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मध्य प्रदेश : उपचुनाव हारने वाले 3 मंत्रियों के इस्तीफे से भाजपा को राहत

मध्य प्रदेश में हुए विधानसभा के उपचुनाव में मिली हार के बाद आखिरकार तीन मंत्रियों ने इस्तीफे दे ही दिए हैं। इससे भाजपा को राहत मिली है क्योंकि हार के बावजूद भी मंत्रियों के इस्तीफे न दिए जाने से कांग्रेस हमलावर थी। अभी यह इस्तीफे मंजूर नहीं हुए है।

Reported by: IANS
Published on: November 25, 2020 14:55 IST
मध्य प्रदेश : उपचुनाव हारने वाले 3 मंत्रियों के इस्तीफे से भाजपा को राहत- India TV Hindi
Image Source : PTI मध्य प्रदेश : उपचुनाव हारने वाले 3 मंत्रियों के इस्तीफे से भाजपा को राहत

भोपाल: मध्य प्रदेश में हुए विधानसभा के उपचुनाव में मिली हार के बाद आखिरकार तीन मंत्रियों ने इस्तीफे दे ही दिए हैं। इससे भाजपा को राहत मिली है क्योंकि हार के बावजूद भी मंत्रियों के इस्तीफे न दिए जाने से कांग्रेस हमलावर थी। अभी यह इस्तीफे मंजूर नहीं हुए है।

राज्य में 28 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव हुए थे जिनमें से भाजपा ने 19 स्थानों पर जीत दर्ज की थी मगर तीन मंत्री एदल सिंह कंसाना, इमरती देवी और गिरराज दंडोतिया चुनाव हार गए थे। चुनाव नतीजे आने के बाद एदल सिंह कंसाना ने इस्तीफा दे दिया था, मगर गिरराज दंडोतिया और इमरती देवी के इस्तीफा में हुई देरी पर कांग्रेस हमलावर थी। पहले गिरराज दंडोतिया ने इस्तीफा दिया और उसके बाद इमरती देवी ने भी इस्तीफा दे दिया है।

इमरती देवी ने कहा है कि वह अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भेज चुकी हैं जहां तक मंजूर करने की बात है तो यह मुख्यमंत्री को ही करना है।

ग्वालियर के डबरा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव हारने के बाद मंत्री पद से इस्तीफा न देने पर इमरती देवी पर सबसे ज्यादा कांग्रेस की ओर से हमले बोले जा रहे थे, ऐसा इसलिए क्योंकि इमरती देवी की गिनती पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबियों में होती है।

पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के मीडिया सलाहकार नरेंद्र सलूजा ने तो यहां तक कह दिया था कि उपचुनाव हार चुकी मंत्री ईमरती देवी ने अभी तक इस्तीफा क्यों नहीं दिया? उनके आका का इशारा नहीं होगा? ऐसी जानकारी भी मिली है कि उनके विभाग में अभी कुछ बड़े टेंडर होना बाकी है, इसलिये अभी इस्तीफा नहीं? सीएम अपने अधिकारों का उपयोग कर विभागीय निर्णयों पर रोक लगाएं व उन्हें पद से हटाएं।

भाजपा नेता कृष्ण गोपाल पाठक का कहना है कि कांग्रेस के पास अब जमीन बची नहीं है, कार्यकर्ता है नहीं, लिहाजा बयान देकर और सोशल मीडिया पर सक्रिय रहकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराना उनका मकसद है। यही कारण है कि मंत्रियों के इस्तीफे आदि को लेकर तरह-तरह के बयान दे रहे है।

वहीं राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जो मंत्री चुनाव हार गए हैं, वे विधायक न रहते हुए भी छह माह तक मंत्री रह सकते हैं। जो तीन मंत्री चुनाव हारे हैं उन्होंने जुलाई में शपथ ली थी। इस लिहाज से जनवरी तक तो मंत्री रह ही सकते थे। फिर भी नैतिकता का तकाजा है कि जब जनता ने उन्हें चुनाव हरा दिया तो इस्तीफा दे देना चाहिए था। इस्तीफा में देर हुई मगर संवैधानिक तौर पर गलत नहीं हुआ। कांग्रेस विरोधी दल है इसलिए उसे तो हमला करना ही था सो उसने किया। अब भाजपा को बचाव के लिए ज्यादा प्रयास नहीं करने होंगे क्योंकि तीनों मंत्रियों ने अपने इस्तीफा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भेज दिए हैं। इस्तीफों से भाजपा को राहत तो मिली ही होगी।

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