मध्य प्रदेश की इंदौर लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के सीटिंग एमपी शंकर लालवाणी ने 'महारिकॉर्ड' बना दिया है। शंकर लालवाणी को लगातार दूसरी बार इंदौर लोकसभा सीट पर 10 लाख से ज्यादा वोट मिले हैं। मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी कही जाने वाली इंदौर लोकसभा सीट भाजपा के सबसे सुरक्षित सीट में से एक है। 2019 की लोकसभा चुनाव में भी इस सीट पर लालवाणी ने जीत का परचम लहराया है। शंकर लालवाणी ने इंदौर लोकसभा सीट से 10 लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से विजय प्राप्त की है।
बनाया जीत का 'महारिकार्ड'
शंकर लालवाणी को इस बार लोकसभा चुनाव में इंदौर की जनता ने 12 लाख 26 हजार से ज्यादा वोट दिए हैं। लालवाणी ने अपने निकटम प्रतिद्वंदी बहुजन समाज पार्टी के संजय सोलंकी को 11 लाख 75 हजार से ज्यादा वोट से हरा दिया है। संजय सोलंकी को मात्र 51,659 वोट मिले हैं। 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भी शंकर लालवाणी को 10 लाख से ज्यादा वोट मिले थे। 2019 में लालावाणी को इंदौर की जनता ने 10 लाख 68 हजार से ज्यादा वोट दिया था। पिछले लोकसभा चुनाव में उन्होंने अपने निकतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस पार्टी के पंकज सांघवी को 5 लाख 47 हजार से ज्यादा वोटों से मात दिया था। कांग्रेस प्रत्याशी को पिछले चुनाव में 5 लाख 20 हजार से ज्यादा वोट मिले थे।
कौन हैं शंकर लालवाणी?
भारतीय जनता पार्टी के सांसद शंकर लालवाणी का जन्म 16 अक्टूबर 1961 को इंदौर में हुआ था। सांसद बनने से पहले वो इंदौर डेवलपमेंट ऑथोरिटी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। उन्होंने वीरमाता जीजाबाई टेक्नोलॉजिकल इंस्टीट्यूट से बी.टेक की डिग्री ली है। वो पहली बार 23 मई 2019 को इंदौर लोकसभा सीट से चुनाव जीते थे। 2019 में भारतीय जनता पार्टी ने उस समय की लोकसभा अध्यक्ष और इंदौर से सांसद सुमित्रा महाजन की जगह पर इन्हें टिकट दिया था।
पाकिस्तान से है नाता
इंदौर के सांसद शंकर लालवाणी का पाकिस्तान से भी नाता रहा है। वो सिंधी परिवार से आते हैं और उनका परिवार विभाजन के बाद पाकिस्तान से आकर मध्य प्रदेश में बस गया। शंकर लालवाणी 1994 में राजनीति में आए थे। तब उन्होंने इंदौर नगर निगम में कार्पोरेटर का चुनाव जीता था। 1999 से लेकर 2004 के बीच वो इंदौर नगर निगम में पीडब्लूडी के चेयरमैन रह चुके हैं। वहीं, 2013 से लेकर 2018 तक उन्होंने इंदौर डेवलपमेंट ऑथिरिटी के अध्यक्ष का पद संभाला था।