Saturday, November 02, 2024
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लोकसभा चुनाव 2024 | विदिशा में शिवराज सिंह चौहान और प्रताप भानु शर्मा के बीच कड़ी टक्कर, कौन जीतेगा बाजी?

मध्य प्रदेश के चुनाव में विदिशा सीट का खास स्थान है, कारण है यहां के प्रत्याशी। बीजेपी ने यहां से पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहार को टिकट दिया तो कांग्रेस ने प्रताप भानु शर्मा पर दांव लगाया है।

Reported By : Anurag Amitabh Edited By : Shailendra Tiwari Published on: May 02, 2024 17:56 IST
शिवराज सिंह चौहान और प्रताप भानु शर्मा- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV शिवराज सिंह चौहान और प्रताप भानु शर्मा

Lok Sabha Elections 2024: विदिशा सीट मध्य प्रदेश की खास सीट है। यहां से 16 साल 5 माह का मुख्यमंत्री, 5 बार का सांसद और 6 बार का विधायक शिवराज सिंह चौहान मैदान में है तो कांग्रेस ने विदिशा से ही 2 बार सांसद रहे प्रताप भानु शर्मा को मैदान में उतारा है। बता दें कि 33 सालों बाद 77 की उम्र में प्रताप भानु शर्मा चुनावी मैदान में उतरे हैं। शिवराज सिंह चौहान को उम्मीद है कि प्रदेश की लाडलियों और भांजियों की दुआएं उसे 19 सालों बाद फिर चुनावी रण का विजयी बनाएगी तो वहीं प्रताप भानु शर्मा, कांग्रेस की गारंटी के सहारे लोगों से भरोसा करने की गुहार लगा रहे हैं।

इस सीट से अटल बिहारी भी लड़ चुके हैं चुनाव

विदिशा लोकसभा संसदीय सीट में 'आंधी नहीं तूफान है शिवराज सिंह चौहान है' इन नारों के साथ शिवराज का प्रचार हो रहा है। इस सीट में भाजपा को प्रधानमंत्री के तौर पर अटल बिहारी वाजपेयी दिया तो विदेश मंत्री के रूप में सुषमा स्वराज भी दी और अब शिवराज सिंह चौहान को भी इसी सीट ने दिल्ली में जड़ जमाने और बनने का मौका दिया। वक्त बदला हालात बदले लेकिन 33 सालों बाद नहीं बदले तो यह सीट और इसके दोनों प्रत्याशी। शिवराज सिंह चौहान और प्रताप भानु शर्मा दोनों 33 सालों बाद चुनावी मैदान में है, एक लाडली बहना मोदी की गारंटी के सहारे चुनावी रण जीतने की तैयारी में है तो दूसरे के पास राहुल गांधी की गारंटी है।

16 में से सिर्फ 2 बार कांग्रेस को मिली जीत

मध्य प्रदेश को वैसे भी भाजपा की प्रयोगशाला कहा जाता रहा है और विदिशा उसे प्रयोगशाला का एक बड़ा हिस्सा रही है, वजह भी साफ है 1967 से लेकर 19 तक हुए 16 चुनाव में 14 बार भारतीय जनसंघ, जनता पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार जीते हैं तो सिर्फ 2 बार कांग्रेस को जीत मिली है।

विदिशा सीट का इतिहास

साल 1967 में विदिशा सीट से जनसंघ के पंडित शिव शर्मा जीते थे। 1977 में जनसंघ से मशहूर पत्रकार रामनाथ गोयनका ने जीत दर्ज की तो 1977 में भारतीय लोकदल से राघवजी जीते। फिर साल 1980 ये सीट कांग्रेस के पाले में चली गई और 1980 और 1984 में कांग्रेस के प्रतापभानु शर्मा जीते। इसके बाद समय ने करवट ली और 1989 में भाजपा से राघव जी जीत गए। ये सीट हाई प्रोफाइल उस वक्त से हो गई जब 1991 में पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी ने चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। जब अटल बिहारी वाजपेई ने लखनऊ के लिए विदिशा सीट छोड़ी तो शिवराज सिंह चौहान पहली बार सांसद बने फिर 1996 से 2004 तक 4 बार शिवराज सिंह जीतते रहे। फिर साल 2009 और 2014 में पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज सांसद बनीं। इसके बाद 2019 में शिवराज के करीबी रमाकांत भार्गव ने जीत दर्ज की, जिन्होंने तकरीबन 5 लाख वोटो से जीत हासिल की। 

विदिशा लोकसभा सीट 4 जिलों की 8 विधानसभा सीटों को लेकर बनी है, इनमें विदिशा रायसेन सीहोर और देवास है, जिनमें से 7 पर भाजपा और एक पर कांग्रेस काबिज है। इसी लोकसभा की बुधनी विधानसभा से शिवराज सिंह चौहान 6 बार विधायक भी रह चुके हैं। दरअसल इस इलाके में जाति का समीकरण से ज्यादा, चाल-चरित्र और चेहरा बिकता आया है चाहे वह रामनाथ गोयनका का हो अटल बिहारी वाजपेई का हो सुषमा स्वराज का हो या शिवराज का।

इस सीट का जातीय समीकरण?

इस सीट पर कुल मतदाता 19,38,327 है। जिनमें पुरुष 10,04,249 तो महिलाओं की संख्या 9,34,035 है। अगर ग्रामीण आबादी की बात करें तो ये 81.39 % है वहीं, शहरी आबादी की बात करें तो ये 18.61 % हैं। इस सीट पर जातीय समीकरण की बात करें तो OBC 38 फीसदी,  SC 19 फीसदी, ST 10 फीसदी, सामान्य 29 फीसदी और मुस्लिम आबादी 7 फीसदी है।

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