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Madhya Pradesh: गोद लिए दंपत्ति खाली करें 90 वर्षीय विधवा का घर, हाईकोर्ट ने दिया आदेश

Madhya Pradesh: हाईकोर्ट की इंदौर पीठ के जस्टिस विजय कुमार शुक्ला ने माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम 2007 के तहत 90 वर्षीय शकुंतला सक्सेना की याचिका मंजूर करते हुए मंगलवार को यह आदेश दिया।

Edited By: Shailendra Tiwari @@only_Shailendra
Updated on: July 27, 2022 20:43 IST
High Court of Madhya Pradesh- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO High Court of Madhya Pradesh

Highlights

  • हाईकोर्ट ने जिला प्रशासन के आदेश को किया रद्द
  • बुजुर्ग महिला का घर खाली करें दंपत्ति
  • 90 वर्षीय बुजुर्ग ने जिला प्रशासन से लगाई थी गुहार

Madhya Pradesh: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने जिला प्रशासन के एक आदेश को रद्द करते हुए अपने ही घर में एक युगल की कथित प्रताड़ना की शिकार 90 वर्षीय विधवा को बड़ी राहत दी है। अदालत ने इस दंपत्ति को आदेश दिया है कि वे बुजुर्ग महिला का घर 2 महीने के भीतर खाली करें।

शकुंतला सक्सेना की याचिका मंजूर

हाईकोर्ट की इंदौर पीठ के जस्टिस विजय कुमार शुक्ला ने माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम 2007 के तहत 90 वर्षीय शकुंतला सक्सेना की याचिका मंजूर करते हुए मंगलवार को यह आदेश दिया। सक्सेना ने याचिका में आरोप लगाया कि शिल्पी श्रीवास्तव और उनके पति ललित श्रीवास्तव उनके घर में रहकर उन्हें प्रताड़ित कर रहे हैं, इसलिए वह अब उन्हें साथ रखना नहीं चाहतीं। दूसरी ओर, श्रीवास्तव दंपत्ति की ओर से यह आरोप खारिज किया गया।

दंपत्ति ने किया दावा

युगल ने हाईकोर्ट में दावा किया गया कि उन्हें बुजुर्ग महिला के दिवंगत पति शांतिप्रकाश सक्सेना ने संतान के रूप में गोद लिया था और सक्सेना की संपत्ति पर दावे को लेकर निचली अदालत में उनकी ओर से दायर दीवानी मुकदमा विचाराधीन है। इस बीच, हाईकोर्ट ने कहा कि इस दंपत्ति ने उसके सामने ऐसा कोई दस्तावेज पेश नहीं किया है जिससे संबंधित संपत्ति पर उनका कोई अधिकार साबित होता हो। 

महिला ने जिला प्रशासन के सामने लगाई थी अर्जी

गौरतलब है कि हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने से पहले 90 वर्षीय विधवा ने जिला प्रशासन के सामने अर्जी लगाई थी। हालांकि, प्रशासन ने इस पर 18 जनवरी को पारित आदेश में कहा था कि माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम 2007 के तहत उसे किसी व्यक्ति का घर खाली कराने का कोई अधिकार नहीं है। हाईकोर्ट ने प्रशासन का यह आदेश रद्द करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता महिला को 90 साल की उम्र में दोबारा सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने के लिए नहीं भेजा जा सकता।

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