रीमहाकाल को कालों का भी काल कहा जाता है।
भगवान महाकाल स्वयं उज्जैन नगरी में हुए थे विराजमान
वैदिक ग्रंथों और पुराणों के अनुसार भगवान महाकाल स्वयं उज्जैन नगरी में विराजमान हुए थे। श्रीमहाकाल त्रिकालदर्शी और कालजयी हैं। ऐसी मान्यता है कि तन, मन से उनकी भक्ति करने वाला और उनके दरबार में जाकर शीष झुकाने वाला कभी "अकाल मृत्यु" को प्राप्त नहीं होता तभी उनके बारे में कहावत है कि "अकाल मृत्यु वो मरे जो काम करे चंडाल का, काल उसका क्या करे जो भक्त हो महाकाल का"....। भगवान महाकाल 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक हैं, जिनकी महिमा अपरंपार है।