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Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश में लंपी वायरस के बाद आया अफ्रीकन फीवर, सूअरों के लिए बना मुसीबत

Madhya Pradesh: पशु चिकित्सकों की मानें तो अफ्रीकन स्वाइन फीवर का वर्तमान में कोई उपचार नहीं है। साथ ही इस बीमारी से बचाव के लिए कोई टीका भी नहीं है।

Edited By: Shailendra Tiwari @@Shailendra_jour
Published : Aug 21, 2022 14:49 IST, Updated : Aug 21, 2022 14:49 IST
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Image Source : FILE PHOTO Representational Image

Highlights

  • अफ्रीकन स्वाइन फीवर का कोई उपचार नहीं
  • इस बीमारी से बचाव एवं बीमारी को फैलने से रोकना ही एकमात्र उपाय है
  • कर्मचारियों को सतर्क रहने और रोकथाम के दिशा निर्देश जारी

Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश में मवेशियों के लंपी वायरस का मामला अभी खत्म भी नहीं हुआ कि सूअरों की बीमारी अफ्रीकन फीवर ने नई मुसीबत खड़ी कर दी है। इसकी जांच से पुष्टि भी की गई है। रीवा में बीते दिनों में सुअरों की मौत होने पर नमूने जांच के लिए पशु चिकित्सा अधिकारियों द्वारा राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशुरोग संस्थान भेजे गए और नमूनों की जांच से मृत सूअरों में अफ्रीकन स्वाइन फीवर बीमारी की पुष्टि हुई है। अफ्रीकन स्वाइन फीवर, सूअरों में होने वाली वायरस जनित बीमारी है। यह सूअरों से अन्य पशुओं (गाय, भैंस, बकरी) में नहीं फैलती है। साथ ही यह सूअरों से मनुष्यों में भी नहीं फैलता है।

अफ्रीकन स्वाइन फीवर का कोई उपचार नहीं

पशु चिकित्सकों की मानें तो अफ्रीकन स्वाइन फीवर का वर्तमान में कोई उपचार नहीं है। साथ ही सूअरों को इस बीमारी से बचाव के लिए कोई टीका भी नहीं है। इस बीमारी से बचाव एवं बीमारी को फैलने से रोकना ही एकमात्र उपाय है। संचालनालय पशुपालन एवं डेयरी द्वारा अफ्रीकन स्वाइन फीवर से बचाव के लिए सभी संभाग एवं जिला अधिकारियों को बीमारी की स्थिति में नेशनल एक्शन प्लान फॉर कंट्रोल, कन्टेनमेन्ट और इरेडिकेशन ऑफ अफ्रीकन स्वाइन फीवर के अनुसार कार्यवाही करने के निर्देश जारी किए गए हैं।

अधिकारी-कर्मचारियों को सतर्क रहने और रोकथाम के दिशा निर्देश जारी

राज्य के पशुपालन एवं डेयरी विभाग के संचालक डॉ. आर.के. मेहिया ने रीवा जिले में मृत सूअर में अफ्रीकन फीवर की पुष्टि करते हुए बताया कि विभागीय अधिकारी-कर्मचारियों को सतर्क रहने और रोकथाम के दिशा निर्देश जारी किए हैं।विभाग द्वारा जारी किए गए निर्देश में कहा गया है कि बीमार जानवर को स्वस्थ पशु से अलग रखा जाये। संक्रमित पशु के भोजन, बिसरा और अवशेष का जैव सुरक्षा मानदण्डों के साथ निपटान किया जाय। संक्रमित मृत पशु को जैव सुरक्षा मानदण्ड के साथ पशु चिकित्सा सलाह के अनुसार ही निपटान करना है। 

सूअर प्रजाति एवं सूअर फार्म से जुड़े वाहनों के आवागमन, खरीद-फरोक्त पर पूर्णत: प्रतिबंध लगाया जाये। इससे पहले मवेशियों ने लंपी वायरस के संक्रमण का मामला सामने आ चुका है और बड़ी तादाद में मवेशी त्वचा संबंधी इस बीमारी से पीड़ित हैं और इसी बीच सूअरों में अफ्रीकन फीवर की खबरें आने लगी है।

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