मध्यप्रदेश के खरगोन शहर में रामनवमी पर हुई हिंसा के बाद प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) के तहत सरकारी जमीन पर बने मकान को तोड़ दिया गया। एक अधिकारी ने मंगलवार को दावा किया कि घर को कहीं और बनाया जाना था और इसका उपयोग आवासीय उद्देश्यों के अलावा अन्य के लिए किया जा रहा था।
उन्होंने बताया कि पीएमएवाई के तहत एक मकान को हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई में ध्वस्त कर दिया गया है। बिड़ला मार्ग पर खसखसबाडी क्षेत्र में स्थित यह मकान हसीना फखरु (60) का था। स्थानीय अधिकारियों ने रामनवमी के जुलूस के दौरान पथराव और अन्य प्रकार की हिंसा में शामिल लोगों की कथित तौर से अवैध संपत्तियों के खिलाफ एक अभियान के दौरान सोमवार को इसे ध्वस्त कर दिया था।
मुख्य नगर पालिका अधिकारी प्रियंका पटेल ने कहा कि घर कहीं और बनने वाला था। पटेल ने कहा, ‘पीएमएवाई के तहत घर आवासीय उद्देश्य के लिए होते हैं लेकिन जब नगरपालिका का दल इस मकान के अंदर गया तो पाया कि इसका इस्तेमाल किसी अन्य कार्य के लिए किया जा रहा था और वहां कोई भी नहीं रह रहा था।’
अधिकारी ने कहा, ‘उन्होंने सरकारी जमीन पर घर का निर्माण किया जबकि उन्हें एक अलग जगह पर घर के लिए पीएमएवाई के तहत मंजूरी मिली थी। तहसील अदालत में अतिक्रमण का मामला चल रहा था। तहसीलदार ने इसे हटाने के आदेश जारी किए थे।’
मकान मालिक फखरु ने पत्रकारों को बताया कि पीएमएवाई के लाभार्थी बनने से पहले उनका परिवार कच्चे घर में उसी जमीन पर रह रहा था। लेकिन जब उनसे पूछा गया कि क्या जमीन उनकी है तो उन्होंने कहा, ‘नहीं, यह सरकारी जमीन है और हम इस पर सालों से रह रहे हैं।’
यह पूछे जाने पर कि क्या तहसीलदार द्वारा अतिक्रमण के खिलाफ कोई नोटिस दिया गया था। इस पर उन्होंने कहा, ‘हां, केवल नोटिस दिया गया था। जब अधिकारियों ने हमसे पूछा कि हमने यह घर क्यों बनाया तो हमने उन्हें बताया कि हमारे घर को पीएमएवाई के तहत स्वीकृत किया गया और हमने इसे बनाया।’
अधिकारियों के इस दावे के बारे में कि उनके पास कहीं और जमीन है पर फखरु ने कहा, ‘अगर हमारे पास जमीन होती तो हम यहां घर क्यों बनाते? हमारे पास कोई (अन्य) घर या जमीन का भूखंड नहीं है। नगर निगम के अधिकारियों के अनुसार, सरकारी भूमि पर अतिक्रमण हटाने की मांग करने वाला नोटिस मार्च में और फिर सात अप्रैल को दिया गया था और इसे सोमवार को निष्पादित किया गया।
मंगलवार को मुस्लिम धर्मगुरुओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने भोपाल में मध्यप्रदेश के पुलिस महानिदेशक से मुलाकात की और आरोप लगाया कि रामनवमी पर खरगोन और सेंधवा कस्बों में सांप्रदायिक झड़पों के बाद प्रशासन द्वारा चुनिंदा रुप से मुसलमानों को निशाना बनाया गया। खरगोन शहर में बुधवार को तीसरे दिन भी कर्फ्यू जारी रहा।