भोपाल: दक्षिण-पश्चिम मानसून के मध्य प्रदेश से अगले दो से तीन दिनों में पूरी तरह से विदा होने की संभावना है। सामान्य तौर पर मानसून मध्य प्रदेश से 30 सितंबर के आसपास विदा होता है, जो इस बार 10-12 दिन देर से विदा हो रहा है। राज्य में सुबह के वक्त न्यूनतम तापमान में गिरावट शुरू हो गई है जो इस बात का संकेत है कि सर्दी का आगाज दूर नहीं है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के भोपाल कार्यालय के वरिष्ठ मौसम विज्ञानी पीके साहा ने शनिवार को बताया कि दक्षिण-पश्चिम मानसून शनिवार को मध्य प्रदेश के बड़े हिस्से से हट गया है, जिससे पिछले दो-तीन दिनों में न्यूनतम तापमान में एक से तीन डिग्री सेल्सियस की गिरावट आई है।
उन्होंने बताया कि शनिवार सुबह भोपाल का न्यूनतम तापमान 21.6 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया जबकि पांच अक्टूबर को यह 24 डिग्री सेल्सियस था। शनिवार को इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर में न्यूनतम तापमान क्रमश: 22.6, 20.4 और 21.9 तक गिर गया। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में शनिवार सुबह साढ़े आठ बजे मंडला, छतरपुर के नौगांव और रायसेन जिले में न्यूनतम तापमान 19 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। हालांकि, मध्य प्रदेश में अधिकतम या दिन के तापमान में बढ़ोतरी शुरू हो गई है।
साहा के अनुसार, राज्य में आसमान साफ होने के कारण तापमान एक से दो डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है। शनिवार शाम साढे पांच बजे ग्वालियर में अधिकतम तापमान 37.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। साहा ने कहा कि मानसून के अगले दो से तीन दिनों में मध्य प्रदेश से पूरी तरह से विदा होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि दक्षिण-पश्चिम मानसून अपने निर्धारित समय से सात दिन पहले 10 जून को मध्य प्रदेश पहुंच था और इस बार इसकी वापसी सामान्य तारीख 30 सितंबर से 11-12 दिन आगे निकल जाने की संभावना है।
उन्होंने कहा कि इस बार यह थोड़ा लंबा खिंच गया क्योंकि यह आम तौर पर जून के पहले दिन शुरू होता है और सितंबर के आखिरी दिन समाप्त होता है। IMD के एक अन्य वरिष्ठ मौसम विज्ञानी जीडी मिश्रा ने बताया कि मध्य प्रदेश में इस मानसून में राज्य में औसत से थोड़ी अधिक बारिश हुई है क्योंकि वर्ष 2021 का मानसून सीजन आधिकारिक तौर पर 30 सितंबर को समाप्त हो गया है। उन्होंने बताया कि एक जून से 30 सितंबर की सुबह तक राज्य में 940.6 मिलीमीटर की सामान्य बारिश के मुकाबले इस बार 945.2 मिमी बारिश हुई।
उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश के उत्तरी भाग में इन तीन जिलों में मानसून के दौरान भरपूर बारिश हुई तथा ग्वालियर और चंबल संभाग अगस्त माह में बाढ़ की चपेट में भी आए। उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर मध्य प्रदेश के 11 जिलों में सामान्य से अधिक बारिश हुई जबकि नौ जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई।
(भाषा)