Highlights
- शिवराज सिंह चौहान ने अधिकारियों को निर्देश दिया
- लंपी वायरस के खिलाफ वैक्सीनेशन के लिए टीके की कोई कमी न हो
- पड़ोसी राज्यों से घरेलू पशुओं की आवाजाही को रोका जाए
Lumpy Virus In MP: मध्य प्रदेश में लंपी वायरस पशुओं के लिए मुसीबत बना हुआ है। 38 पशुओं की तो जान तक चली गई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पड़ोसी राज्यों से आने वाले पशुओं के प्रवेष पर रोक लगाने की बात कही है। राज्य में लंपी वायरस से पशुओं के बीमार होने का क्रम जारी है। प्रदेश में अब तक तीन हजार 314 पशु लम्पी वायरस से प्रभावित हैं। इसमें दो हजार 742 पशु स्वस्थ हो गए हैं और 38 की मृत्यु हुई है। संक्रमण से बचाव के लिए अब तक एक लाख 49 हजार 530 पशुओं का टीकाकरण किया जा चुका है। प्रदेश में पर्याप्त मात्रा में टीके उपलब्ध हैं। भिंड, मुरैना और श्योपुर में लम्पी वायरस के प्रकरण सामने आए हैं। वहां आवश्यक प्रबंध किए जा रहे हैं।
पड़ोसी राज्यों से पशुओं के प्रवेश पर रोक
मुख्यमंत्री चौहान ने लंपी वायरस के प्रभाव और उससे निपटने के लिए सरकारी स्तर पर किए जा रहे प्रयासों की समीक्षा करने के लिए अफसरों की बैठक बुलाई और इस बैठक में कहा कि प्रदेश में लम्पी वायरस की स्थिति पर लगातार नजर रखी जाए। इसको फैलने से रोकने के लिए हर स्तर पर आवश्यक प्रयास करें। पड़ोसी राज्यों से पशुओं का प्रवेश रोका जाए। संक्रमण से बचाव के लिए आवश्यक टीकों की कमी नहीं आनी चाहिए। संक्रमण फैलने से रोकने के लिए पशुओं को आयसोलेट करने तथा अन्य उपायों के संबंध में पशुपालकों को जागरूक भी करें। सभी जिलों में वायरस की स्थिति तथा बचाव के उपायों के क्रियान्वयन की सतत समीक्षा की जाए।
राज्य गौसंवर्धन बोर्ड की कार्य परिषद् के अध्यक्ष ने कलेक्टर को लिखा पत्र
वहीं राज्य गौसंवर्धन बोर्ड की कार्य परिषद् के अध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरी ने प्रदेश के सभी जिलों के पशुपालन एवं डेयरी विभाग के डिप्टी डायरेक्टर्स, सम्भागों के संयुक्त डायरेक्टर्स तथा जिला गोपालन एवं पशुधन संवर्धन समिति के जिला अध्यक्ष (जो कलेक्टर ही होते हैं) को पत्र लिखकर निर्देशित किया है कि-प्रदेश में लम्पी स्कीन डिजीज बीमारी से ग्रसित गोवंश पाया जाता है तो उसे क्वारंटाईन करने की व्यवस्था तुरंत करें। आईसोलेशन सेंटर निर्माण कर ऐसे बीमार गोवंश को वहां रखें। मुख्यमंत्री गौ सेवा योजना अन्तर्गत नवनिर्मित एक खाली गौशाला में उन्हें रख कर, समुचित औषधोपचार कराया जाए। ग्रामीण क्षेत्रों के गोपालक, गोभक्तों और गोप्रेमियों की सेवा ली जाए। जिले के सभी पशु चिकित्सकों को अलर्ट रखा जाए। साथ ही गोवंश की सेवा हेतु जागरूकता अभियान चलाया जाए।