उज्जैन: मध्य प्रदेश में चुनावी माहौल पूरी तरह से बन चुका है। पार्टियों ने अपने तमाम उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। यह चुनाव अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव के लिहाज से बेहद ही महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इन चुनावों का परिणाम आगामी आम चुनावों पर बड़ा असर डालेंगे। एकतरफ जहां भारतीय जनता पार्टी यहां अपनी सत्ता बनाए रखना चाहती है तो वहीं कांग्रेस यहां सत्ता में आने के लिए जंग लड़ रही है। यहां 17 नवंबर को मतदान होगा और 3 दिसंबर को तय हो जाएगा कि राज्य में किसकी सरकार आएगी।
इस बार के चुनाव में उज्जैन का महाकालेश्वर धाम भी एक चुनावी मुद्दा बना हुआ है। एकतरफ बीजेपी इसे बनाने के नाम पर मतदाताओं के बीच जा रही है तो वहीं कांग्रेस इसमें हुए भ्रष्टाचार के नाम पर सरकार को घेर रही है। लेकिन क्या आपको पता है कि महाकाल के शहर उज्जैन में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री और मुख्यमंत्री रात्रि नहीं गुजार सकते हैं। ये परंपरा कई सालों से चली आ रही है और इसके पीछे भी एक बड़ी वजह है।
यह है भारतीय राजनीति का सबसे बड़ा मिथक
माना जाता है कि यहां जो भी रात्रि में रुकेगा, उसकी सत्ता चली जाएगी। यह मिथक भारतीय राजनीति के सबसे बड़े मिथकों में से एक माना जाता है। यहां सालभर राजनेताओं का जमावड़ा लगा रहता है लेकिन रात्रि कोई नहीं गुजारता है। ये लोग या तो यहां से चले जाते हैं वरना वह पड़ोसी शहर इंदौर में जाकर रात बिताते हैं।
बाबा महाकाल को माना जाता है उज्जैन का राजा
दरअसल, बाबा महाकाल को उज्जैन का राजा धिराज माना जाता है। बाबा महाकाल के नगर में कोई भी दो राजा राज में नहीं रह सकते। अगर ऐसा हुआ, तो यहां रात ठहरने वाले के हाथ से सत्ता चली जाएगी। यह बात कई बार सच भी साबित हुई है, इसके बाद इस मान्यता को और भी माना जाने लगा है। एकबार यहां पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई आए और वह रात में यहीं रुक गए । दूसरे दिन ही उनकी सरकार गिर गई।
बीएस येदियुरप्पा की चली गई थी सरकार
वहीं कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने गलती से यहां एक रात बिता ली थी, तो 20 दिन बाद ही उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। बता दें कि उज्जैन शहर राजा विक्रमादित्य के समय की राजधानी है। मंदिर से जुड़े लोग बताते हैं कि यह परम्परा राजा भोज के समय से चली आ रही है। तब से कोई भी राजा उज्जैन में रात में विश्राम नहीं करता है। जो ऐसा करने की भूल करता है, उसे कुछ ही दिन में उसका खामियाजा भी भुगतना पड़ता है। कई बार उनकी सत्ता चली जाती है तो कुछ राजाओं की तो मौत भी हो गई।