Monday, November 25, 2024
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Madhya Pradesh Assembly Elections: मध्य प्रदेश में आज डाले जाएंगे वोट, तैयारियां पूरी, सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त

Madhya Pradesh Assembly Elections: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए शुक्रवार (17 नवंबर) को वोट डाले जाएंगे। मतदान की सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।

Edited By: Niraj Kumar @nirajkavikumar1
Updated on: November 17, 2023 6:17 IST
Elections, MP Elecions- India TV Hindi
Image Source : PTI (फाइल) मतदान के लिए कतार में खड़े लोग (फाइल फोटो)

Madhya Pradesh Assembly Elections: मध्य प्रदेश विधानसभा के लिए कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच शुक्रवार को वोट डाले जाएंगे। मतदान की सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। इससे पहले बुधवार शाम 6 बजे विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार का काम समाप्त हो गया। प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों के लिए कुल 2,533 उम्मीदवार मैदान में हैं, जहां सत्ता के लिए मुख्य लड़ाई सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और विपक्षी कांग्रेस के बीच है। राज्य में मतादातओं की कुल संख्या 5,60,60,925 है। इनमें 2,88,25,607 पुरुष, 2,72,33,945 महिलाएं हैं।

बीजेपी की ओर से पीएम मोदी रहे शीर्ष प्रचारक

चुनाव प्रचार में प्रधानमंत्री मोदी, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री अमित शाह, राजनाथ सिंह, मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित अन्य लोगों ने राज्य का दौरा किया और सभी 230 सीटों पर भगवा पार्टी के उम्मीदवारों के लिए समर्थन जुटाने के लिए चुनावी सभाओं को संबोधित किया। कांग्रेस अध्यक्ष खरगे, उनके पूर्ववर्ती राहुल गांधी, पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी-वाद्रा, मप्र कांग्रेस प्रमुख कमलनाथ, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह सहित अन्य ने अपने 230 उम्मीदवारों के लिए समर्थन जुटाने के लिए जनसभाओं को संबोधित किया। 

विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में दरार

चुनाव प्रचार के दौरान विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में दरार देखी गई। इस गठबंधन के घटक कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (सपा) और आम आदमी पार्टी (आप) ने चुनाव पूर्व गठबंधन में विफल रहने के बाद एक-दूसरे के खिलाफ उम्मीदवार उतारे। उनके नेता भी जबानी युद्ध में उलझे रहे। भाजपा के शीर्ष प्रचारक पीएम मोदी ने चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के बाद प्रदेश का नौ दफा दौरा किया और 14 जनसभाओं को संबोधित किया। सत्ता बरकरार रखने के लिए भाजपा प्रधानमंत्री के करिश्मे और लोकप्रियता पर भारी भरोसा कर रही है। भगवा पार्टी का अभियान ‘‘ एमपी के मन में मोदी और मोदी के मन में एमपी'' के नारे इर्द-गिर्द बुना गया था। मोदी, शाह और अन्य भाजपा नेताओं ने राज्य और केंद्र की पिछली कांग्रेस सरकारों पर कथित तौर पर भ्रष्टाचार में शामिल होने और सार्वजनिक धन की लूट का आरोप लगाया और अयोध्या में आगामी राम मंदिर और आदिवासी समाज के कल्याण के बारे में भी बात की। भाजपा ने इस बात पर जोर देने का कोई मौका नहीं छोड़ा कि उसने मध्य प्रदेश को 'बीमारू' (पिछड़े) श्रेणी से बाहर निकाला है, जबकि बिजली कटौती, सड़कों की दयनीय स्थिति और पानी की कमी कांग्रेस के शासन में आम बात थी और लोगों को आगाह किया कि अगर कांग्रेस सत्ता में लौटती है वह राज्य को फिर से बर्बाद कर देगी। 

जाति सर्वेक्षण के इर्द-गिर्द रहा कांग्रेस का प्रचार

कांग्रेस का चुनाव प्रचार जाति सर्वेक्षण और पिछड़ा वर्ग के कल्याण के वादे पर केंद्रित रहा। कांग्रेस के अभियान ने बेरोजगारी, महंगाई को लेकर भाजपा सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि राज्य में 50 प्रतिशत "कमीशन राज" व्याप्त है। चुनाव प्रचार ने अगले साल के आम चुनाव से पहले विपक्षी इंडिया गुट में दरार को सामने ला दिया, जब सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कांग्रेस पर वादे के मुताबिक उनकी पार्टी को छह सीटें न देकर उन्हें धोखा देने का आरोप लगाया। मप्र में समाजवादी पार्टी ने 71 उम्मीदवार उतारे हैं। इसी तरह, इंडिया ब्लाक के एक सहयोगी, आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके पंजाब समकक्ष भगवंत सिंह मान ने अपने 66 उम्मीदवारों के लिए समर्थन जुटाने के लिए 12 से अधिक रैलियों को संबोधित किया और रोड शो किए। विपक्षी ब्लाक का एक अन्य घटक जनता दल (यू) 10 निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव लड़ रहा है। मायावती के नेतृत्व वाली बसपा ने 183 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं, जबकि उसकी सहयोगी गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, (एक आदिवासी संगठन) ने 45 से अधिक उम्मीदवारों को टिकट दिया है। 

मायावती ने 10 रैलियों को संबोधित किया 

बसपा अध्यक्ष मायावती ने 10 रैलियों को संबोधित किया और केंद्र में सत्ता में रहते हुए मंडल आयोग की रिपोर्ट पर कार्रवाई नहीं करने के लिए कांग्रेस पर हमला किया। उन्होंने और अखिलेश यादव ने अलग-अलग चुनावी सभाओं में अब जाति-आधारित सर्वेक्षण की मांग करने के लिए कांग्रेस की आलोचना की और कहा कि आजादी के बाद जब पार्टी सत्ता में थी तो उसने इस मुद्दे पर कुछ नहीं किया। प्रदेश में 2018 के चुनाव के बाद 114 सीटों के साथ कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और उसने कमलनाथ के नेतृत्व में बसपा, सपा और निर्दलीय विधायकों की मदद से सरकार बनाई। हालांकि, मार्च 2020 में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके प्रति वफादार कांग्रेस विधायकों के विद्रोह के बाद कमलनाथ शासन का पतन हो गया, जिससे शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार की वापसी का मार्ग प्रशस्त हुआ। (इनपुट-भाषा)

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