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कोरोना से मौत के बाद परिवार ने किया था अंतिम संस्कार, 2 साल बाद जिंदा घर लौटा युवक

कमलेश कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान बीमार पड़ गया था और बाद में अस्पताल में डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। अस्पताल द्वारा उन्हें शव सौंपे जाने के बाद परिवार के सदस्यों ने उनका अंतिम संस्कार भी कर दिया था।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published on: April 16, 2023 17:38 IST
covid death- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO परिवार के सदस्यों ने वडोदरा में अस्पताल द्वारा दिए गए शव का अंतिम संस्कार किया था। (प्रतिकात्मक तस्वीर)

धार: कोविड-19 महामारी में अस्पताल द्वारा मृत घोषित किए जाने और अंतिम संस्कार किए जाने के 2 साल बाद एक व्यक्ति मध्य प्रदेश के धार जिले में अपने घर लौटा है। इस व्यक्ति के परिवार के एक सदस्य ने कहा कि उनका परिवार शनिवार को उस समय अचंभित रह गया जब अस्पताल द्वारा मृत घोषित किए जाने के दो साल बाद 35 वर्षीय कमलेश पाटीदार ने सुबह करीब 6 बजे करोंद कला गांव में अपनी मौसी के घर का दरवाजा खटखटाया।

कमलेश के चचेरे भाई मुकेश पाटीदार ने बताया कि कमलेश कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान बीमार पड़ गया था और बाद में अस्पताल में डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। अस्पताल द्वारा उन्हें ‘‘शव ’’ सौंपे जाने के बाद परिवार के सदस्यों ने उनका अंतिम संस्कार भी कर दिया था। मुकेश ने कहा, ‘‘अब वह घर लौट आया है लेकिन इस अवधि के दौरान वह कहां रहा, इस बारे में उसने कुछ नहीं बताया है।’’

वडोदरा में किया था शव का अंतिम संस्कार

कानवन थाना प्रभारी राम सिंह राठौर ने बताया कि परिजनों के अनुसार कमलेश पाटीदार 2021 में कोरोना वायरस संक्रमण से पीड़ित हुआ था और उसे वड़ोदरा (गुजरात) के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों ने उसे कोविड-19 संक्रमण के कारण मृत घोषित कर दिया जिसके बाद परिवार के सदस्यों ने वडोदरा में अस्पताल द्वारा दिए गए शव का अंतिम संस्कार किया और फिर अपने गांव लौट आए।

जानिए पूरा घटनाक्रम
साल 2021 में बदनावर तहसील के ग्राम कड़ोदकला का रहने वाला कमलेश पिता गेंदालाल पाटीदार कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमित हो गया था। परिवार वाले उसे सबसे पहले बदनावर के सरदार हॉस्पिटल लेकर पहुंचे। तबीयक ज्यादा खराब हुई तो इंदौर में इलाज करवाया। जब बेटा ठीक हुआ तो परिवार उसे लेकर गांव लौट आया। इसके कुछ दिनों बाद कमलेश के शरीर में ब्लड जमने के साथ ही अचानक से मोटापा चढ़ने लगा। डॉक्टरों को दिखाया तो उन्होंने गुजरात के बड़ौदा में दिखाने का कहा। इसके बाद परिवार ने उसे बड़ौदा के निजी अस्पताल में भर्ती करवाया। यहां इलाज के दौरान डॉक्टरों ने कमलेश को मृत घोषित कर दिया।

पॉलीथिन में लिपटी थी बॉडी, सही तरीके से देख नहीं पाए घरवाले
अस्पताल की सूचना पर परिवार वाले वहां पहुंचे, लेकिन कोरोना पॉजिटिव शव होने से उन्हें दूर ही रखा गया। बॉडी पॉलीथिन में लिपटी थी, इसलिए परिवार वाले सही तरीके से परख नहीं पाए और डॉक्टरों की पुष्टि को ही सही मानते हुए बड़ौदा में ही कोविड टीम से अंतिम संस्कार करवाने के बाद वापस गांव लौट आए। 2 साल बाद शनिवार सुबह अचानक से कमलेश अपने मामा के घर पहुंच गया। कमलेश को अचानक से सामने देख सभी चौंक गए। एक पल के लिए तो वे यह मान ही नहीं पा रहे थे कि उनका कमलेश जिंदा है।

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अधिकारी ने बताया कि परिवार के सदस्यों को पता चला कि वह जीवित है और शनिवार को घर लौट आया है। अधिकारी ने कहा कि कमलेश पाटीदार के बयान दर्ज करने के बाद मामला स्पष्ट हो सकेगा।

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