मध्य प्रदेश के उज्जैन में लगी पंचांग पर आधारित विक्रमादित्य वैदिक घड़ी साइबर हमले के कारण धीमी हो गई है। यह घड़ी यहां जीवाजीराव वेधशाला के निकट जंतर मंतर में 85 फुट ऊंचे टॉवर पर लगी हुई है। जीवाजीराव वेधशाला की देखभाल करने वाले महाराजा विक्रमादित्य शोध पीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी ने बताया कि घड़ी के ऐप पर गुरुवार रात साइबर हमला किया गया। तिवारी ने कहा, "हमले के बाद घड़ी धीमी हो गई। राष्ट्रीय साइबर अपराध पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई गई है।"
CM मोहन ने 2022 में रखी थी नींव
वैदिक घड़ी के एप पर साइबर हमले के बाद आमलोग इसका उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। इस घड़ी को आरोह नामक संस्था ने डिजाइन किया है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 29 फरवरी को डिजिटल माध्यम से इसका उद्घाटन किया था। बता दें कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव जब 2022 में उच्च शिक्षा मंत्री थे, तब उन्होंने 22 मार्च 2022 को इस वैदिक घड़ी के 85 फीट टावर की नींव रखी थी।
दुनिया की पहली वैदिक घड़ी क्यों है खास?
- यह घड़ी एक सूर्य उदय से दूसरे सूर्य उदय के बीच 30 घंटे का समय दिखाती है।
- इसमें भारतीय स्टैंडर्ड टाइम के आधार पर 60 मिनट नहीं बल्कि 48 मिनट का एक घंटा तय किया गया है।
- साथ ही वैदिक समय के आधार पर ही यह घड़ी अलग-अलग मुहूर्त भी दिखाती है।
- इंडियन स्टैंडर्ड टाइम (IST) और ग्रीनविच मीन टाइम (GMT) के साथ-साथ पंचांग और मुहूर्त की भी पूरी जानकारी देती है।
- इस घड़ी के टेक्नीशियन सुनील गुप्ता की मानें तो यह घड़ी पुराने समय में जैसे काल और समय की गणना होती थी, उसी आधार पर गणना करती है।
- 30 घंटे की वैदिक घड़ी वैदिक गणित के आधार पर काम करती है और घड़ी से मुहूर्त भी देख सकते हैं।
- इस घड़ी को मोबाइल ऐप से भी संचालित किया जा सकता है।
- यह घड़ी पूरी तरह डिजिटल है। आम घड़ियों की तरह सुई वाली नहीं है।
- इस घड़ी में ग्राफिक्स का भी इस्तेमाल किया गया है। हर घंटे में अलग-अलग तस्वीरें इस घड़ी में दिखाई देती है।