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‘लिव-इन’ रिलेशनशिप पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की तल्ख टिप्पणी, बताया ‘अभिशाप’

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने यौन अपराधों और सामाजिक विकृतियों में इजाफे के मद्देनजर ‘लिव-इन’ रिलेशनशिप्स को अभिशाप करार दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने टिप्पणी की है कि वह कहने को मजबूर है कि ‘लिव-इन’ रिलेशनशिप्स का यह अभिशाप नागरिकों को जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की संवैधानिक गारंटी का ‘बाई-प्रोडक्ट’ है।

Edited by: Swayam Prakash @swayamniranjan_
Published : April 19, 2022 23:55 IST
Madhya Pradesh High Court termed live-in relationships a 'curse'
Image Source : FILE PHOTO Madhya Pradesh High Court termed live-in relationships a 'curse'

Highlights

  • मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने की तीखी टिप्पणी
  • लिव-इन रिलेशनशिप्स को बताया अभिशाप
  • बढ़ते यौन अपराधों पर इंदौर पीठ की टिप्पणी

इंदौर: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने यौन अपराधों और सामाजिक विकृतियों में इजाफे के मद्देनजर ‘लिव-इन’ रिलेशनशिप्स (2 जोड़ीदारों द्वारा बिना शादी के साथ रहना) को अभिशाप करार दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने टिप्पणी की है कि वह कहने को मजबूर है कि ‘लिव-इन’ रिलेशनशिप्स का यह अभिशाप नागरिकों को जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की संवैधानिक गारंटी का ‘बाई-प्रोडक्ट’ है।

हाई कोर्ट की इंदौर पीठ के जस्टिस सुबोध अभ्यंकर ने एक महिला से बार-बार रेप, उसकी सहमति के बिना उसका जबरन गर्भपात कराने, आपराधिक धमकी देने और अन्य आरोपों का सामना कर रहे 25 वर्षीय व्यक्ति की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए ये तल्ख टिप्पणियां कीं।

एकल पीठ ने 12 अप्रैल को जारी आदेश में कहा, "हाल के दिनों में लिव-इन संबंधों से उत्पन्न अपराधों की बाढ़ का संज्ञान लेते हुए अदालत यह टिप्पणी करने पर मजबूर है कि लिव-इन संबंधों का अभिशाप संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मिलने वाली संवैधानिक गारंटी का एक सह-उत्पाद है जो भारतीय समाज के लोकाचार को निगल रहा है और तीव्र कामुक व्यवहार के साथ ही व्याभिचार को बढ़ावा दे रहा है जिससे यौन अपराधों में लगातार इजाफा हो रहा है।"

कोर्ट ने ‘लिव-इन’ संबंधों से बढ़ती सामाजिक विकृतियों और कानूनी विवादों की ओर इशारा करते हुए कहा,‘जो लोग इस आजादी का शोषण करना चाहते हैं, वे इसे तुरंत अपनाते हैं, लेकिन वे इस बात से पूरी तरह अनभिज्ञ हैं कि इसकी अपनी सीमाएं हैं और यह (आजादी) दोनों में किसी भी जोड़ीदार को एक-दूसरे पर कोई अधिकार प्रदान नहीं करती है।’

हाई कोर्ट ने केस डायरी और मामले के अन्य दस्तावेजों पर गौर करने के बाद कहा कि इस बात का खुलासा होता है कि 25 वर्षीय आरोपी और पीड़ित महिला काफी समय तक ‘लिव-इन’ संबंधों में रहे थे और इस दौरान महिला का आरोपी के कथित दबाव में दो बार से ज्यादा गर्भपात भी कराया गया था।

अदालत ने कहा कि दोनों जोड़ीदारों के आपसी संबंध तब बिगड़े, जब महिला ने किसी अन्य व्यक्ति के साथ सगाई कर ली। 25 वर्षीय व्यक्ति पर आरोप है कि उसने इस सगाई पर आग-बबूला होकर उसकी पूर्व ‘लिव-इन’ जोड़ीदार को परेशान करना शुरू कर दिया।

उस पर यह आरोप भी है कि उसने महिला के भावी ससुराल पक्ष के लोगों को अपना वीडियो भेजकर धमकी दी कि अगर उसकी पूर्व ‘लिव-इन’ जोड़ीदार की शादी किसी अन्य व्यक्ति से हुई, तो वह आत्महत्या कर लेगा और इसके लिए महिला के मायके व ससुराल, दोनों पक्षों के लोग जिम्मेदार होंगे।

पीड़ित महिला के वकील ने अदालत को बताया कि आरोपी द्वारा यह वीडियो भेजे जाने के बाद उसकी सगाई टूट गई और उसकी शादी नहीं हो सकी। इस मामले में प्रदेश सरकार की ओर से अमित सिंह सिसोदिया ने पैरवी की।

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